वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2022 में भारतीय जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का गोल्ड जीतने का सपना पूरा नहीं हो पाया. रविवार को हुए फाइनल मुकाबले में नीरज ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स को पछाड़ नहीं पाए और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. एंडरसन पीटर्स ने 90.54 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
क्रिकेट बनना चाहते थे पीटर्स
24 साल के एंडरसन पीटर्स के जैवलिन थ्रोअर बनने की कहानी काफी दिलचस्प है. एंडरसन पीटर्स बचपन में आम तोड़ने के लिए पेड़ पर पत्थर फेंका करते थे. पीटर्स ने 10 साल की उम्र में जैवलिन फेंकना शुरू किया और स्कूली रिकॉर्ड बनाया. एंडरसन पीटर्स फास्ट बॉलिंग भी करते थे ऐसे में वह क्रिकेटर और स्पिंटर बनना चाहते थे, लेकिन चोटों के चलते अंत में उनका झुकाव पूरी तरह जैवलिन की ओर हो गया.
पीटर्स ने विश्व एथलेटिक्स पॉडकास्ट को बताया, 'मैं क्रिकेट को पसंद करता था. ग्रेनाडा में हमारे पास दो सीजन होते थे, एक क्रिकेट और दूसरा ट्रैक-एंड-फील्ड. मैं एक तेज गेंदबाज था, मुझे बस गेंद फेंकने का विचार पसंद आया, मुझे लगा कि मैं इसे इतनी तेजी से फेंक सकता हूं कि बल्लेबाज इसे देख भी नहीं सकता. मैं हमेशा 90 मील प्रति घंटे की गेंद फेंकने का लक्ष्य रखता था.'
उसेन बोल्ट से थे काफी प्रभावित
एंडरसन पीटर्स ने आगे बताया, 'उसी बीच उसैन बोल्ट स्प्रिंटिंग की दुनिया में छा गए. उस साल बोल्ट ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. फिर मैं एक धावक बनना चाहता था. लेकिन इसके बाद चोटों ने मुझे जैवलिन की ओर ढकेल दिया.' पीटर्स ने 20 साल की उम्र में 100 मीटर के Sub-11 रेस में भाग लिया था. साथ ही 2016 में कैरिफ्टा गेम्स में ग्रेनाडा के लिए 4x100 मीटर रिले टीम के सदस्य भी थे.
वह बताते हैं, 'ग्रेनाडा में मैं बचपन के दिनों में पेड़ों पर लदे आम और सेब को निशाना बनाने के लिए पत्थर फेंकता था. मेरे लिए फेंकना हमेशा से एक स्वाभाविक बात थ. हम आम और सुनहरे सेब प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से पत्थर फेंकते थे. हमारे आम के पेड़ वास्तव में ऊंचे थे.'
टोक्यो ओलंपिक में फाइनल में भी नहीं पहुंचे
कहा जाए तो एंडरसन पीटर्स ने 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स और टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा से मिली हार का भी बदला ले लिया. 2018 के गोल्डकोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में नीरज ने गोल्ड और एंडरसन पीटर्स ने कांस्य पदक जीता है. वहीं टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने स्वर्ण पदक हासिल किया था, वहीं एंडरसन पीटर्स फाइनल के लिए भी क्वालिफाई नहीं कर पाए थे. उस ओलंपिक में एंडरसन पीटर्स का बेस्ट थ्रो 80.32 मीटर का रहा था.
पलट चुका है पूरा करियर
एंडरसन पीटर्स का करियर अब पूरी तरह पलट चुका है. जो इंसान कभी ऐसा फास्ट बॉलर बनना चाहता था जिसकी गेंद को बल्लेबाज देख ना पाए या जो अगला बोल्ट बनना चाहता था, वह अब लगातार दो बार विश्व चैम्पियन बन चुका है. गौरतलब है कि एंडरसन पीटर्स ने 2019 के दोहा विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी गोल्ड पर कब्जा किया था.