एक से एक खौफनाक तेज गेंदबाजों और उनके लगातार बाउंसर के दौर में भी अमरनाथ ने हुक करना बंद नहीं किया. रिचर्ड हैडली की गेंद से स्कल हेयरलाइन फ्रैक्चर हुआ, इमरान खान की गेंद पर बेहोश हुए, मैल्कॉम मार्शल की गेंद पर दांत टूटे, जेफ थॉमसन की गेंद पर जबड़े में इतनी जोरदार चोट लगी की लंच में आइसक्रीम तक नहीं खा सके लेकिन दर्द से उफ तक नहीं की.
70-80 के दशक के शानदार भारतीय क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ पर कुछ इन्हीं शब्दों के साथ ‘द एज’ में एक लेख छपी.
अमरनाथ को उनके व्यक्तित्व, साहस और दृढ़ संकल्प के जाना जाता था. वेस्टइंडीज के महान क्रिकेटर सर विवियन रिचर्ड्स ने उन्हें उन सबसे शानदार क्रिकेटरों में शुमार किया जिनके दौर में वो खेले तो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज डेविड बून उनके विषय में बोलते हैं कि अमरनाथ की शब्दावली में ‘मान लेना’ नहीं शामिल है.
पिच पर जिमी की बहादुरी माइकल होल्डिंग के शब्दों में, ‘जिमी में दर्द सहने की अनोखी क्षमता थी. तेज गेंदबाज जानता होता कि बल्लेबाज चोट से दर्द में है... लेकिन जिमी खड़े होते और फिर शुरू हो जाते.’
1982-83 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर थी. ब्रिजटाउन टेस्ट के दौरान मोहिंदर अमरनाथ को सिर में चोट लगी और स्टिच लगवाने के लिए रिटायर्ड होना पड़ा. स्टिच लगवाकर लौटे तो उनके सामने लॉयड ने खौफनाक तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग को लगाया जिससे एक चोटिल बल्लेबाज डर जाए और अपना विकेट गंवा दे. होल्डिंग ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी और पहली ही गेंद बाउंसर दे मारी. लेकिन अमरनाथ वो किया जिसकी कल्पना उन्होंने कभी सपने में भी नहीं की होगी. होल्डिंग ने सोचा होगा कि अमरनाथ डक करेंगे लेकिन उन्होंने बॉल को हुक करते हुए बाउंड्री जड़ दिया. इस दौरे पर अमरनाथ अपने चरम पर थे.
हालांकि इसके बाद वेस्टइंडीज की टीम पूरी तैयारी के साथ 1983-84 में भारत के दौरे पर आई. शानदार फॉर्म में चल रहे मार्शल, होल्डिंग, विंस्टन डेविस और वेन डेनियल मैदान पर अमरनाथ से बदला लेना चाहते थे और उन्होंने किया भी ऐसा ही. छह पारियों में अमरनाथ केवल एक रन बना सके. होल्डिंग ने अमरनाथ को तीन बार शून्य पर आउट किया. सीरीज में अमरनाथ की छह पारियां इस प्रकार रहीं 0, 0, 0, 1, 0, 0 और 1983 वर्ल्ड कप के हीरो को इस शानदार उपलब्धि के कुछ ही महीनों बाद ही टीम से ड्रॉप कर दिया गया.