भारत वर्ल्ड कप से बाहर हो चुका है. ऑस्ट्रेलिया के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार के साथ ही करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों का दिल टूटा. फैंस की निराशा जायज भी लगती है, क्योंकि पूरे टूर्नामेंट में इतना शानदार प्रदर्शन के बाद सेमीफाइनल में आकर हारना दुख तो देता है. लेकिन इन निराशाओं के बीच अच्छी बात यह है कि वर्ल्ड कप 2015 गेंदबाजों के दमदार प्रदर्शन के लिए हमेशा याद किया जाएगा.
वर्ल्ड कप से पहले किसी ने सोचा नहीं था कि टीम इंडिया इतना कमाल का प्रदर्शन करेगी. भारत की सबसे बड़ी कमजोरी वर्ल्ड कप में सबसे बड़ी मजबूती बनकर उभरी. वर्ल्ड कप शुरू होते ही भारतीय गेंदबाज एक अलग ही अवतार में नजर आए. इस बात की गवाही ये आंकड़े देते हैं कि सेमीफाइनल से पहले टीम इंडिया के गेंदबाजों ने अपने विरोधियों को सभी मैचों में ऑल आउट किया.
तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन में आया चमत्कारिक बदलाव
जो गेंदबाज पूरे समर ऑस्ट्रेलिया में पिटते नजर आए, वे वर्ल्ड कप में एक अलग ही रंग में नजर आए. टेस्ट और ट्राई सीरीज के दौरान लाइन और लेंथ से पूरी तरह भटके हुए गेंदबाजों ने अचानक फॉर्म में वापसी करते हुए वर्ल्ड कप में सनसनी फैला दी. अचानक ही शॉर्ट गेंदें बल्लेबाजों के कानों के पास से सीटी बजाती हुई गुजरने लगीं. यह बात तो तय है कि अगर गेंदबाजों ने इस तरह का करिश्माई प्रदर्शन न किया होता, तो टीम इंडिया सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंच पाती. वर्ल्ड कप में मोहम्मद शमी, उमेश यादव और मोहित शर्मा की तिकड़ी ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए कुल 48 विकेट झटके, जिसमें उमेश यादव ने 18, मोहम्मद शमी 17 और मोहित शर्मा ने 13 विकेट हासिल किए.
उमेश यादव की रफ्तार और मोहम्मद शमी की धार ने न सिर्फ विरोधियों को परेशान किया, बल्कि बड़े-बड़े दिग्गजों को भी प्रभावित किया. भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी वर्ल्ड कप में भारत के इस शानदार सफर का श्रेय गेंदबाजों को ही देते हैं. पूर्व कंगारू दिग्गज ग्लेन मैक्ग्रा शमी से खासे प्रभावित नजर आए. उन्होंने शमी के इस ट्रांसफॉर्मेशन के लिए उनकी खूब तारीफ की. रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर का मानना है कि उमेश यादव ने हाल में अपनी गेंदबाजी में बहुत मेहनत की है, जो वर्ल्ड कप में नजर आया.
अश्विन की बलखाती गेंदों के सामने बेबस नजर आए बल्लेबाज
आर अश्विन की घूमती गेंदों ने वर्ल्ड कप में बल्लेबाजों को खूब नचाया. अश्विन और जडेजा की जोड़ी ने इस महाकुंभ में कुल 22 विकेट झटके, जिसमें अश्विन के 13 और जडेजा के नाम 9 विकेट रहे. ख़ास बात यह रही कि अश्विन ने कंजूसी बरतते हुए बेहद किफायती गेंदबाजी की और एक-एक रन के लिए तरसा दिया. वर्ल्ड कप से पहले अश्विन और जडेजा भी अपनी लाइन, लेंथ और फ्लाइट को लेकर काफी पसोपेश में नजर आ रहे थे. लेकिन टेस्ट सीरीज में फ्लैट गेंदबाजी करने वाले अश्विन ने वर्ल्ड कप में गेंदों को फ्लाइट देना शुरू किया और वे बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बन गए.
इस प्रदर्शन के बाद पूर्व कप्तान कपिल देव की वह बात याद करने लायक है, जब उन्होंने कहा था कि क्रिकेट के इस खेल में बल्लेबाज अधिकारी हैं और गेंदबाज मजदूर. लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने कम से कम इस बार तो यह साबित कर दिया कि दरअसल अधिकारी बल्लेबाज नहीं, गेंदबाज हैं.