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FIFA वर्ल्ड कप: स्टालिन का बंकर बना रूस आए प्रशंसकों के मिलने का अड्डा

रूस के इतिहास को समेटे इस बंकर में प्रशंसक एक-दूसरे से मुलाकात कर रहे हैं.

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बंकर लगभग 120 फुट (37 मीटर) की गहराई में बना है
बंकर लगभग 120 फुट (37 मीटर) की गहराई में बना है

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रूस में चल रहे फुटबॉल के महासमर के लिए समारा पहुंचे दुनियाभर के हजारों प्रशंसकों के लिए देश के पूर्व नेता जोसेफ स्टालिन का गुप्त बंकर कौतुहल का विषय बना हुआ है.

रूस के इतिहास को समेटे इस बंकर में प्रशंसक एक-दूसरे से मुलाकात कर रहे हैं. यह बंकर लगभग 120 फुट (37 मीटर) की गहराई में बना है. यहां मैक्सिकों के प्रशंसक पारंपरिक टोपी (सोमब्रेरोस) में दिख रहे हैं. तो वहीं, कोलंबियाई और उरुग्वे के प्रशंसक आपने राष्ट्रध्वजों के साथ सोवियत इतिहास के उस हिस्से को देखने पहुंचे हैं, जो लगभग 50 वर्षों तक गुमनाम था.

हाल के दिनों में दर्जनों पर्यटक किले के बाहर खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि एक स्थानीय निवासी सोवियत हथौड़ा और हसुए जैसे पदक से सजे स्टालिन की सैन्य वर्दी के साथ फोटो खिंचवाने के लिए बोल रहा है.

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लगभग 12 मंजिली इमारत इतना लंबे बंकर में तकरीबन 100 लोग रह सकते हैं. मैक्सिको की राष्ट्रीय टीम की जर्सी पहनी प्रशंसक एडली मोर्टेरा ने कहा, ‘यहां पर बड़ी संख्या में लैटिन अमेरिकी लोगों को देखकर आश्चर्य हो रहा है. सोवियत के इतिहास के बारे में हमें ज्यादा नहीं पता और इतिहास के इस पन्ने के बारे में जानना हमारे लिए नया है. यह काफी रोचक है.’

एडली के पति एडगर रामिरेज बंकर से बड़ी मैक्सिकन टोपी के साथ बाहर निकल रहे थे, तभी एक स्थानीय व्यक्ति ने उनसे पूछा, 'क्या वे उनके साथ फोटो खिंचवा सकते हैं..?'

उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए यह शानदार अनुभव है. हमारी योजना टीम के प्रदर्शन पर नजर रखने और पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने की है. हमें रूस के युद्ध इतिहास के बारे में ज्यादा नहीं पता था.’

यह दुनिया का सबसे बड़ा और गहराई वाला बंकर है, जो जर्मनी के पूर्व तानाशाह एडोल्फ हिटलर और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के बंकर से ज्यादा बड़ा है. स्टालिन के इस बंकर को समारा में 1942 में बनाया गया था.

सोवियत काल के दौरान इस शहर को कुइबिशेव के नाम से जाना जाता था. जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक रणनीतिक क्षेत्र बन गया, क्योंकि यह युद्ध क्षेत्र से बहुत दूर था और यह वोल्गा नदी के माध्यम से यहां ने निकलने के रास्ते का विकल्प भी देता था.

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