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महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में मिली जीत जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे

टीम इंडिया के कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा से पूरा क्रिकेट जगत हतप्रभ रह गया. भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान ने हमें कई यादगार जीत दिलाई है. चलिए हम आज धोनी की कप्तानी में मिली उन पांच जीत को याद करते हैं तो कई मायनों में हैं खास.

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महेंद्र सिंह धोनी
महेंद्र सिंह धोनी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. अचानक उनके संन्यास की घोषणा से पूरा क्रिकेट जगत हतप्रभ रह गया. 60 टेस्ट में भारतीय टीम की बागडोर थामने वाले धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने जहां 27 टेस्ट में जीत हासिल की वहीं 18 टेस्ट में टीम को हार का सामना करना पड़ा.

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चलिए हम आज धोनी की कप्तानी में मिली उन पांच जीत को याद करते हैं तो कई मायनों में हैं खास. इन्हें हम धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को मिली पांच बेहतरीन जीत में रख सकते हैं.

कप्तानी के पहले टेस्ट में ही मिली जीत
महेंद्र सिंह धोनी को 2008 में टीम इंडिया की बागडोर तब के सबसे सफलतम टेस्ट कप्तान सौरव गांगुली से लेकर दी गई थी. धोनी के नेतृत्व में भारत ने पहला मैच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेला. सामने थी दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीम. भारतीय गेंदबाजों ने अफ्रीकी बल्लेबाजों को पहली पारी में जमने नहीं दिया और पूरी टीम केवल 265 रनों पर आउट हो गई. हालांकि टीम इंडिया पहली पारी में केवल 60 रनों की बढ़त ले सकी लेकिन फिर टर्बनेटर भज्जी ने अफ्रीकी टीम को अपनी फिरकी पर खूब नचाया और दूसरी पारी में मेहमान टीम केवल 121 रनों पर ढेर हो गई.

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भारत को अपने नए टेस्ट कप्तान के नेतृत्व में पहले ही टेस्ट मैच में जीत मिल गई और इसके साथ ही शुरू हुई कैप्टन कूल की सफलता की कहानी.

विदेश में जीत का पहला स्वाद
धोनी की कप्तानी में भारत ने अपने पहले चार टेस्ट में जीत हासिल की. इंग्लैंड के खिलाफ पांचवा टेस्ट ड्रॉ रहा. ये सभी टेस्ट भारत में खेले गए थे. इसके बाद आई बारी पहली विदेशी दौरे की. टीम इंडिया को न्यूजीलैंड दौरे पर तीन टेस्ट खेलना था. पहला टेस्ट हैमिल्टन में खेला गया. न्यूजीलैंड ने पहली पारी में राइडर और कप्तान विटोरी के शतकों की मदद से 279 रन बनाए. जवाब में टीम इंडिया ने 520 रन बना डाले. इस बड़े स्कोर की वजह रहे सचिन तेंदुलकर जिन्होंने बेहतरीन 160 रन बनाए और कप्तान धोनी. इन दोनों ने छठे विकेट के लिए 115 रन जोड़े और टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. धोनी ने 47 रनों का योगदान दिया.

पहली पारी में 241 रनों से बढ़त लेकर टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को दूसरी पारी में एक बार फिर 279 रनों पर ही ऑल आउट कर दिया. जीत के हीरो एक बार फिर हरभजन रहे जिन्होंने अपनी उंगलियों के करिश्मे से दूसरी पारी में छह बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. अगले दो टेस्ट ड्रॉ रहे और इस प्रकार विदेशी धरती पर धोनी की कप्तानी में पहली जीत के साथ ही सीरीज भी भारत के नाम हो गई.

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2010-11 में वेस्टइंडीज में जीते
अब तक टीम इंडिया ने धोनी की कप्तानी में खेले गए 24 टेस्ट में से 14 टेस्ट जीत हासिल कर ली थी. 2010-11 में भारत वेस्टइंडीज के दौरे पर गया. यहां 25वां टेस्ट था सबिना पार्क, जमैका में. रिकॉर्ड भारत के पक्ष में नहीं था. यहां खेले गए 10 टेस्ट में से भारत 6 हार चुका था. लेकिन 2006 में द्रविड़ की कप्तानी में सबिना पार्क में खेले गए अंतिम टेस्ट में भारत जीत चुका था और यह धोनी जानते थे.

