टी20 वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका के खिलाफ पांच विकेट से पराजित होना पड़ा. पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में रविवार (30 अक्टूबर) को खेले गए इस मुकाबले में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को 134 रनों का टारगेट दिया था, जिसे उसने दो गेंद बाकी रहते हासिल कर लिया. भारतीय टीम की मौजूदा टी20 वर्ल्ड कप में यह पहली हार है. इससे पहले उसने पाकिस्तान और नीदरलैंड के खिलाफ शानदार जीत हासिल की थी.
इस हार से भारतीय फैन्स भले ही निराश हों, लेकिन पराजय में ऐसी चीज छिपी हुई है जो 15 सालों का इंतजार खत्म कर सकती है. कहने का अर्थ यह हुआ कि भारतीय टीम 2007 के बाद दूसरी बार टी20 वर्ल्ड कप पर कब्जा कर सकती है. दरअसल साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस हार ने 2011 के वनडे वर्ल्ड कप की कहानी को रिपीट किया है, जहां एमएस धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम चैम्पियन बनने में कामयाब रही थी.
2011 वर्ल्ड कप में भारत को अफ्रीका ने दी थी मात
आपको याद होगा कि साल 2011 के वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका ने भारत के खिलाफ जीत हासिल की थी. उसके बाद भारत एक भी मैच नहीं हारा था. उस 50 ओवर के वर्ल्ड कप में भारत ने साउथ अफ्रीका को 297 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे अफ्रीकी टीम दो गेंद बाकी रहते कुल 7 विकेट खोकर हासिल करने में कामयाब रही थी. इस बार के भी टी20 वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका ने 2 गेंद बाकी रहते जीत हासिल की है. यानी कि 2011 विश्व कप वाला संयोग एक बार भी फिर से बना है.
आयरलैंड ने तब भी ENG को किया था पराजित
यही नहीं साल 2011 के वर्ल्ड कप में भी इंग्लैंड को आयरलैंड की टीम ने हराया था. इस बार के भी टी20 वर्ल्ड कप में आयरलैंड ने इंग्लैंड को डकवर्थ लुईस नियम के तहत पांच रनों से पराजित किया है. 2011 के उस विश्व कप में बेंगलुरू में आयोजित मैच में इंग्लैंड ने 8 विकेट पर 327 रनों का बड़ा स्कोर बनाया था. जवाब में आयरलैंड ने तीन विकेट से मैच जीत लिया था. केविन ओ ब्रायन ने आयरलैंड के लिए 63 गेंदों पर 113 रनों की रिकॉर्डतोड़ पारी खेली.
भारत के प्रैक्टिस मुकाबलों में भी समानता
2022 टी20 वर्ल्ड कप से पहले आधिकारिक रूप से भारत के दो प्रैक्टिस मैच निर्धारित थे. पहला मेजबान ऑस्ट्रेलिया और दूसरा न्यूजीलैंड टीम के खिलाफ. 2011 के वर्ल्ड कप में भी ठीक ऐसा ही था जहां भारत ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से प्रैक्टिस मैच खेला. खास बात यह है कि नीदरलैंड और बांग्लादेश की टीम 2011 के वर्ल्ड कप में भारत के ग्रुप में ही थी. इन सभी संयोंगों से ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय टीम 2011 वर्ल्ड कप की तरह अबकी बार खिताब जीत सकती है, भले ही फॉर्मेट अलग-अलग हो.