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...और ‘जुलू’ के हाथों से फिसल गया वर्ल्ड कप

अब तक टूर्नामेंट में दो अर्धशतकों के साथ 250 रन और 17 विकेट ले चुके लांस क्लूजनर क्रीज पर थे और जीत के लिए अंतिम ओवर में 9 रन चाहिए थे. ये 1999 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मुकाबला था. आज यानी 4 सितंबर को क्लूजनर का जन्मदिन है और हम बता रहे हैं कि कैसे उस सेमीफाइनल मुकाबले के अंतिम ओवर की पहली दो गेंदों पर चौका जड़ने के बावजूद उनके हाथों से फिसल गया था वर्ल्ड कप?

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लांस क्लूजनर ने मिड ऑफ की ओर गेंद मारा और रन चुराने के लिए भागे
लांस क्लूजनर ने मिड ऑफ की ओर गेंद मारा और रन चुराने के लिए भागे

दक्षिण अफ्रीकी टीम 50 ओवरों में 213 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी. 49 ओवर्स फेंके जा चुके थे. अंतिम ओवर में जीत के लिए 9 रनों की जरूरत थी और बल्लेबाजी के लिए खड़े थे ‘जुलू’ यानी लांस क्लूजनर. फर्राटेदार जुलू भाषा बोलने के कारण उन्हें इसी उपनाम से बुलाया जाता है. टूर्नामेंट के दौरान असंभव से लगने वाले किसी भी टारगेट को अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से पा लेने की वजह से ‘जुलू’ उस टूर्नामेंट में गेंदबाजों के लिए खौफ बन चुके थे. ये 1999 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मुकाबला था. अब तक टूर्नामेंट में दो अर्धशतकों के साथ 250 रन और 17 विकेट ले चुके क्लूजनर के दम पर अफ्रीकी टीम की जहाज वर्ल्ड कप के तूफानी समुद्र में यहां तक बहती चली आई थी.

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सेमीफाइनल इंग्लैंड के एजबेस्टन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला गया. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और 214 रनों का लक्ष्य रखा. लक्ष्य का पीछा करने उतरी अफ्रीकी टीम का स्कोर जब 44.5 ओवर्स में 6 विकेट के नुकसान पर 175 रन था, तब क्लूजनर मैदान में उतरे और बड़े-बड़े शॉट्स लगाते हुए तेजी से रन बटोरने लगे.

एक रन बनाने से चूके
फिर आया वो निर्णायक अंतिम ओवर. पहली दो गेंदों पर चौका लगा कर क्लूजनर अब तक 16 गेंदों पर ताबड़तोड़ 31 रन बटोर चुके थे जबकि दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो गया था. स्ट्राइक उन्हीं के हाथों में थी. डेमियन फ्लेमिंग ने अंतिम ओवर की तीसरी गेंद फेंकी. क्लूजनर ने गेंद को मिड ऑफ की दिशा में खेली और तेज सिंगल लेने के लिए दूसरी छोर की ओर भागने लगे. लेकिन दूसरी छोर पर खड़े एलेन डोनाल्ड ने उनकी कॉल नहीं सुनी. क्लूजनर डेंजर एंड पर सुरक्षित पहुंच गए लेकिन डोनाल्ड गेंदबाजी छोर पर अपनी क्रीज से निकल कर वापस वहीं आ गए और पीछे मुड़ कर देखा तक नहीं. इसके साथ ही मैच टाई हो गया और लीग चरण में जीत के आधार पर कंगारू एक बार फिर फाइनल में थे. इस एक क्षण ने फिर दक्षिण अफ्रीका को ‘चोकर्स’ तमगा पहनने पर मजबूर कर दिया.

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ऑस्ट्रेलिया आखिरकार चैंपियन बनी लेकिन आज भी इस टूर्नामेंट को क्लूजनर के नाम से ज्यादा याद किया जाता है. क्लूजनर इस टूर्नामेंट में किस कदर खेल रहे थे, इसका सबूत इसी से मिलता है कि अफ्रीकी टीम जो 9 मैच खेली उनमें से चार में क्लूजनर ही ‘मैन ऑफ द मैच’ थे. उनके अलावा सिर्फ जैक कैलिस ही ऐसे दूसरे अफ्रीकी क्रिकेटर थे जिन्हें 1999 वर्ल्ड कप के दौरान ‘मैन ऑफ द मैच’ पुरस्कार पाने का मौका मिला.

6 नॉट आउट पारियां
टूर्नामेंट में 6 बार नॉट आउट रहते हुए 140.50 के स्ट्राइक रेट के साथ क्लूजनर ने 281 रन बनाए. उन्होंने भारत के खिलाफ 4 गेदों पर नाबाद 12 रन, श्रीलंका के खिलाफ 45 गेंदों पर नाबाद 52 रन, इंग्लैंड के खिलाफ 40 गेंदों पर नाबाद 48 रन और पाकिस्तान के खिलाफ 41 गेंदों पर नाबाद 46 रन बनाकर जीत दिलाई. जिम्बाब्वे के खिलाफ हार में भी उन्होंने नाबाद 52 रन बनाए. हालांकि सेमीफाइनल (16 गेंदों पर नाबाद 31 रन) के साथ ही लीग राउंड में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 21 गेंदों पर 36 रन बनाने के बावजूद वो टीम को जीत नहीं दिला सके.

टूर्नामेंट में बल्ले से शानदार सफर के साथ ही अपनी गेंद पर 17 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह पकड़ा चुके ‘जुलू’ वर्ल्ड कप 1999 के ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुने गए. आज 16 साल बीच चुके हैं, लेकिन जब जब वर्ल्ड कप की चर्चा होती है तो 1999 के संस्करण में विस्फोटक प्रदर्शन के लिए क्लूजनर का नाम जेहन में जरूर आता है.

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