आईपीएल-8 का फाइनल खेला जा चुका है और मुंबई इंडियंस इसकी विजेता बन चुकी है. इसमें कोई शक नहीं कि मुंबई इंडियंस चैंपियन की तरह खेली. उसने टूर्नामेंट में चेन्नई को एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार हराया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सब के बावजूद मुंबई की जीत, न... न... इसे चेन्नई की हार कहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा, इसके पीछे एक टोटका काम कर रहा था जो पहले प्लेऑफ के दिन ही लिख दिया गया था. जी हां अगर इस टोटके को सही माने तो पहले प्लेऑफ के दिन ही यह तय हो गया था कि मुंबई ही इस टूर्नामेंट की विजेता टीम बनेगी. चलिए आपको बताते हैं ये पूरा माजरा क्या है.
आईपीएल 2008 में शुरू हुआ और जब से आईपीएल में पहला, दूसरा क्वालीफायर और एलिमिनेटर का सिस्टम शुरू किया गया है तब से अब तक एलिमिनेटर खेल कर फाइनल में पहुंची टीम इस टूर्नामेंट को नहीं जीत सकी है. इसका मतलब यह हुआ कि जो टीम पहला क्वालीफायर जीत कर सीधे फाइनल में पहुंचती है वही अंततः टूर्नामेंट का विजेता बनती है. इसे महज टोटके के रूप में नहीं देखा जा सकता है.
पिछले पांच में से चार बार जिस टीम ने पहला क्वालीफायर जीता वहीं फाइनल भी जीती. 2011 में चेन्नई सुपर किंग्स, 2012 और 2014 में कोलकाता नाइट राइडर्स तो 2015 में मुंबई इंडियंस. केवल 2013 में चेन्नई सुपर किंग्स ऐसा करने में कामयाब नहीं रही. उस साल मुंबई इंडियंस विजेता बनी जिसने दूसरे क्वालीफायर को जीत कर फाइनल में जगह बनाई थी.
इसे इस तरह भी देखा जा सकता है. आईपीएल लगभग डेढ़ महीने तक चलने वाला टूर्नामेंट है. इस दौरान खिलाड़ी लगातार खेलते रहने की वजह से थकावट के शिकार हो जाते हैं और जिस टीम ने पहला क्वालीफायर जीत कर फाइनल में अपनी जगह बनाई उसे काफी समय मिल जाता है. टीम रिफ्रेश हो जाती है और फाइनल के लिए पूरी तरह तैयार होती है. दूसरी ओर जो टीम क्वालीफायर हारने के बाद एलिमिनेटर से गुजरती है उसे टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने के लिए जहां एक मैच अधिक खेलना पड़ता है वहीं उसके खिलाड़ी भी दूसरी टीम की तुलना में ज्यादा थके हुए होते हैं.