राहुल द्रविड़ की पहचान एक ऐसे बल्लेबाज के तौर पर रही है, जो अपनी तकनीक और धैर्य से विरोधी गेंदबाजों की परीक्षा लेते थे. टेस्ट में उनकी बल्लेबाजी की शैली के कारण लोग उन्हें दीवार, भरोसेमंद जैसे नामों से पुकारते थे. द्रविड़ की बल्लेबाजी की शैली को देखकर सब उन्हें टेस्ट के लायक ही समझते थे. लेकिन द्रविड़ ने सबको गलत ठहराते हुए अपनी जगह वनडे टीम में पक्की की और टीम के वह अहम बल्लेबाज के तौर पर रहे.
द्रविड़ जब करियर के आखिरी पड़ाव पर थे तो इंग्लैंड में जो उन्होंने टी20 में किया उसके बाद तो लोगों का उनके प्रति नजरिया ही बदल गया. टेस्ट स्पेशलिस्ट माने जाने वाले राहुल द्रविड़ ने उस टी20 मुकाबले में ऐसा क्या किया कि लोग कहने लगे कि द्रविड़ सिर्फ टेस्ट में ही नहीं, बल्कि किसी भी फॉर्मेट में टीम के लिए अच्छा कर सकते हैं. तो आइए आपको बताते हैं द्रविड़ के उस कारनामे के बारे में जिसके बाद उनके प्रति लोगों की सोच ही बदल गई.
इंग्लैंड के मैनचेस्टर में राहुल द्रविड़ ने अपना पहला और आखिरी टी 20 मैच खेला था. लेकिन अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के दम पर उन्होंने उस मुकाबले को यादगार बना दिया. इस मुकाबले में द्रविड़ का अलग ही अंदाज देखने को मिला था.
भारत की पारी का 11वां ओवर चल रहा था. इंग्लैंड की तरफ से समित पटेल गेंदबाजी कर रहे थे. समित पटेल की पहली गेंद पर द्रविड़ ने एक रन लिया और छोर बदलकर नॉनस्ट्राइकर छोर पर आ गए. अगली गेंद पर रहाणे ने एक रन लिया, जिससे द्रविड़ फिर स्ट्राइक पर थे. अगली यानी तीसरी गेंद में द्रविड़ ने 2 रन चुराए, लेकिन उसके बाद जो हुआ उसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी.
समित पटेल की अगली तीनों गेंदों यानी चौथी, पांचवीं और छठी गेंद पर राहुल द्रविड़ ने लगातार तीन छक्के जड़े. समित पटेल की चौथी गेंद पर द्रविड़ ने लॉन्ग ऑन के ऊपर से गेंद को सीमा रेखा के बाहर भेजा. पांचवीं गेंद पर द्रविड़ ने आगे बढ़कर फिर से लॉन्ग ऑन के ऊपर से 6 रनों के लिए भेजा. अब बारी थी समित पटेल के ओवर की आखिरी गेंद की. समित की अंतिम गेंद पर भी द्रविड़ ने अपने हाथ खोलते हुए मिडविकेट के ऊपर से गेंद को बाउंड्री के बाहर भेज दिया.
आखिर में राहुल द्रविड़ उस मैच में 21 गेंदों में 31 रन बनाकर आउट हुए थे जिसमें 3 गगनचुंबी छक्के भी शामिल थे. हालांकि भारत मुकाबले को जीत नहीं पाया और रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत को 6 विकेट से हरा दिया था.