टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने मंगलवार को बीसीसीआई से भारत में जूनियर क्रिकेट के लिए खाका तैयार करने की अपील की. उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट के विकास के लिए जूनियर स्तर पर उम्र में धोखाधड़ी और अवैध गेंदबाजी एक्शन से निजात पाना बेहद जरूरी है.
द्रविड़ ने कहा कि उम्र में धोखाधड़ी और गलत गेंदबाजी एक्शन को सही करने में प्रशिक्षकों की नाकामी का भारतीय क्रिकेट पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. उन्होंने चौथे एमएके पटौदी मेमोरियल लेक्चर में कहा, 'अब समय आ गया है जबकि इन मसलों से निपटने के लिए सुधारात्मक उपाय किए जाएं. मेरा मानना है कि उम्र में धोखाधड़ी का यह व्यवसाय खतरनाक है और यहां तक कि जहर के समान है.'
'धोखाधड़ी और फिक्सिंग अलग कैसे'
'वॉल ऑफ क्रिकेट' के नाम से मशहूर द्रविड़ ने आगे कहा, 'मेरे मन में सवाल पैदा हुआ कि यदि एक बच्चा अपने माता-पिता और प्रशिक्षकों को धोखाधड़ी करते हुए और जाली जन्म प्रमाण पत्र बनाते हुए देखता है तो क्या इससे वह धोखेबाज बनने के लिए प्रोत्साहित नहीं होगा? उसके ही बड़े उसे झूठ बोलना सिखा रहे हैं. चौदह साल की उम्र में यह धोखाधड़ी हो सकती है, लेकिन 25 साल की उम्र में यह फिक्सिंग और भ्रष्टाचार हो सकता है. ये दोनों कैसे भिन्न हो सकते हैं. दोनों मामलों में क्या यह स्पष्ट धोखा नहीं है?'
प्रशिक्षकों पर उठाए सवाल
पूर्व भारतीय कप्तान ने गेंदबाजी एक्शन को लेकर भी जूनियर स्तर पर से गंभीर कदम उठाने की वकालत की. द्रविड़ ने कहा, 'जब मैंने सुना कि अंडर-19 गेंदबाज की संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के लिए रिपोर्ट की गई है तो मैं इससे बहुत निराश हुआ. उसके उस उम्र तक पहुंचने तक कोच क्या कर रहे थे. क्या उसके गलत एक्शन की शुरुआत दस वर्ष की उम्र से हुई थी. क्या उसके आगे के प्रशिक्षकों ने इसे नजरअंदाज किया क्योंकि वह विकेट ले रहा था और मैच जीत रहा था.
पूर्व कप्तान ने जूनियर स्तर से जुड़े कई मसलों पर बात की और कहा कि अंडर-19 क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किए जाने के बाद वह जूनियर क्रिकेट को लेकर सीधा अनुभव कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में भारत और दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीमों ने भी हिस्सा लिया जो यहां फिरोजशाह कोटला में चौथा टेस्ट मैच खेलेंगी. पटौदी की पत्नी शर्मिला टैगोर भी कार्यक्रम में उपस्थित थी.
'प्रतिभाशाली खिलाड़ी बाहर रह जाते हैं'
द्रविड़ ने संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के बारे में कहा, 'गेंदबाजी एक्शन की तरह अल्प अवधि के परिणामों पर जोर देने के कारण जूनियर स्तर के मैचों में अधिक उम्र के खिलाड़ी खेलते हैं. यह पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब एक कोच खिलाड़ी की जन्मतिथि को बदलकर उसे स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति देता है. माता-पिता बच्चे की उम्र में एक या दो साल कम होने से खुश होते हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'सचाई यह है कि जो खिलाड़ी अपनी उम्र में धोखाधड़ी करता है वह जरूरी नहीं कि जूनियर स्तर पर इसलिए जगह बनाए कि वह बेहतर है बल्कि इसलिए टीम में स्थान बनाए क्योंकि वह शारीरिक रूप से मजबूत और बड़ा है. इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि एक ईमानदार और प्रतिभाशाली खिलाड़ी को टीम से बाहर होना पड़ता है और उसे हमेशा के लिए खोने का जोखिम पैदा हो जाता है.'
'सचिन की सफलता असाधारण'
द्रविड़ ने कहा कि अधिकतर बच्चों को वैसी सहयोगी प्रणाली नहीं मिलती जैसी कि सचिन तेंदुलकर को उनके शुरुआती दिनों में मिली थी. उन्होंने कहा, 'सचिन अलग तरह का था. प्रतिभा के लिहाज से वह अनूठा था. भारतीय टीम में उसके उदय, उसकी सफलता साधारण से पूरी तरह परे थी. यह अभूतपूर्व था और हम जो उसकी उम्र के थे वह उनके लिए हैरान करने वाला था.'
'हर किसी को सचिन जैसी सुविधा नहीं'
राहुल द्रविड़ ने आगे कहा, 'लोग यह भूल गए कि सचिन के साथ एक शानदार सहयोगी प्रणाली थी. उनका परिवार सहयोग कर रहा था और उनकी परवाह करता था. उनका बड़ा भाई हमेशा उनके साथ मार्गदर्शन करने के लिए रहता था. उनके कोच रमाकांत अचरेकर एक कोच से अधिक उनकी जिंदगी और पिच पर मेंटर थे. उन्होंने उसे सिखाया कि बल्ला कैसे पकड़ना है और आगे कैसे बढ़ना है. सचिन सौभाग्यशाली था कि उन्हें इस तरह का सहयोग मिला.'
द्रविड़ ने क्रिकेट अकादमी में बच्चों के लिए सख्त दिशानिर्देश तैयार करने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा, 'बीसीसीआई को न्यूनतम मानक दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए जिनका अकादमियों को हर हाल में पालन करना होगा. यदि वे असफल रहती हैं तो उनकी खिंचाई होनी चाहिए.'