भारतीय बैडमिंटन में पूरे साल मीठे अनुभवों पर अक्सर निराशा का साया रहा. सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी के लिए अच्छा और बुरा दोनों समय रहे, क्योंकि यह जोड़ी चार फाइनल में पहुंची और दो खिताब जीते... जिससे ऐतिहासिक ओलंपिक पदक की उम्मीद जगी. लेकिन पेरिस ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने के साथ उनका अभियान निराशा में समाप्त हो गया.लक्ष्य सेन की पेरिस ओलंपिक के कांस्य पदक मैच में मिली हार इस साल कड़वे अनुभवों में शामिल रही. (फोटो: PTI)
एशियाई खेलों के चैम्पियन सात्विक-चिराग ने फ्रेंच ओपन सुपर 750 और थाईलैंड सुपर 500 में खिताब जीतकर दुनिया की शीर्ष जोड़ियों में अपना दर्जा मजबूत किया. यह जोड़ी मलेशिया सुपर 1000 और इंडिया सुपर 750 में उप विजेता रही, लेकिन 8 साल में दूसरी दफा ओलंपिक जीतने का सपना पूरा नहीं हो पाया. इस हार के बाद उनके दानिश कोच माथियास बो ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन मलेशिया के टैन किम हर की वापसी ने आत्मविश्वास बढ़ाया. टैन किम हर को सात्विक और चिराग को एक साथ लाने का श्रेय दिया जाता है. (फोटो: PTI)
वहीं लक्ष्य सेन के लिए यह बहुत करीब और फिर भी दूर का मामला रहा.वह पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए उम्मीद की किरण थे. साल की शुरुआत में फ्रेंच ओपन और ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल तक के सफर ने उनकी खराब फॉर्म से वापसी कराई और पहले ओलंपिक पदक के सपने को जगा दिया. (फोटो: PTI)
हालांकि अल्मोड़ा का यह 23 साल का खिलाड़ी ओलंपिक में कांस्य पदक के मैच में बुरी तरह हार गया. हालांकि उनके सैयद मोदी इंटरनेशनल में खिताबी जीत ने आगामी सत्र के लिए उम्मीद की किरण जगाई.
भारत की दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु के लिए साल निराशाजनक रहा. उन्होंने अपने कोचिंग स्टाफ में कई बदलाव किए और महान बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु चली गईं. लेकिन उनका टूर्नामेंट के शुरूआत में बाहर होना जारी रहा जिससे उनकी फॉर्म और फिटनेस से संघर्ष उजागर हुआ. (फोटो: PTI)
वह मलेशिया मास्टर्स के फाइनल में पहुंचीं, लेकिन तीसरा ओलंपिक पदक जीतने का सपना प्री-क्वार्टर फाइनल में मिली हार से खत्म हो गया. हालांकि इस 29 साल की खिलाड़ी ने अपना सत्र सैयद मोदी इंटरनेशनल खिताब जीतकर समाप्त किया और वह इस महीने के अंत में परिणय सूत्र में बंधने के लिए तैयार हैं. (फोटो: PTI)
एचएस प्रणॉय के लिए यह सत्र दृढ़ता और प्रतिकूलता भरा रहा. उनके हमवतन खिलाड़ी जहां बेहतर प्रतिद्वंद्वियों से हार गए तो वहीं प्रणय फिर अपने स्वास्थ्य से जूझते रहे.ओलंपिक से ठीक पहले पेट से जुड़ी समस्या और चिकनगुनिया से जूझता हुआ यह खिलाड़ी दृढ़ता से पेरिस के नॉकआउट चरण में पहुंचने में सफल रहा, हालांकि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं दिखा. (फोटो: PTI)
अश्विनी पोनप्पा और तनीषा क्रास्टो का पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करना किसी चमत्कार से कम नहीं था क्योंकि दोनों की रैंकिंग साल के शुरू में काफी सामान्य थी. हालांकि यह जोड़ी पेरिस में जल्दी बाहर हो गई, लेकिन गुवाहाटी मास्टर्स में खिताबी जीत ने उनकी जोड़ी पर भरोसा मजबूत किया. (फोटो: PTI)
वहीं गायत्री गोपीचंद और त्रीसा जॉली ने ओलंपिक क्वालिफाई नहीं कर पाने की निराशा को दूर करते हुए सैयद मोदी इंटरनेशनल में अपना पहला सुपर 300 खिताब जीता. वहीं विश्व टूर फाइनल्स के लिए उनका क्वालिफाई करना उनके लिए साल का शानदार अंत रहा. (फोटो: PTI)