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विराट कोहली: टेस्ट का असली ‘किंग’, जिसने क्रिकेट की रुह को फिर से जिंदा किया

विराट कोहली अपना 100वां टेस्ट खेलने उतर रहे हैं. यह सिर्फ भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक पल है. मौजूदा दौर में विराट कोहली ने जिस तरीके से टेस्ट क्रिकेट खेला है, उन्हें क्रिकेट के सबसे पुराने और बड़े फॉर्मेट को फिर से जिंदा करने का श्रेय जाता है.

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Virat Kohli (Getty Images)
Virat Kohli (Getty Images)

कट 1: टी-20 का वर्ल्डकप जब दुनिया के सामने आया, तब किसी को भरोसा नहीं था कि यह फॉर्मेट हद से ज्यादा फेमस हो जाएगा. फिर उस पहले वर्ल्डकप को भारत ने जीत लिया, वही भारत जहां क्रिकेट को धर्म माना जाता है. पहली ही ट्रॉफी भारत की झोली में आई, तो यहां के करोड़ों फैन्स ने इस फॉर्मेट को अपने दिल से लगा लिया. क्रिकेट जगत को चिंता हुई, टी-20 कुछ वक्त में टेस्ट क्रिकेट को खत्म कर देगा. 

कट 2: रिकी पोंटिंग के अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया की टीम क्रिकेट की दुनिया पर अपना दबदबा बनाए हुए थी. रिकी पोंटिंग की सेना को हराना मतलब क्रिकेट के साथ-साथ साम-दाम-दंड-भेद की नीति का सामना करना भी था. साल 2008 के दौरे पर भारत यह झेल चुका था, तब भारत के क्रिकेट फैन्स की बस यही आस थी कि भारतीय खिलाड़ी भी ऑस्ट्रेलिया को उसी की भाषा में जवाब दें.

कट 3: साल 2021 भारतीय टीम जब ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंची, तब वह एक सिर्फ साधारण दौरे पर नहीं थी. वह पिछले दौरे की चैम्पियन टीम थी, क्योंकि उसने साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में मात दी थी. टीम का कप्तान विराट कोहली, पूरा ऑस्ट्रेलिया का मीडिया सिर्फ और सिर्फ उसी की नज़र पर थीं. जो दिखा रहा था पूरा ऑस्ट्रेलियाई मीडिया सिर्फ एक खिलाड़ी से खौफ खाता है, विराट कोहली. 

ये एक फिल्म की कहानी है. जो पर्दे पर नहीं असल जिंदगी में जी गई. इस फिल्म में अलग-अलग कट हैं, अलग-अलग किरदार हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ा खेल यह है कि इस फिल्म का हीरो और विलेन एक ही व्यक्ति है, वो है विराट कोहली. मोहाली में जब भारतीय टीम रोहित शर्मा की अगुवाई में श्रीलंका के खिलाफ मुकाबला लड़ रही है, तब इतिहास रचा जा रहा है. विराट कोहली अपने करियर का 100वां टेस्ट मैच खेल रहे हैं. 

दुनिया में उनसे पहले 70 खिलाड़ी और भारत में उनसे पहले 11 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो यह कारनामा कर चुके हैं. लेकिन फिर ऐसा क्या है कि जब दुनिया में एक तरफ युद्ध चल रहा है, रोज सड़कों पर मिसाइलें दागी जा रही हैं. तब क्रिकेट वर्ल्ड (यानी वो देश जहां क्रिकेट को खेला जाता है) सिर्फ मोहाली पर नज़रें गढ़ाए हुए है. 

कट-1 में जिस टी-20 फॉर्मेट के उदय की बात हुई, उसी के साथ विराट कोहली का भी उदय हुआ. साल 2008 में विराट कोहली की अगुवाई में भारत ने अंडर-19 वर्ल्डकप जीता था, दिल्ली का एक लड़का अपनी कप्तानी में टीम को वर्ल्डकप जिता लाया. टीवी स्क्रीन पर उसका एग्रेशन, मैदान पर गालियां देना सुर्खियों में आ गया. साल 2009 में वो लड़का वनडे टीम में आया, कुछ ही वक्त में टीम का अहम हिस्सा भी बन गया. 

