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टीम को अलविदा कहते वक्त रो पड़े थे धोनी

मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम ने क्रिकेट इतिहास के ना जाने कितने ऐतिहासिक और यादगार लम्हों को देखा होगा. लेकिन 30 दिसंबर तो यहां के जर्रे-जर्रे में बस गया. ये कोई आम क्रिकेट मैच नहीं था. लेकिन इसकी भनक ना तो टीम इंडिया के किसी खिलाड़ी को थी और मेजबान टीम को. बस टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के सिवा.

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महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)
महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)

मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम ने क्रिकेट इतिहास के ना जाने कितने ऐतिहासिक और यादगार लम्हों को देखा होगा. लेकिन 30 दिसंबर तो यहां के जर्रे-जर्रे में बस गया. ये कोई आम क्रिकेट मैच नहीं था. लेकिन इसकी भनक ना तो टीम इंडिया के किसी खिलाड़ी को थी और मेजबान टीम को. बस टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के सिवा.

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कप्तान नंबर वन धोनी ने सफेद जर्सी को कहा अलविदा

जब मेलबर्न के इस मैदान में आखिरी बॉल खेलकर धोनी वापस पवेलियन लौट रहे थे तो वो बेहद सामान्य थे. हालांकि तब तक धोनी ने कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए. सबसे ज्यादा स्टंपिंग करने वाले विकेटकीपर बन गए. टेस्ट, वनडे और टी-20 मिलाकर तीनो फॉर्मेट में दस हजार से ज्यादा रन बनाने वाले कप्तान बन गए. लेकिन जिस धोनी को वर्ल्ड कप जीतने के बाद जमाने ने बिल्कुल शांत देखा, वो भला इन कामयाबियों पर क्या जश्न मनाता. सच तो ये है कि धोनी के जेहन में कुछ और घुमड़ रहा था. कुछ ऐसा, जो टीम इंडिया के क्रिकेट इतिहास में सबसे बडा भूचाल लाने वाला था.

ये एहसास किसी को नहीं था कि अब सफेद जर्सी का चोला धोनी उतार चुके हैं और मेलबर्न का ये स्टेडियम इस लिहाज से इतिहास में दर्ज हो गया कि हिंदुस्तान के सबसे कामयाब कप्तान ने टेस्ट का बल्ला यहीं पर छोड़ दिया.

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टीम इंडिया तो इस बात से राहत की सांस ले रही थी कि चलो हार से तो बच गए. लेकिन धोनी के दिलोदिमाग में बड़ी उथल पुथल मची थी. हालांकि वो ऊपर से बिल्कुल सामान्य दिख रहे थे. उसी वक्त ड्रेसिंग रुम में धोनी ने बीसीसीआई के सचिव संजय पटेल को फोन लगा दिया.

धोनी- संजय, मैं धोनी बोल रहा हूं...कैसे हैं आप...
संजय- मैं अच्छा हूं...अचानक आपने फोन क्यों किया..
धोनी- मैंने टेस्ट की कप्तानी छोड़ने का मन बना लिया है...
संजय- अरे... ऐसा क्या हुआ, जो इतना बड़ा फैसला आपने ले लिया...
धोनी- यही नहीं, मैं तो टेस्ट से संन्यास भी लेने जा रहा हूं...
संजय- क्या हुआ धोनी...क्या आप चोटिल हैं या कोई और बात है...
धोनी- नहीं, मैंने फैसला किया है तो कुछ सोच समझकर किया है...
संजय- अच्छा...
धोनी- लेकिन आप अभी इसका एलान मत कीजिएगा...पहले मैं अपने साथी खिलाडियों को अपने फैसले से वाकिफ कराऊंगा...

लेकिन संजय से बात करने के बाद धोनी अपने साथी खिलाडियों को अपने सबसे बड़े फैसले से वाकिफ कराते, उससे पहले उन्होंने अपना एक फर्ज अदा किया. बेहद शांत अंदाज में वो पत्रकारों के बीच गए. जब धोनी मेलबर्न टेस्ट में अपनी टीम की कामयाबी-नाकामी के बारे में बता रहे थे, उस वक्त उनके चेहरे पर कोई ऐसा भाव नहीं था कि वो शरीफों के खेल की सफेद जर्सी उतारने का फैसला कर चुके हैं.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई. साथी खिलाड़ियों ने सोचा कि धोनी अब सिडनी विजय की रणनीति बनाएंगे. लेकिन यहां धोनी अब कुछ और करने जा रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस से निकले तो ड्रेसिंग रूम में अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों को बुलाया. धोनी ऊपर से तो सामान्य दिख रहे थे, लेकिन अंदर भावुकता का समंदर उमड़ रहा था. खुद को संभालते हुए धोनी ने अपने टीम मेंबर से कहा- दोस्तों, मैं टेस्ट क्रिकेट छोड़ रहा हूं.

इन सात शब्दों ने यंगिस्तान के तमाम रनवीरों को सात पाताल की गहराई में धकेल दिया. कौन सोच सकता था कि धोनी एक झटके में टेस्ट को अलविदा बोल देंगे.

धोनी 100 टेस्ट से महज 10 कदम की दूरी पर थे. एक रिकॉर्ड के लिए दस टेस्ट और खेल सकते थे. या फिर वर्ल्ड कप के बाद धोनी इस्तीफा दे सकते थे.

लेकिन आंकड़ों और रिकॉर्ड की भूलभुलैया में भटके, वो कोई भी हो जाए धोनी नहीं हो सकता. दुनिया को पता है कि धोनी ना किसी फेयरवेल के भूखे हैं, ना धूमधड़ाके ना किसी बूम के. किसी भी खिलाड़ी ने नहीं सोचा था कि धोनी अचानक आएंगे और इतना बड़ा....वाकई इतना बड़ा फैसला सुना देंगे.

जो जहां खड़ा था, वही सन्न रह गया. चाहे अगले कप्तान विराट कोहली हों या गब्बर कहे जाने वाले शिखर धवन. या फिर अजिंक्य रहाणे हों या चेतेश्वर पुजारा या फिर वो राहुल, जिसे धोनी ने नंबर 3 पर उतारा था.

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सभी भावुक...सभी खामोश...लेकिन ड्रेसिंग रूम की वो खामोशी सबसे ज्यादा चीख रही थी. जिस कप्तान ने टेस्ट में टीम को नंबर 1 बनाया. उसने ना कोई दलील दी, ना अपील सुनी, बस सीधे आया और अपना फैसला कर लिया.

चेहरे पर बगैर कोई भाव लाए धोनी ने बड़े बडे़ फैसले किए. विवादों को झेला. विरोधी टीम के हमले से जूझते रहे. जीता लेकिन जीत की खुशी में कुलांचे नहीं भरा. लेकिन टीम को अलविदा कहते हुए धोनी के आंखों ने भी उनका साथ नहीं दिया, वो रो पड़े, फिर तो टीम के लिए भी अपने आंसुओं को संभालना मुश्किल हो गया.

 

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