Mohammed Habib Passes Away: खेल जगत के लिए एक दुखद खबर सामने आई है. भारत के लीजेंड फुटबॉलर मोहम्मद हबीब का मंगलवार को निधन हो गया. महान पेले को टक्कर देने वाले हबीब 74 साल के थे. उन्होंने अपने शहर हैदराबाद में अंतिम सांस ली. हबीब के निधन से खेल जगत गमगीन है. हबीब 70 के दशक के भारत के महान फुटबॉलर रहे थे और विपक्षी टीम के 3-4 खिलाड़ियों से अकेले ही भिड़ने की काबिलियत रखते थे.
उन्होंने 1975 तक इंटरनेशनल फुटबॉल खेला. उन्हें खेल में उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार भी दिया गया. हबीब मोहन बागान के लिए खेला करते थे. इस क्लब का एक मुकाबला पेले की न्यूयॉर्क कोस्मोस के खिलाफ हुआ था, तब मोहम्मद हबीब ने दमदार गोल दागा था.
हबीब ने 35 इंटरनेशनल मैचों में 11 गोल दागे
17 जुलाई 1949 को जन्मे भारत के पूर्व कप्तान हबीब ने देश के लिए 35 इंटरनेशनल मैच खेले, जिसमें उन्होंने दमदार अंदाज में 11 गोल दागे. हबीब ने हल्दिया में भारतीय फुटबॉल संघ अकादमी के मुख्य कोच के रूप में भी काम किया.
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, 'कोलकाता फुटबॉल के बड़े मियां मोहन बागान और टीएफए में मेरे कोच और मेंटोर थे. एशियाई खेल 1970 में भारत को मिले कांस्य पदक में उनका योगदान हमेशा याद रखा जायेगा.'
इस बीमारी से जूझ रहे थे लीजेंड हबीब
फुटबॉल के मैदान पर जब हबीब उतरते थे, तो विपक्षी टीम सहम सी जाती थी. ऐसे दिग्गज प्लेयर भूलने की बीमारी और पार्किंसन से जूझ रहे थे. हबीब ने हैदराबाद में अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं.
बैंकॉक में 1970 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य रहे हबीब ने मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मडन स्पोर्टिंग के लिए खेला था. बाद में वह टाटा फुटबॉल अकादमी के कोच भी रहे.
पेले भी कर चुके हैं हबीब की तारीफ
उन्होंने हल्दिया में भारतीय फुटबॉल संघ अकादमी के मुख्य कोच के रूप में भी काम किया. हबीब ने 1977 में ईडन गार्डन्स पर बारिश के बीच पेले के कोस्मोस क्लब के खिलाफ गोल किया था. उस टीम में पेले, कार्लोस अलबर्टो, जॉर्जियो सी जैसे धुरंधर थे. वह मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था. मैच के बाद पेले ने उनकी तारीफ भी की थी.
3-4 खिलाड़ियों से अकेले भिड़ जाते थे
मोहम्मद हबीब के पास गोल करने से पहले तीन या चार खिलाड़ियों को चकमा देने की अद्भुत क्षमता थी. वह एक आक्रामक मिडफील्डर थे जो फॉरवर्ड खिलाड़ियों को व्यस्त रखते थे. वह आगे बढ़कर खेलने में भी सक्षम थे, क्योंकि उसके पास गति और ड्रिब्लिंग कौशल था.
अपने फुर्तीले फुटवर्क के लिए जाने जाने वाले इस छोटे कद के हैदराबादी को भारतीय पेले भी कहा जाता था. सिटी ऑफ जॉय (कलकत्ता) में 17 वर्षों (1966 से 1983) तक गेंद के साथ उनके कारनामे ने उन्हें कई ख्यातियां दिलाईं.
कोलकाता में पूजे जाते थे हबीब
टोली चौकी में रहने वाले हबीब हैदराबाद में एक भूले हुए नायक की तरह दिखे. उन्होंने कुछ साल पहले मुस्कुराते हुए कहा था, 'मुझे कोई नहीं जानता.' इसके विपरीत वह कोलकाता में पूजे जाने वाले नायक रहे.
फुटबॉल खिलाड़ियों के परिवार से आने वाले और सभी छह भाई खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले हबीब ने माना था कि एक ही परिवार से इतने सारे खिलाड़ियों का होना गर्व की बात है. उन्होंने कहा था, 'आजम, मोइनुद्दीन, फरीद, अकबर, जाफर और मैं सभी ने बड़े पैमाने पर फुटबॉल खेला.'