विदेशी धरती पर हमारी क्रिकेट टीम की हार के साथ खिलाड़ियों के बीच विवादों की भी खबरें आने लगती हैं. फिर वे इतनी सुर्खियां पा लेती हैं कि हार की खबरें मायने खो देती हैं. कुछ समय बाद सारी चर्चाएं थम जाती हैं और सब पहले जैसा हो जाता है. इन सबके बीच धोनी की नाकाम टेस्ट कप्तानी निरंकुश तरीके से जारी है...
धोनी: क्रिकेट खिलाड़ी, कप्तान या चतुर राजनेता
पहले एक नजर आंकड़ों पर. साल 2000 से 2010 तक भारत ने विदेशों में 41 टेस्ट खेले, सिर्फ 14 हारे. लेकिन 2011 से अब तक खेले गए 23 टेस्ट में से 15 गंवाए जा चुके हैं. यह महेंद्र सिंह धोनी का दौर है. सीमित ओवरों के मैचों में जहां देश ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, खिताब जीते, वहीं क्रिकेट के इस सबसे पुराने फॉर्मेट में लगातार पिटाई हो रही है. इसके अलावा दिलचस्प तथ्य यह है कि टी20 और वनडे मुकाबलों में जहां हमारी टीम एकजुट नजर आती है, वहीं टेस्ट के दौरान आपसी मनमुटाव, झगड़ों के किस्से सामने आते हैं.
ताजा मामला विराट कोहली और शिखर धवन का है. खबर आई कि गाबा टेस्ट के चौथे दिन दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई. गुरुवार को धोनी ने इस बात की सफाई बेहद व्यंग्यात्मक लहजे में दी. बताया कि हां, कोहली ने चाकू से धवन पर वार किया. उसके ठीक होते ही हमने उसे बैटिंग के लिए भेज दिया. धोनी फिर गंभीर हुए कि हमारे जिस भी खिलाड़ी ने यह अफवाह उड़ाई है, उसे टीम इंडिया के बजाए कोई फिल्म कंपनी ज्वाइन करनी चाहिए, जहां ऐसी काल्पनिक कहानी का उपयोग होता है.
अब इस पूरे मामले से जो 3 बातें उभरकर आती हैं, वे कुछ इस तरह हैं-
1. धोनी जिस शांति के साथ अपनी बात रख रहे थे, उसका मतलब यह था कि टीम में मनमुटाव की बात (अफवाह ही सही), उन्हें जरा भी विचलित नहीं कर रही थी.
2. वे इस कहानी के जन्म के पीछे किसी खिलाड़ी के होने की बात कर रहे थे तो यह तय है कि उनकी कप्तानी पर सभी खिलाड़ियों को एक जैसा भरोसा नहीं है. यानी मनमुटाव तो है.
3. यदि कोहली और धवन विवाद अफवाह है और धोनी टीम की एकता के प्रति आश्वस्त हैं तो फिर किसी और खिलाड़ी को इस विवाद में शामिल करने का क्या तुक था, कि वह अफवाह उड़ा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि ऐसा उन्होंने अपनी खराब कप्तानी को लेकर आ रही खबरों का रुख मोड़ने के लिए किया.
पिछले चार वर्षों के दौरान हुई टेस्ट सीरीज में ही सहवाग, गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और जहीर खान से जुड़े विवादों की खबरें आईं. सच्चाई तो कभी पता नहीं चली, लेकिन धीरे-धीरे ये सभी टीम इंडिया से बाहर होते चले गए. हर बार बच गए कप्तान. आमतौर पर ऐसा राजनीतिक दलों में दिखता है, जहां सत्ता या पदों की खींचतान को लेकर ऐसी खबरें आती हैं. या फिर किसी चुनाव में हुई हार से ध्यान हटाने के लिए. धोनी ने पिछले चार साल में विदेशी धरती पर दो ही जीत दर्ज की है. यदि भारतीय टीम मेलबर्न टेस्ट हार जाती है तो वह आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में सातवें स्थान पर चली जाएगी, सिर्फ वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे से ऊपर.