टीम इंडिया सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड से 18 रनों से हारकर भले ही वर्ल्ड कप से बाहर हो गई है, लेकिन टूर्नामेंट में उसे कुछ सकरात्मक चीजें भी हासिल हुई हैं. एक वक्त में टीम इंडिया को कमजोर गेंदबाजी के लिए जाना जाता था, लेकिन इस वर्ल्ड कप में उसके गेंदबाजों ने कई मौके पर बल्लेबाजों के लिए राह आसान की. वो चाहे पहले गेंदबाजी हो या बाद में, भारतीय गेंदबाज हर मौके पर अपने कप्तान के उम्मीदों पर खरे उतरे.
भारतीय गेंदबाजी की ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भुवनेश्वर कुमार के घायल होने से पहले मोहम्मद शमी जैसा गेंदबाज बेंच पर बैठा था. पाकिस्तान के खिलाफ भुवनेश्वर कुमार जब घायल हुए तो अगले मैच में मोहम्मद शमी को मौका मिला और उन्होंने इस मौके को दोनों हाथों से लपक लिया.
वर्ल्ड कप में खेले अपने 4 मैचों में शमी ने 14 विकेट लिए. इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट भी लिए. उन्होंने अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ 4-4 विकेट भी झटके.
बुम...बुम...बुमराह
आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक के गेंदबाज जसप्रीत बुमराह पूरे टूर्नामेंट में बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द साबित हुए. उन्होंने 9 मैचों में 371 रन खर्च कर 18 विकेट लिए. बुमराह इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा मेडन ओवर फेंकने वाले दुनिया के पहले गेंदबाज भी बन गए.
चहल की चालाकी
टीम इंडिया अगर सेमीफाइनल तक पहुंची तो इसमें युजवेंद्र चहल की बहुत बड़ी भूमिका रही. उन्होंने स्पिन गेंदबाजी का नेतृत्व किया. चहल ने वर्ल्ड कप में 8 मैच खेले और 12 विकेट लिए. चहल ने अपनी गुगली और लेग स्पिन से बल्लेबाजों को खूब परेशान किया. हालांकि कुछ मैचों में वो महंगे भी साबित हुए, लेकिन इस दौरान उनके साथ सबसे बड़ी चीज ये रही कि उन्होंने बीच के ओवरों में विकेट निकाले.
भुवनेश्वर और जडेजा भी लय में दिखे
भुवनेश्वर कुमार का सेमीफाइनल में तो शानदार प्रदर्शन रहा, लेकिन लीग मैचों में वो प्रभाव नहीं छोड़ पाए. इस दौरान वह पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में घायल भी हुए, जिसके बाद टीम से बाहर होना पड़ा. चोट से उभरने के बाद भुवनेश्वर ने वापसी की और एक बार स्विंग से बल्लेबाजों को परेशान किया.
वहीं शुरुआती मैचों में टीम से बाहर रहने वाले रवींद्र जडेजा को लीग मैच के आखिरी मुकाबले में श्रीलंका के खिलाफ उतरने का मुकाबला मिला. जडेजा ने मौका को दोनों हाथों से लपका और किफायती गेंदबाजी की. इसके बाद उन्हें सेमीफाइनल में भी टीम में जगह मिली. जडेजा ने अपने चयन को सही साबित किया और न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को हाथ खोलने का मौका नहीं दिया. जडेजा ने सेमीफाइनल मैच में 10 ओवर में 34 रन देकर 1 विकेट झटका.