भारत सरकार ने बुधवार (25 जनवरी) को 2023 के पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया. पद्म पुरस्कार देश में सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं. इस साल 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा. सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल हैं. खास बात यह है कि पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और भारत के पूर्व कोच गुरचरण सिंह का भी नाम पद्मश्री अवॉर्डी की लिस्ट में है.
गुरचरण सिंह का जन्म 13 जून 1935 को रावलपिंडी में हुआ था. जब 1947 में भारत का विभाजन हुआ तो गुरचरण सिंह एक शरणार्थी के रूप में पटियाला आए. उन्होंने पटियाला के महाराजा यादविंद्र सिंह के मार्गदर्शन में अपनी क्रिकेट यात्रा शुरू की. बतौर क्रिकेटर उन्होंने पटियाला, सदर्न पंजाब और रेलवे की टीमों का प्रतिनिधित्व किया और कुल 37 प्रथम श्रेणी मैच खेले.
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फर्स्ट क्लास करियर नहीं रहा खास
इन 37 फर्स्ट क्लास मैचों में गुरचरण सिंह ने 19.96 के एवरेज से 1198 रन बनाए जिसमें एक शतक शामिल रहे. गेंदबाजी की बात करें तो गुरचरण ने 33.50 की औसत से 44 विकेट हासिल किए. 87 साल के गुरचरण सिंह का क्रिकेट करियर घरेलू क्रिकेट से आगे नहीं बढ़ सका. लेकिन बतौर कोच उन्होंने ऐसे खिलाड़ियों को निखारा जो आगे चलकर भारत का प्रतिनिधित्व करने में कामयाब हो पाए.
...लेकिन कोचिंग में कर दिया कमाल
गुरचरण सिंह ने पटियाला के राष्ट्रीय खेल संस्थान से कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त किया और फिर भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में मुख्य कोच के रूप में शामिल हुए. साल 1977 और 1983 के बीच उत्तर क्षेत्र के बतौर कोच उनका टर्म काफी शानदार रहा. 1985 में उन्होंने मालदीव टीम के मुख्य कोच के रूप में कार्य किया.
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इसके बाद गुरचरण सिंह ने 1986-87 के दौरान टीम इंडिया के कोच की जिम्मेदारी निभाई. देखा जाए तो गुरचरण सिंह ने सौ से ज्यादा क्रिकेटरों को ट्रेन किया जिसमें 12 ने इंटरनेशनल लेवल पर भारत का नाम रोशन किया. उनके शिष्यों में कीर्ति आजाद, मनिंदर सिंह, विवेक राजदान, गुरशरण सिंह, अजय जडेजा, राहुल सांघवी और मुरली कार्तिक सरीखे क्रिकेटर शामिल हैं. कीर्ति आजाद, मनिंदर सिंह और अजय जडेजा ने तो भारत के लिए क्रिकेट वर्ल्ड कप भी खेला.
1987 में मिला द्रोणाचार्य अवॉर्ड
गुरचरण सिंह को साल 1987 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया था. उस समय वह देशप्रेम आजाद के बाद महज दूसरे क्रिकेट कोच रहे जिन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला था. गुरचरण सिंह 1992-93 के दौरान ग्वालियर के पेस बॉलिंग अकादमी में निदेशक के रूप में भी शामिल हुए. यह अकादमी लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और बीसीसीआई द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई थी.