साल 2011 में विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू हो गया. 100वें टेस्ट का जो जश्न मनाया जा रहा है, उसकी असली कहानी यहां पर ही शुरू होती है. 20 जून, 2011. किंग्सटन में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच टेस्ट मैच खेला गया. विराट कोहली का इसमें डेब्यू हुआ और यकीन मानिए कि यह सिर्फ किसी एक खिलाड़ी का डेब्यू नहीं था, वह टेस्ट क्रिकेट के फिर से उदय होने की कहानी थी. क्योंकि टी-20 के चरम पर आने, 2011 का वर्ल्डकप जीतने के बाद क्रिकेट पंडितों को चिंता थी कि अब दर्शक 5 दिन मैदान में मैच देखने नहीं आएगा, क्योंकि वह तीन घंटे में पूरा मज़ा लूट लेना चाहता है. 

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क्रिकेट का एंग्री यंगमैन

लेकिन यहां विराट कोहली का किरदार शुरू होता है. अपने पहले ही टेस्ट मैच में विराट कोहली ने बता दिया कि वो किस अंदाज़ का क्रिकेट खेलेंगे. कट-2 में जिस साम-दाम-दंड-भेद की बात कही गई, विराट कोहली उसी पर आगे बढ़े. वेस्टइंडीज़ के फिडेल एडवर्ड्स बॉलिंग कर रहे थे, विराट कोहली को लगातार बाउंसर मार रहे थे. और विराट कोहली हंसते हुए उन्हें फ्लाइंग किस कर रहे थे. पहले मैच का कोई प्रेशर नहीं, अपना ज़ोन और अपना ही तरीका. 

साल 2011 से साल 2022 हो गया है, पहला मैच अब 100वां मैच तक का सफर पूरा कर चुका है और विराट कोहली का अंदाज़ वही है. विराट कोहली की ताकत भी यही है, जिसने टेस्ट क्रिकेट को ज़िंदा किया है. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड में जब भी टेस्ट क्रिकेट खेला जाता है, तब टीवी पर अक्सर स्टैंड्स फुल दिखाई पड़ते हैं, वहां लोग अभी भी स्कोरशीट लेकर आते हैं और पांचों दिन एक-एक बॉल को मार्क करते हैं. 

भारत में टेस्ट क्रिकेट के इसी जोश को विराट कोहली ने ज़िंदा किया. विराट कोहली ने खुद कई बार कहा है, ‘जब तक मैं मैदान पर जोश में ना रहूं, दर्शकों के साथ उन्हें ना मिले तबतक मज़ा नहीं आता. पूरे जोश के साथ मैदान पर उतरना ही सबसे बड़ा मोटिवेशन है क्योंकि टेस्ट ही क्रिकेट की असली रुह है.’ 

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Virat Kohli (AP)


विराट कोहली- हीरो भी-विलेन भी

क्रिकेट के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देने वाले विराट कोहली की शुरुआत बैडबॉय इमेज के साथ ही हुई. अपनी ही फिल्म का हीरो भी और विलेन भी. विराट कोहली 2011-2012 में ऑस्ट्रेलिया गए, भारत ने चार मैच की सीरीज़ 4-0 से ही हारी. ये वही सीरीज़ थी, जब भारत ने इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया दोनों जगह क्लीन स्वीप का सामना किया और एमएस धोनी को कप्तानी से हटाने की बात होने लगी. लेकिन यह दौरा विराट कोहली के लिए याद किया गया, क्योंकि हीरो और विलेन यहीं से निकला.

सीरीज का दूसरा टेस्ट सिडनी में खेला जा रहा था, ऑस्ट्रेलिया के दर्शक अपने ही अंदाज़ में फील्डिंग कर रहे विराट कोहली को चिढ़ा रहे थे और कोहली ने उन्हें मिडिल फिंगर दिखा दी. तस्वीर आग की तरह फैली, ऑस्ट्रेलिया की हर अखबार ने उस तस्वीर को छापा और विराट कोहली पर बैडबॉय का ठप्पा लग गया. मैच रैफरी रंजन मुदगुले ने उसी के बाद विराट कोहली को बुलाया और पूछा कि ये सब क्या था. 

