आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स (RR) के लिए लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के खिलाफ खेलते हुए रविचंद्रन अश्विन ने ऐसा कदम उठाया, जिसे आगे आने वाले वक्त में सीमित ओवरों की क्रिकेट में क्रांति के रूप में देखा जा रहा है. कप्तान संजू सैमसन के मुताबिक वह और राजस्थान टीम इस बारे में पहले भी विचार कर चुकी थी, लेकिन टीम ने लखनऊ के खिलाफ मुकाबले में हालात को देखते हुए इसे अप्लाई करने का विचार किया. राजस्थान का यह दांव काफी सफल भी साबित हुआ.
शुरुआती विकेट जल्दी गिरने के बाद नंबर-6 पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरे रविचंद्रन अश्विन ने एक समय राजस्थान की पारी को संभाला, लेकिन जब उन्हें स्लॉग ओवरों में लगा कि उनसे बड़े हिट नहीं लग रहे तब उन्होंने खुद को रिटायर्ड आउट करते हुए रियान पराग को उतरने का मौका दिया. राजस्थान रॉयल्स की टीम पावरप्ले ओवरों में 3-4 ओवरों बाद लगातार 4 विकेट खोकर दबाव में घिर गई थी. 4 विकेट पर 67 रनों के स्कोर पर उतरे अश्विन ने शिमरॉन हेटमेयर के साथ मिलकर पारी को संभाला
काम आया राजस्थान का यह प्लान
बतौर बल्लेबाज अपनी पारी में 23 गेंदों में 28 रन बनाकर खेल रहे थे, राजस्थान की पारी में सिर्फ 2 ओवरों का ही खेल बचा था और टीम का स्कोर 135 रन पर था. अश्विन ने इसी मौके को देखते हुए खुद को रिटायर्ड आउट करार देकर रियान पराग को क्रीज पर उतरने का मौका दिया. उन दो ओवरों में रियान पराग ने 4 गेंदें खेलीं और 8 रन बनाए, जिसमें उन्होंने होल्डर को एक छक्का भी जड़ा. रियान और हेटमेयर ने मिलकर इन 2 ओवरों में राजस्थान का स्कोर 165 तक पहुंचा दिया, जो काफी अहम साबित हुआ.
रिटायर्ड हर्ट और रिटायर्ड आउट में अंतर
रिटायर्ड आउट और रिटायर्ड हर्ट में काफी अंतर है, जब कोई खिलाड़ी किसी चोट, क्रैंप, हैमस्ट्रिंग या किसी और वजह से बल्लेबाजी नहीं कर पाए तब अगर वह क्रीज छोड़कर डगआउट की तरफ जाता है तो उसे रिटायर्ड हर्ट माना जाता है. वहीं रिटायर्ड आउट, खिलाड़ी का खुद का लिया गया निर्णय है. कोई भी बल्लेबाज स्वेच्छा से क्रीज छोड़कर अगर किसी दूसरे बल्लेबाज को मौका देता है तो उसे रिटायर्ड आउट माना जाता है. यह सीमित ओवरों की क्रिकेट में काफी गेमचेंजर साबित हो सकता है.
साबित हो सकता है सीमित ओवरों में एक गेमचेंजर
बतौर बल्लेबाज रविचंद्रन अश्विन से लंबे शॉट नहीं लगने की वजह से उन्होंने नए बल्लेबाज को मौका दिया और शिमरॉन हेटमेयर और रियान पराग ने मिलकर पारी का मोमेंटम पूरी तरह से राजस्थान रॉयल्स के पक्ष में मोड़कर टीम को दो ओवरों में 135 रनों से 165 रनों तक पहुंचाने में मदद की. अश्विन का फैसला टीम के हित में साबित हुआ. अक्सर टी-20 क्रिकेट और 50 ओवरों के क्रिकेट में अब इस रणनीति का इस्तेमाल देखा जा सकता है.
विश्व कप और अन्य प्रैक्टिस मुकाबलों में बल्लेबाज अक्सर दूसरे खिलाड़ियों को पर्याप्त तैयारी की मौका देने के लिए खुद को रिटायर्ड आउट करते हैं, एक बड़े टूर्नामेंट में इस रणनीति का इस्तेमाल पहली बार देखने को मिला है. साथ ही इस रणनीति का फायदा भी राजस्थान के पाले में जाता दिखा है. इस रणनीति का फायदा बाकी टीमें भी उठा सकती हैं. कई बार खिलाड़ियों को स्लॉग ओवर्स में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में टीमें क्रीज पर संघर्ष कर रहे खिलाड़ी को रिटायर कराकर किसी ऐसे खिलाड़ी को भेजकर जो लंबी हिट आसानी से लगा सकता हो, उसे क्रीज पर भेजकर तेज रन स्कोर करने के बारे में विचाार कर सकती हैं. इस रणनीति का प्रयोग सिर्फ सीमित ओवरों की क्रिकेट तक ही सीमित रह सकता है, जहां पर टीमें स्लॉग ओवर्स में तेज रन स्कोर करने की कोशिश करती हैं.