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धोनी पर किया कमेंट तो ट्रोल हुए प्रसाद, लोग बोले- एक स्टंपिंग करके दिखाओ

एमएसके प्रसाद ने हाल ही में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लगभग अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर वो अच्छा नहीं खेलेंगे तो उनके विकल्प की तलाश करनी पड़ सकती है. प्रशंसक एमएसके प्रसाद के बयान से भड़क गए हैं.

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एमएस धोनी और चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद
एमएस धोनी और चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद

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टीम इंडिया के चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने हाल ही में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लगभग अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर वो अच्छा नहीं खेलेंगे तो उनके विकल्प की तलाश करनी पड़ सकती है. प्रशंसक एमएसके प्रसाद के बयान से भड़क गए हैं और उन्होंने प्रसाद के खिलाफ जमकर अपना गुस्सा जाहिर किया. प्रसाद के इस बयान के बाद प्रशंसकों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसाद को जमकर खरी-खोटी सुनाई. कई यूजर्स ने तो प्रसाद को अपने करियर में झांकने की सलाह तक दे डाली.

एक यूजर ने बेहद गुस्से में लिखा, ”धोनी बिना कुछ किए टीम में नहीं रह सकते, एमएसके प्रसाद. बीसीसीआई आपको प्रसाद से एक स्टंपिंग करके दिखाने के लिए कहना चाहिए. जैसे उनके रिकॉर्ड हैं वो क्रिकेट स्टेडियम में दाखिल होने लायक भी नहीं हैं.

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एक अन्य यूजर ने लिखा, बीसीसीआई जिसने सिर्फ 6 टेस्ट और 17 वनडे खेले हैं, वो कैसे युवराज, रैना और धोनी के बारे में कुछ भी कह सकता है.

आपको बता दें कि धोनी के बारे में बोलते हुए प्रसाद ने कहा था, अगर एमएस अच्छा खेलते हैं तो उन्हें चुनने में क्या तकलीफ है. लेकिन हां, अगर वो अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहते हैं तो हम उनके विकल्पों की तलाश कर सकते हैं. धोनी के भविष्य के बारे में पूछने पर मुख्य चयनकर्ता ने कहा कि इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है लेकिन जब तब वो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तब तक किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.

अब प्रसाद ने लीजेंड धोनी पर टिप्पणी कर दी थी तो प्रशंसकों का गुस्सा होना स्वभाविक ही था. ट्विटर पर प्रशंसकों ने प्रसाद को ट्रोल करना शुरू कर दिया. कोई प्रसाद को उनके क्रिकेट करियर के आंकड़े दिखा कर सवाल पूछ रहा था तो कोई फनी ट्वीट कर रहा था. सोशल मीडिया पर लोग प्रसाद को कई तरह की सलाह दे रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि जिस तरह के प्रसाद के रिकॉर्ड हैं उन्हें किसी बड़े खिलाड़ी के बारे में फैसला लेने का कोई हक नहीं है.

 

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