टी-20 वर्ल्ड कप 2022 के लिए जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची थी, तब भारतीय फैन्स को भरोसा था कि इस बार तो यह कप हमारा ही होगा. कप्तान रोहित शर्मा, कोच राहुल द्रविड़ की अगुवाई में बड़ी उम्मीदों के साथ टीम के 15 खिलाड़ी इतिहास रचने के लिए पहुंचे थे. भारतीय टीम सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन वर्ल्ड कप नहीं जीत सकी. गम और गुस्सा फैन्स में दिखा, लेकिन अब यहां से सीखने और फिर उसपर अमल करने की बारी है.
टी-20 वर्ल्ड कप 2022 से भारतीय टीम किस तरह के सबक ले सकती है, जो आगे जाकर टी-20 क्रिकेट में उसके काम आ सकते हैं, नज़र डालिए...
1. टी-20 खेलने का तरीका
भारतीय टीम के टी-20 खेलने के तरीके पर लंबे वक्त से सवाल खड़े हो रहे हैं. रोहित शर्मा जब कप्तान बने, तब उन्होंने इसे बदलने की कोशिश की. रोहित ने पहली बॉल से ही एग्रेसिव खेल की बात की, लेकिन यह फॉर्मूला नहीं चला. टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ा सबक इंग्लैंड टीम से ही मिलता है, जिसने पिछले कुछ साल में अपने व्हाइट बॉल खेलने का तरीका बदला है. टी-20 वाले प्लेयर उस टीम का हिस्सा हैं, वनडे के लिए अलग टीम है और टेस्ट के लिए बिल्कुल अलग थीम है. शायद, भारत के लिए भी अब यही फॉर्मूला अपनाने का वक्त आ गया है.
2. प्लेइंग-11 ना बदलने की जिद
टीम इंडिया ने टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में जितने भी मैच खेले, उसमें अपनी प्लेइंग-11 में काफी कम बदलाव किए. विनिंग कॉम्बिनेशन ना बदलने की थ्योरी यहां लागू होती नज़र आई, लेकिन मैदान, पिच और विरोधी टीम को देखते हुए बदलाव भी जरूरी हो जाते हैं हालांकि टीम इंडिया इन चीज़ों से भी बचती हुई नज़र आई. रविचंद्रन अश्विन की जगह युजवेंद्र चहल, दिनेश कार्तिक की जगह ऋषभ पंत को ना खिलाने की जिद टीम इंडिया को भारी पड़ती दिखी.
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3. लगातार प्रयोग कैसे अंत में भारी पड़े
भारतीय टीम ने राहुल द्रविड़ की अगुवाई में लगातार कई बदलाव और प्रयोग किए. पिछले एक साल में आधा दर्जन से अधिक कप्तान, एक दर्जन ओपनिंग जोड़ी और करीब दो दर्जन खिलाड़ियों को टीम में मौका मिला. लेकिन अंत में जब टी-20 वर्ल्ड कप की बारी आई तब वही पुरानी टीम चुनी गई, जो शायद एक साल पहले भी चुनी जाती. ऐसे में प्रयोग धरे के धरे रह गए, युवा खिलाड़ियों को मौका मिला लेकिन वर्ल्ड कप में जगह नहीं बना पाए.
4. वर्कलोड मैनेजमेंट का सही इस्तेमाल
वर्कलोड मैनेजमेंट के नाम पर पिछले एक साल में बड़े क्रिकेटर्स को लगातार आराम मिला है. विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, रविचंद्रन अश्विन समेत कई सीनियर क्रिकेटर हैं, जिन्हें हर दूसरी या तीसरी सीरीज़ में आराम मिल रहा होता है. ऐसे में युवा क्रिकेटर्स को मौका मिलता है, कोई परफॉर्म करता है तो उसे मौका मिलेगा या नहीं ये पक्का नहीं है, क्योंकि सीनियर क्रिकेटर की वापसी पर उसकी ही जगह तय है. ऐसे में वर्कलोड मैनेजमेंट को सही से इस्तेमाल करना भी एक बड़ी चुनौती है.
5. बड़े नाम का बड़ा काम भी जरूरी
टीम इंडिया की प्लेइंग-11 में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी शामिल रहे, जो शायद अपने नाम और रुतबे की वजह से लगातार बरकरार रहे. रोहित शर्मा, केएल राहुल लगातार फ्लॉप होने के बावजूद टी-20 टीम का हिस्सा हैं, जबकि दोनों के ही स्ट्राइक रेट पर लंबे वक्त से सवाल खड़े उठ रहे हैं. रविचंद्रन अश्विन, दिनेश कार्तिक का टी-20 वर्ल्ड कप 2022 टीम में शामिल होना और उनकी जगह अन्य प्लेयर्स की जगह जाना भी बड़ा सवाल रहा.