विराट कोहली ने जवाब दिया, दर्शकों के साथ सिर्फ हल्का-सा बैंटर. मैच रैफरी ने ऑस्ट्रेलिया की अखबारों का फ्रंटपेज दिखाया. विराट ने तुरंत मांगी माफी और कहा ‘मुझे माफ कर दीजिए, प्लीज़ मुझे बैन मत कीजिए’. इसी सीरीज़ का आखिर टेस्ट जिसने इस माफी का बदला लिया. एडिलेड का टेस्ट जहां ऑस्ट्रेलिया की तरफ से पहली पारी में दो-दो दोहरे शतक जड़े गए. रिकी पोंटिंग और माइकल क्लार्क ने भारतीय बॉलर्स की जमकर तुड़ाई की, जवाब में टीम इंडिया लड़खड़ा गई. छठे नंबर पर विराट कोहली बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को मुंहतोड़ जवाब दिया.

विराट कोहली ने अकेले लड़ाई लड़ी और अपने करियर का पहले टेस्ट शतक जड़ दिया. ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में उसी के अंदाज़ में जवाब. विराट कोहली ने शतक पूरा किया, गुस्से से चिल्लाए, मुक्का हवा में मारा, बल्ला हवा में लहराया और अंत में हंस दिए. बस यही विराट कोहली का उदय था, जिसने क्रिकेट के इतिहास को बदल दिया.  

विराट कोहली का ये जोश हर बार मैदान पर दिखा, हर जगह मैदान पर दिखा. यही वजह है कि इंग्लैंड में भी जब टेस्ट क्रिकेट खेला गया, जहां दर्शक वही पुरानी ब्रिटिश तौर-तरीकों से ही मैच को देखना पसंद करते हैं वहां भी विराट कोहली ने मैदान में जोश भरा. इंग्लैंड में टीम इंडिया की ‘भारत आर्मी’ काफी फेमस है, जिसने इंग्लैंड के मैदानों पर जोश भरने में काफी भूमिका भी निभाई. 

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Virat Kohli (Getty)


विराट कोहली- द लीडर

टीम इंडिया का कप्तान होना इतना आसान नहीं है, क्योंकि आपको 100 करोड़ क्रिकेट फैन्स एक विशेषज्ञ की तरह आपको जज कर रहे होते हैं. एक कप्तान का लीडर होना भी जरूरी है, जो सिर्फ क्रिकेट के मैदान तक सीमित ना रहे. विराट कोहली वही लीडर हैं, जिन्होंने खेल, टीम, खिलाड़ी और यहां तक कि फैन्स को भी लीड किया है. बतौर कप्तान उनकी फैसलों, नीतियों पर आप उनसे अलग राय रख सकते हैं लेकिन विराट कोहली ने जिन सात साल में टीम की कमान संभाली, वो भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास के सबसे स्वर्णिम काल का हिस्सा माना जाएगा. 

साल 2011 में विराट कोहली वर्ल्डकप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. इसी साल उनका टेस्ट डेब्यू भी हो गया था. विराट कोहली के बल्ले से हर ओर रन बरस रहे थे. वह पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उस साल के आईपीएल में गए, लेकिन बल्ला शांत हो गया. विराट कोहली के लिए एक नया बदलाव यहां से आया. क्योंकि उससे पहले विराट कोहली अपनी क्रिकेट ट्रेनिंग पर तो ध्यान देते थे, लेकिन फिटनेस ट्रेनिंग पर नहीं. आईपीएल के उसी सीजन के बाद विराट कोहली ने खुद से वादा किया कि वह इस हाल में एक अंतरराष्ट्रीय लेवल के क्रिकेटर नहीं बन सकते हैं. वहां से विराट कोहली ने अपनी फिटनेस, खाने-पीने और दिनचर्या में पूरी तरह से बदलाव कर दिया.

विराट कोहली आज फिटनेस फ्रीक हैं, देश में उनकी कई जिम चलती हैं. विराट कोहली का यही फिटनेस कल्चर टीम इंडिया में भी आया, जहां हर प्लेयर लगातार इसी तरह फिटनेस, डाइट पर फोकस करता है. यो-यो कल्चर भी इसी का एक हिस्सा है. विराट कोहली ही वो लीडर हैं, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में ऐसा बदलाव पैदा किया कि आज फुटबॉलर या एथलीट के बराबर की फिटनेस क्रिकेटर पैदा कर पा रहे हैं.

