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कोहली-कुंबले में छह माह से बंद थी बात, लंदन में हार के बाद हुई थीं तीन मीटिंगें

बीसीसीआई के एक अफसर ने बताया कि विराट को लगता था कि कुंबले उनके अधिकारक्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं. दूसरी ओर टीम इंडिया के दिग्गज क्रिकेटर रह चुके कुंबले की अपनी अलग राय और आइडिया थे लेकिन अंतिम फैसला तो कप्तान का ही होता है.

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विराट कोहली-अनिल कुंबले
विराट कोहली-अनिल कुंबले

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वेस्ट इंडीज दौरे से ठीक पहले टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले के पद छोड़ने के ऐलान से हर कोई हैरान है और अब खबर आई है कि कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद इतने गहरे थे कि दोनों के बीच पिछले कुछ समय से नहीं बल्कि पूरे छह महीने से बातचीत बंद थी. बीसीसीआई ने दोनों के बीच विवाद खत्म करने की कोशिश की लेकिन वो बेअसर रही और कुंबले को जाना पड़ा.

हाल ही में खबर आई थी कि बीसीसीआई की चीफ एडवाइजरी कमेटी(सीएसी) जिसमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज शामिल हैं, ने कुंबले की कोच के रूप में भूमिका जारी रखने को हरी झंडी दी थी लेकिन बीसीसीआई सूत्रों के मुताबिक ये हरी झंडी भी सशर्त थी जिसमें कुंबले से विराट के साथ सारे मतभेद खत्म करने को कहा गया था.

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लंदन में इस पूरे घटनाक्रम के गवाह रहे बीसीसीआई के एक बड़े अधिकारी ने इन बातों का खुलासा किया है. उसके मुताबिक चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल के बाद भारतीय टीम के होटल में तीन अलग-अलग मीटिंग हुईं. पहली मीटिंग में कुंबले, बीसीसीआई के शीर्ष अफसर और सीएसी सदस्य शामिल थे. दूसरी मीटिंग में कुंबले की जगह विराट को शामिल किया गया और तीसरी में कुंबले और विराट को साथ-साथ बैठाया गया. लेकिन ये तीसरी मीटिंग बेनतीजा रही क्योंकि दोनों में कोई बात ही नहीं हुई.

बीसीसीआई के इस अफसर ने बताया कि दिसंबर से इन दोनों के बीच बातचीत बंद है जब इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खत्म हुई थी. समस्याएं थीं लेकिन हैरानी की बात ये है कि दोनों के बीच बातचीत तक नहीं होती थी. रविवार की रात फाइनल के बाद जब मीटिंग हुईं तो दोनों ने माना कि ये आगे नहीं चलने वाला.

बीसीसीआई के इस पदाधिकारी ने बताया कि जब हमने कुंबले से अकेले में बात की और उनसे पूछा कि क्या कोई समस्या है तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें विराट से कोई समस्या नहीं है. कुंबले को उन मुद्दों के बारे में भी बताया गया जिन्हें लेकर विराट को उनसे आपत्ति थी, इसपर कुंबले का कहना था कि ये मुद्दे महत्वहीन हैं.

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इस अफसर के मुताबिक जब कहानी के दो किरदारों में से एक को कुछ मुद्दों पर आपत्ति है जबकि दूसरे के लिए ये मुद्दे महत्वहीन हैं तो इस विवाद को केवल वो दोनों ही सुलझा सकते हैं लेकिन जब दोनों एक साथ बैठे तो उन्हें अहसास हो गया कि वे ऐसी स्थिति तक पहुंच गए हैं जहां से वापस नहीं जा सकते. बारबाडोस के लिए कुंबले का टिकट बुक था. उनकी पत्नी को भी उनके साथ जाना था लेकिन वो जानते थे कि मामला खत्म हो गया है.

बीसीसीआई के इस अफसर ने बताया कि विराट को लगता था कि कुंबले उनके अधिकारक्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं. दूसरी ओर टीम इंडिया के दिग्गज क्रिकेटर रह चुके कुंबले की अपनी अलग राय और आइडिया थे लेकिन अंतिम फैसला तो कप्तान का ही होता है.

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