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YO-YO टेस्ट क्या होता है, जानें कितने नंबर लेकर पास हुए हार्दिक, क्यों फेल हुए पृथ्वी

IPL 2022 सीजन से ठीक पहले यह यो-यो टेस्ट बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA) में हुआ. टेस्ट में हार्दिक पंड्या तो पास हो गए, लेकिन पृथ्वी शॉ फेल हुए, जानिए क्या है यो-यो टेस्ट....

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Prithvi Shaw and Hardik Pandya (Twitter)
Prithvi Shaw and Hardik Pandya (Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • IPL 2022 से पहले खिलाड़ियों का यो-यो टेस्ट
  • हार्दिक पंड्या टेस्ट में पास, पृथ्वी शॉ हुए फेल

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2022 का आगाज 26 मार्च से होना है. इससे पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों का यो-यो टेस्ट कराया, जिसमें गुजरात टाइटन्स (Gujarat Titans) के कप्तान और ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या पास हो गए हैं. जबकि दिल्ली कैपिटल्स (DC) के ओपनर पृथ्वी शॉ इस टेस्ट को पास नहीं कर पाए.

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यह टेस्ट बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA) में हुआ. BCCI की केंद्रीय अनुबंध लिस्ट में शामिल सभी खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने के लिए यह यो-यो टेस्ट पास करना जरूरी होता है. हार्दिक के साथ पृथ्वी शॉ भी आईपीएल खेल पाएंगे, क्योंकि पृथ्वी अनुबंध लिस्ट में नहीं हैं.

इस तरह फेल हुए पृथ्वी शॉ

पृथ्वी शॉ पिछले लंबे वक्त से फॉर्म से जूझ रहे हैं. उनकी फिटनेस भी एक मुद्दा बनी हुई थी, जिस कारण वह टीम इंडिया में जगह नहीं बना पाए. वह 5 से 14 मार्च तक NCA कैम्प में ही खिलाड़ियों के एक ग्रुप में शामिल थे. कैम्प के आखिर में IPL खेलने के लिए सभी का फिटनेस टेस्ट हुआ. यो-यो टेस्ट में पास होने के लिए पृथ्वी शॉ को 23 में से 16.5 स्कोर लाना था, लेकिन वह 15 स्कोर भी नहीं ला सके.

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क्यों कराया जाता है यो-यो टेस्ट

यो-यो टेस्‍ट खिलाड़ियों की फिटनेस जांचने के लिए किया जाता है. बीसीसीआई की केंद्रीय अनुंबध लिस्ट में शामिल खिलाड़ियों के लिए यह टेस्ट अनिवार्य है. बड़ी सीरीज या टूर्नामेंट से पहले खिलाड़ियों का यह टेस्ट किया जाता है. तीनों फॉर्मेट में बेहतर प्रदर्शन के लिए खिलाड़ी का फिट होना जरूरी है. फिटनेस की कमी का सीधा असर खिलाड़ि‍यों की परफॉर्मेंस पर दिखता है. क्रिकेट के अलावा फुटबॉल, रग्बी जैसे खेलों में भी यह टेस्ट कराया जाता है. टीम मैनेजमेंट यो-यो टेस्ट के जरिए यह पता करती है कि सेंचुरी लगाने के बाद भी बैटर 3 रन दौड़ पाएगा या नहीं.

क्या होता है यो-यो टेस्ट

यो-यो टेस्ट के लिए 23 लेवल होते हैं, लेकिन खिलाड़ियों के लिए इसकी शुरुआत 5वें लेवल से होती है. यह पूरी प्रक्रिया सॉफ्टवेयर पर आधारित है, जिसमें नतीजे रिकॉर्ड किए जाते हैं. टेस्ट के लिए कई 'कोन' की मदद से 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनाई जाती हैं. इसमें खिलाड़ी को एक कोन से दूसरे कोन तक दौड़ना होता है. यहां से फिर दूसरे कोन से पहले कोन की तरफ वापस दौड़कर आना होता है. इसे एक शटल कहते हैं. इसके लिए एक तय समय होता है.

खिलाड़ी लगातार दो लाइनों के बीच दौड़ता है और जब बीप बजती है तो उसने मुड़ना होता है. जैसे-जैसे टेस्ट का लेवल बढ़ता है, उसी तरह रनिंग की दूरी वही रहती है, लेकिन समय कम होता जाता है. इसी तरह से तेजी बढ़ती जाती है. अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और 'बीप' के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है. यदि प्लेयर रनिंग में तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो टेस्ट रोक दिया जाता है. अब तक कोई भी इसके अंतिम यानी 23‍वें लेवल को पार नहीं कर पाया है.

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yo yo test

यो-यो टेस्ट आसान भाषा में समझें

  • खिलाड़ियों को दो कोन (लाइन कह सकते हैं) के बीच 20 मीटर दौड़ना होता है. इसके लिए एक तय समय होता है.
  • एक कोन से दूसरे कोन पर पहुंचकर खिलाड़ी को वापस पहले कोन की ओर दौड़कर आना होता है. इसे एक शटल कम्पलीट करना कहते हैं.
  • यह टेस्ट 5वें लेवल से शुरू होता है, जो 23वें लेवल तक चलता है. हर एक शटल के बाद रनिंग का समय कम होता जाता है, जबकि दूरी उतनी ही रहती है.
  • फिलहाल, भारत में टेस्ट पास करने लिए कम से कम 16.5 स्कोर लाना होता है. रिपोर्ट्स की मानें तो यह पासिंग स्कोर बढ़ाकर 17 किया गया है.

कहां कितना स्‍कोर है जरूरी? 

यो-यो टेस्‍ट पास करने का पास‍िंग स्‍कोर हर एक देश में अलग-अलग तय किया गया है. टीम इंडिया के लिए 16.5 स्कोर रखा गया है. यह सबसे कम है. जबकि इंग्‍लैंड, ऑस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड की टीमों के लिए यह स्‍कोर 19 है. श्रीलंका और पाकिस्‍तान भी भारत से आगे है. यानी इन दोनों टीम के लिए पासिंग स्कोर 17.4 रखा गया है, जबकि साउथ अफ्रीकी खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्‍ट का स्‍कोर 18.5 है.

कैसे हुई इस टेस्‍ट की शुरुआत?

इस यो-यो टेस्‍ट को डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट जेन्स बैंग्सबो ने डेवलोप किया था. यह पहले फुटबॉल समेत बाकी खेलों में अप्लाई किया गया था. इसके बाद इसे क्रिकेट में सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने अपनाया. इस टेस्ट का मकसद ही यही है कि खिलाड़ियों की फिटनेस लेवल खेल के मुताबिक शानदार बना रहे. यह टेस्‍ट आसान नहीं होता है. सामान्य लोगों के लिए यह टेस्ट बहुत ही मुश्किल होता है.

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