क्रिकेट की दुनिया में एक कहावत है, 'कैचेज विन मैचेज' . जिन टीमों ने क्रिकेट में जीत हासिल की है उनके खिलाड़ियों ने कई ऐसे कैच पकड़े जिनसे मैच का पासा ही पलट गया. इनमें से एक कैच ऐसा था जिसने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी भारत की झोली में डाल दी.
ऑलराउंडर और कप्तान कपिल देव ने 1983 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ शानदार खेल दिखाया. उन्होंने मदन लाल की एक स्विंग करती गेंद पर दौड़ते हुए एक कैच पकड़ा और भारत की जीत आसान कर दी. यह कैच था महान बल्लेबाज विव रिचर्ड्स का. इस कैच को पकड़ने के लिए कपिल ने लंबी दौड़ लगाई और गेंद पर अपनी नजर गड़ाए रखी. यह कैच ऐसा था कि इसने जीत की दिशा बदल दी और वेस्ट इंडीज टीम से कप छीन लिया.
इस बार ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका को वर्ल्ड कप का जबरदस्त दावेदार माना जा रहा है और इसका कारण भी यही है. अपने समय के शानदार खिलाड़ी जैरन लेहमन का कहना है, 'इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर आपकी टीम सबसे अच्छी फील्डिंग करती है तो वर्ल्ड कप जीतने का आपके लिए बढ़िया मौका है.' इसलिए ऑस्ट्रेलिया को इसका प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
इसी तरह साउथ अप्रीका भी फील्डिंग के मामले में किसी से कम नहीं है. उसके सभी खिलाड़ी बेहतरीन फील्डिंग करते हैं और अमूमन कोई कैच छोड़ते नहीं. साउथ अफ्रीका को इस बात का श्रेय है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फील्डिंग का नया मानदंड उन्होंने ही स्थापित किया. चीते जैसी फुर्ती वाले जोंटी रोड्स को भला कौन भूल सकता है जो बल्लेबाज के बल्ले से गेंद टकराते ही उसे पकड़ सकते थे! उन्होंने सारी दुनिया में फील्डिंग का स्टैंडर्ड ऊंचा कर दिया.
जोंटी रोड्स भारतीय क्रिकेट टीम के कोच भी रहे थे. उनकी देख रेख में विराट कोहली, शिखर धवन, गौतम गंभीर वगैरह ने अपनी फील्डिंग का स्तर बढ़ाया है. गौतम गंभीर तो अब टीम से बाहर हैं. लेकिन बाकी दोनों टीम में हैं. विराट की फील्डिंग बहुत ही बढ़िया रही है लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनमें वह बिजली वाली तेजी नहीं दिख रही है. उनके लिए यह जरूरी है कि अपनी फील्डिंग को और मजबूत करें क्योंकि भारतीय टीम इस समय घातक गेंदबाजों की कमी से जूझ रही है. विराट और धवन के अलावा जडेजा भी बेहतरीन फील्डिंग करते रहे हैं. उनसे भी काफी उम्मीदें हैं.
इस बार भारत की समस्या है उसकी गेंदबाजी. उसके पास ऐसा कोई गेंदबाज नहीं है जो कहर बरपा दे. ऐसे में फील्डरों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. एक भी कैच छोड़ना महंगा पड़ सकता है. हर खिलाड़ी को चाक चौबंद रहना होगा और अपनी फील्डिंग में एक्स्ट्रा कुछ देना होगा. हर कैच, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो, लपकना होगा. इस बार हमें युवराज सिंह की भी कमी खलेगी जो एक बेहतरीन फील्डर हैं. उनकी अनुपस्थिति में अब यह दारोमदार जडेजा पर है जो बढ़िया फील्डिंग करते हैं.
वर्ल्ड कप के एक मैच में सबसे ज्यादा कैच लेने का रिकॉर्ड भारत के मोहम्मद कैफ के नाम है. उन्होंने 2002-03 वर्ल्ड कप में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए वनडे में चार कैच लिए. टीम इंडिया के एकनाथ सोल्कर और यजुवेंद्र सिंह की चीते जैसी फील्डिंग के कारण भारत ने प्रतिद्वंद्वियों को परेशानी में डाले रखा. भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी एक पारी में पांच कैच लेने का एक रिकॉर्ड बनाया था.
अगर भारत को यह कप जीतना है तो सभी खिलाड़ियों को इसका ध्यान रखना होगा कि कोई भी कैच ना छूटे. हर छूटा हुआ कैच उसे कप से दूर करता जाएगा.