भारत ने इस टेस्ट में पहले बल्लेबाजी की और 246 रन बनाए. धोनी ने वेस्टइंडीज की पहली पारी में चार गेंदबाजों प्रवीण कुमार, ईशांत शर्मा, अमित मिश्रा और हरभजन सिंह का इस्तेमाल किया और पूरी टीम को 173 रनों पर समेट दिया. इसके बाद सबिना पार्क में पिछली जीत के हीरो राहुल द्रविड़ एक बार फिर अपने शानदार रंग में दिखे. 73 रनों की लीड ले चुकी टीम इंडिया ने द्रविड़ के 112 रनों की बदौलत 252 रन बनाए वेस्टइंडीज को 262 पर ऑल आउट कर टेस्ट 63 रनों से जीत लिया. इसके बाद के दोनों टेस्ट ड्रॉ रहे और विदेश में दूसरी सीरीज अपने नाम की.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक सीरीज जीत
वेस्टइंडीज में मिली जीत के बाद हालांकि टीम इंडिया का लय कुछ बिगड़ सा गया और टीम इंग्लैंड में 4-0 से और ऑस्ट्रेलिया में 3-0 से हार गई. यहां तक की घरेलू पिचों पर इंग्लैंड ने भारत को हरा दिया. लेकिन इसके बाद आई वो सीरीज जब भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से हराया.

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बॉर्डर-गावस्कर सीरीज का पहला टेस्ट चेन्नई के चिदंबरम स्टेडियम में खेला गया. इसमें ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए कप्तान क्लार्क की शतक की मदद से 380 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया. इसके जवाब में टीम इंडिया की पहली पारी के दोनों ओपनर्स 12 रन तक चलते बने. 196 रन तक सचिन तेंदुलकर और पुजारा भी आउट हो गए.

यहां से कमान संभाली कप्तान धोनी ने. दूसरे छोर पर उनका साथ दे रहे थे विराट कोहली. कोहली ने 107 रन बनाए और धोनी ने 224. टीम इंडिया ने 572 रनों का पहाड़ खड़ा किया. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी 241 रनों पर सिमट गई. भारत ने जीत के लिए जरूरी 50 रन केवल दो विकेटों के नुकसान पर बनाए और 8 विकेट से जीत हासिल की. पहले टेस्ट में बड़ी जीत ने ऐसी लय बनाई कि टीम इंडिया ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज को 4-0 से जीत ली. कप्तान धोनी ने इस सीरीज में 81.50 की औसत से 326 रन बनाए.

इसके ठीक एक मैच पहले उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर टेस्ट में 99 (रन आउट) की बेहतरीन पारी खेली थी. हालांकि यह मैच ड्रॉ रहा था.

जब धोनी ने जीता लॉर्ड्स
2013 धोनी की कप्तानी का स्वर्णिम वर्ष रहा. इस साल भारतीय टीम ने खेले गए 8 में से 6 टेस्ट में जीत हासिल की. लेकिन इसके बाद 2014 में धोनी की कप्तानी में टीम जीत के लिए तरसती रही. इस साल टीम इंडिया ने टेस्ट मैचों में केवल एक जीत हासिल की है और वो भी क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर.

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टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए अजिंक्य रहाणे के शतक की बदौलत 295 रन बनाए. यह रहाणे का केवल 7वां टेस्ट मैच था और यहां उन्होंने अपने करियर का दूसरा शतक लगाया. जवाब में इंग्लैंड ने 319 रन बनाए, भुवनेश्वर कुमार ने 6 विकेट लिए. भारत ने दूसरी पारी में 342 रन बनाए. जीत के लिए 318 रनों का पीछा करने उतरी इंग्लैंड को ईशांत शर्मा ने टिकने नहीं दिया और पूरी टीम 223 रनों पर सिमट गई. ईशांत ने सात विकेट लिए और जीत के हीरो बने.

भारत ने इसके साथ ही इंग्लैंड में छठा टेस्ट जीता और धोनी की कप्तानी में पहला. हालांकि इसके बाद के सभी तीन टेस्ट भारत हार गया और सीरीज 3-1 से गंवा दी.

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