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स्पोर्ट्स न्यूज़

Shooting Year-ender 2024: पेरिस में मनु भाकर का 'डबल धमाका', भारतीय निशानेबाजी के लिए स्वर्णिम लम्हा

Manu Bhaker
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अगर कभी इस बात के सबूत की जरूरत थी कि मनु भाकर में विलक्षण प्रतिभा है तो उन्होंने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर इसे साबित कर दिया. मनु ने पेरिस ओलंपिक में पहले 10 मीटर एयर पिस्टल में पोडियम पर जगह बनाई और फिर सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर मिश्रित टीम में दूसरा कांस्य पदक जीता. इस तरह वह खेलों के इस महाकुंभ के एक ही सत्र में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली खिलाड़ी बन गईं. (फोटो: PTI)

Swapnilm, Sarabjot, Manu
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पेरिस में भारत रिकॉर्ड 21 निशानेबाजों के साथ उतरा और इस खेल में ओलंपिक पदक के लगभग एक दशक से चले आ रहे सूखे को आखिरकार समाप्त कर दिया. भारत ने पेरिस खेलों में तीन कांस्य पदक जीते जिसमें मध्य रेलवे के टीटीई स्वप्निल कुसाले का 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन का पदक भी शामिल है. मनु ने तीन साल पहले टोक्यो खेलों की निराशा को दूर किया जहां पिस्टल में आई खराबी ने उनकी उम्मीदों को खत्म कर दिया था. (फोटो: PTI)

Manu Bhaker
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मनु ने पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित शेटराउ रेंज में पूरे आत्मविश्वास के साथ कदम रखा और एक चैम्पियन की तरह प्रदर्शन करते हुए देश के पदक के सूखे को समाप्त किया.इस सफलता से चैम्पियन और उनके कोच जसपाल राणा की भावनाओं का उफान देखने को मिला जिन्हें यह गौरव हासिल करने के लिए लगभग दो साल तक संघर्ष और कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. (फोटो: PTI)

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Manu-jaspal
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भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) के एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) के कारण निशानेबाजी रेंज छोड़ने के लिए कहे जाने से लेकर दर्शक दीर्घा से अपनी शिष्या को कोचिंग देने के लिए मजबूर होने तक जसपाल को तीखे कटाक्ष और अपमान सहना पड़ा जिसने एक तरह से दोनों को पेरिस में चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरित किया.

चैम्पियन मनु ने अपनी पेरिस सफलता का सारांश यह कहकर दिया कि जसपाल उनके लिए पिता समान हैं, जिन्होंने उन्हें उस समय बहुत हिम्मत दी जब भी वह खुद के बारे में अनिश्चित महसूस करती थीं. (फोटो: PTI)

Manu Bhaker
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टोक्यो ओलंपिक से पहले गलतफहमी के कारण दोनों के बीच अलगाव हो गया था जिसके बाद से यह रिश्ता काफी आगे बढ़ चुका है और अब जबकि 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक आने वाले हैं तो इसका मतलब मनु के लिए और अधिक सफलता ही हो सकता है. (फोटो: PTI)

Sarabjot Singh and Manu Bhaker
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सरबजोत ने भी चोटों के कारण पिछले साल छह महीने से अधिक समय तक खेल से दूर रहने के बाद शानदार सफलता हासिल की. अंबाला के इस युवा निशानेबाज के करियर में एक ऐसा दौर भी आया जब वे अपनी पिस्टल भी नहीं उठा पाते थे, प्रतियोगिता में 60 बार इसे दोहराना तो दूर की बात है. लेकिन सावधानीपूर्वक योजना और रिहैबिलिटेश्न ने उन्हें पिछले साल मार्च में करियर के लिए खतरा बनी चोट से उबरने में मदद की और मनु के साथ मिलकर वह कांस्य पदक विजेता बने.

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