भारत और श्रीलंका के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज टीम इंडिया ने 2-1 से जीती और 22 साल बाद कोलंबो फतह किया. टीम इंडिया के नए टेस्ट कप्तान विराट कोहली की पहली टेस्ट सीरीज जीत का पूरा श्रेय तीन गेंदबाजों अश्विन, मिश्रा और ईशांत को जाता है. जीत की इस तिकड़ी ने आपस में कुल 49 यानी 80 फीसदी विकेटें बांट लीं. पहला टेस्ट हारने के बावजूद श्रीलंकाई टीम को दो बार आउट करने से भारतीय गेंदबाज नहीं चूके. सीरीज जीत की कहानी यहीं से लिख दी गई और फिर अगले दो टेस्ट के दौरान भी भारतीय गेंदबाजों ने मेजबान टीम के एक एक बल्लेबाजों को पवेलियन की राह पकड़ाई.
अश्विन ने सीरीज में दो बार पारी में पांच विकेटों समेत कुल 21 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. यानी एक तिहाई श्रीलंकाई बल्लेबाजों का उन्होंने अकेले सफाया किया. स्पिन गेंदबाजों की धरती पर ईशांत भी खूब गरजे. उन्होंने सीरीज में 13 विकेटें ली. पहले दो टेस्ट में क्रमशः दो और तीन विकेट लेने वाले ईशांत तीसरे टेस्ट कहर बनकर लंकाई बल्लेबाजों पर गिरे और पहली पारी में आधी श्रीलंकाई टीम को तो दूसरी पारी में इसके तीन अहम बल्लेबाजों को चलता किया.
टीम के दूसरे स्पिनर अमित मिश्रा ने भी अपनी फिरकी पर लंकाई बल्लेबाजों को खूब नचाया. उन्होंने सीरीज में 15 शिकार किए. वो भले ही किसी भी पारी में पांच विकेट नहीं ले सके लेकिन विकेट जरूर चटकाते रहे. श्रीलंका की ओर से सबसे अधिक रन बनाने वाले चांदीमल को उन्होंने सीरीज में दो बार आउट किया. टीम में उनकी अहमियत का पता इसी से चलता है कि उन्होंने टीम इंडिया की सबसे बड़ी सिरदर्दी रहे पुछल्ले बल्लेबाजों को जमने नहीं दिया. अश्विन और मिश्रा ने तो बल्ले के साथ भी श्रीलंका को परेशान किया. अश्विन ने सीरीज के दौरान 21 विकेट लिए जो किसी भी भारतीय का श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में एक नया रिकॉर्ड भी है. अपने शानदार प्रदर्शन के लिए वो ‘मैन ऑफ द सीरीज’ भी चुने गए.
सीरीज शुरू होने से पहले ही कप्तान विराट कोहली ने कहा भी था और क्रिकेट में कहा भी जाता रहा है कि टेस्ट में विपक्षी टीम के सभी 20 विकेट लेने वाली ही टीम जीत की सही हकदार होती है और टीम इंडिया ने पूरी सीरीज के दौरान इसका बखूबी प्रदर्शन भी किया.