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क्रिकेट फील्ड पर विराट कोहली ने बतौर कप्तान ऐसे कई फैसले लिए हैं, जो गलत साबित हुए हैं. उनके फैसले लेने के तरीकों पर कई सवाल भी खड़े हुए हैं, खासकर तब जब आप किसी मुश्किल हालात में हो या किसी अहम टूर्नामेंट और बड़ी स्टेज पर हो. फिर भी बतौर कप्तान विराट कोहली का रिकॉर्ड बहुत बेहतर है. लेकिन विराट ने इस सबके बीच लीड करना नहीं छोड़ा. मोहम्मद शमी को ऑनलाइन ट्रोल ने निशाने पर लिया, विराट कोहली उनके लिए लड़ गए. किसी खिलाड़ी की बुरी फॉर्म आई और सवाल खड़े हुए तो विराट कोहली उसके लिए सामने खड़े रहे. 

विराट कोहली की सबसे बड़ी ताकत फैन्स हैं. मैदान पर अगर हज़ारों दर्शक हैं, तो विराट कोहली का अलग ही अंदाज़ आपको देखने को मिलेगा. फिर चाहे वो दर्शक आपके खिलाफ हो या फिर साथ. इंग्लैंड में क्राउड के साथ मज़े करना, ऑस्ट्रेलिया के क्राउड को चिढ़ाना, भारत में क्राउड से एक साथ तालियां बजवाना ताकी बॉलर का जोश बढ़ जाए, स्टीव स्मिथ को चिढ़ाने वाले क्राउड को चुप करवाना. विराट कोहली ने ऐसा बहुत कुछ क्रिकेट के मैदान पर किया है, टेस्ट क्रिकेट में भी किया है जिसने पांच दिन चलने वाले इस खेल को ज़िंदा किया है. 

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विराट कोहली- सबसे बड़ा सिकंदर 

पिछला कुछ वक्त विराट कोहली के लिए बेहतर नहीं गया. दो साल से उन्हें एक शतक का इंतज़ार है, बल्ला शांत हुआ तो विराट कोहली पर सवाल खड़े होने शुरू हुए. अब उनके हाथ से तीनों फॉर्मेट की कप्तानी भी चली गई. लेकिन ये सब विराट कोहली के उस औरे के सामने बहुत छोटा है, जो दुनिया ने पिछले डेढ़ दशक में देखा है. ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न समेत दुनिया के कई मौजूदा और पूर्व क्रिकेटर यह बात कह चुके हैं कि क्रिकेट वर्ल्ड को विराट कोहली का शुक्रिया करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को जिंदा किया है और वही मौजूदा दौर में टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े एम्बेसडर हैं. 

विराट कोहली के टेस्ट, वनडे और टी-20 में आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि उनसे बड़ा प्लेयर कोई नहीं हुआ, जिसने तीनों फॉर्मेट में एक साथ खेलते हुए एक दशक तक उसी रफ्तार से रन बनाए. हर फॉर्मेट में जान डाल दी और हर जगह अपना बेस्ट दिया. विराट कोहली पर कसे गए तमाम तंज, उनके लिए कही गईं तमाम आलोचनाएं एक तरफ हैं लेकिन बतौर क्रिकेटर विराट कोहली का जो ओहदा है, वह काफी बड़ा है. जिसके आगे दो साल के शतकों का सूखा, बैडबॉय की इमेज, कप्तानी के गलत फैसले सबकुछ छोटे दिखाई पड़ते हैं. 

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सचिन तेंदुलकर को मौजूदा पीढ़ी में कुछ लोगों ने देखा है, जिन्होंने देखा वह 2000 के बाद का दौर था. यानी सचिन तेंदुलकर ने 90’s के वक्त में जो कहर बरपाया और जब वह बूम कर रहे थे तब लोग उन्हें नहीं देख पाए. फिर भी क्रिकेट फैन्स और देश के लोगों के लिए सचिन तेंदुलकर एक इमोशन हैं.

विराट कोहली के साथ भले ही वो इमोशन पैदा ना हो पाए, लेकिन विराट कोहली सच में बहुत बड़े खिलाड़ी हैं जिसकी गवाही में उनके आंकड़े देते हैं. एक क्रिकेटर जिसने क्रिकेट की असली रुह यानी टेस्ट क्रिकेट को फिर नई पीढ़ी के सामने नए तरीके से ज़िंदा कर दिया.  

 

 

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