इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज़ शुरू होने से एक दिन पहले पुणे में भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने जीत की हुंकार भरते हुए कहा था कि वह इन मैचों को 'ट्रायल' के तौर पर नहीं देखते. वह तो इसे इस साल इंग्लैंड में होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी की असली तैयारी मान रहे हैं और इसलिए हर मैच को नॉकआउट मैच की तरह लेंगे.
विराट ने जो कहा वह किया भी. पुणे में हुए पहले वनडे में जीत के साथ शुरुआत की और फिर कटक में सीरीज़ भी अपने नाम कर ली. अब बारी कोलकाता में तीसरे और आखिरी वनडे मैच को जीतकर सीरीज़ क्लीन स्वीप करने की है.
विराट ने टेस्ट में अपनी कप्तानी का कमाल दिखाने के बाद अब वनडे कप्तानी में भी जीत से शुरुआत की है, लेकिन क्या वाकई में चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए चैम्पियन टीम की तैयारी बिलकुल सही चल रही है? युवराज की वापिसी, महेंद्र सिंह धोनी का फॉर्म और केदार जाधव का बड़े स्टेज पर बड़े कलेजे वाली पारी, विराट ने सिर्फ दो मैचों में ही बहुत कुछ पा लिया है. लेकिन, कुछ ऐसी भी बातें हैं जो विराट को परेशान कर रही हैं, उन्हें बड़े फैसले लेने के लिए ललकार रही हैं.
इंग्लैंड पर लुटाई मेहरबान भारतीय गेंदबाज
पुणे वनडे में 350 और कटक वनडे में 366 रन का स्कोर. ज़रा सोचिये, भारतीय गेंदबाज़ इन दो मैच में कुल 716 रन लुटा चुके हैं. अब या तो भारतीय टीम की किस्मत बहुत अच्छी है या फिर इंग्लैंड की बहुत खराब. अब तक जसप्रीत बुमराह ने दो मैच में 160 रन, आर आश्विन ने दो मैच में 128 रन, भुवनेश्वर कुमार ने एक मैच 63 रन, रविन्द्र जडेजा ने 2 मैच में 95 रन और उमेश यादव ने एक मैच में 63 रन लुटा डालें हैं. अब भला कौन सा कप्तान ऐसी गेंदबाज़ी देखकर अपना सिर नहीं पकड़ेगा?
क्या मैच जिताना सिर्फ बल्लेबाजों का काम?
यहां, घर पर तो फिर भी इतने रन लुटाने के बावाजूद जीत मिल रही है, लेकिन चैम्पियंस ट्रॉफी में क्या होगा? ठीक है, इंग्लैंड में कंडीशंस अलग होंगे, लेकिन वनडे क्रिकेट में तो वहां भी गेंदबाजों की काफी धुनाई होती है. सही कॉम्बिनेशन ढूंढ़ने के लिए अब विराट के पास ज़्यादा वक्त नहीं है. अनिल कुंबले जैसा एक बड़ा गेंदबाज़ टीम का कोच है और दुआ कीजिये की वो जल्द ही इन गेंदबाजों को लाइन पर ले आएं. वरना इंग्लैंड में भी बुरा हाल होने वाला है.
शिखर के आंकड़े हैं कमज़ोर, लगाना होगा पूरा ज़ोर
पुणे में एक रन और कटक में 11 रन. जो बल्लेबाज़ कभी एक मैच में ही 111 रन बना डालता था, आज दो मैच में सिर्फ 12 रन बना पाया है. शिखर धवन मैच विनर हैं ये सब जानते हैं, लेकिन अगर वह 10 मैच बाद एक जीत दिलाएंगे तो फिर उसका क्या फायदा? गब्बर की दहाड़ गायब है और कप्तान विराट सोच रहे हैं कि कोलकाता में उन्हें प्लेइंग-11 में डालें या फिर बाहर बिठाएं. ये सिर्फ शिखर ही नहीं, बल्कि विराट के लिए भी फैसले की घडी है. अजिंक्य रहाणे मौका मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. वैसे, कोलकता पहुंचते ही शिखर अपने अंगूठे का एक्सरे कराने अस्पताल गए थे. उनकी फिटनेस विराट के लिए कोई बड़ा फैसला लेना आसान कर सकती है.