फुटबॉल एक ऐसा खेल है, जिसे दुनिया के लगभग सभी देशों में खेला जाता है. यह खेल ज्यादातर यूरोप के देशों में सबसे पसंद किया जाता है और वहीं सबसे ज्यादा खेला जाता है. फुटबॉल एक टीम गेम है. इसमें भी क्रिकेट की तरह ही दोनों टीम में 11 खिलाड़ियों का होना जरूरी है.
यह समय दुनिया के लिए अच्छा नहीं चल रहा है. पिछले तीन साल से कोरोना महामारी ने अपना शिकंजा कसा हुआ है. ऐसे में कई बार फैन्स के मन में यह भी सवाल आता कि यदि किसी कारणवश टीम में 11 खिलाड़ी नहीं हो पाते हैं, तो क्या कम खिलाड़ियों के साथ मैच खेला जा सकता है.
कोई भी टीम गोलकीपर के बगैर मैच नहीं खेल सकती
यदि नियम के मुताबिक बात करें तो मैच शुरू होने के लिए हर एक टीम में 11 खिलाड़ियों का होना बेहद जरूरी है. इनमें एक गोलकीपर होना आवश्यक है. बिना गोलकीपर के टीम मैदान में नहीं उतर सकती है. गोलकीपर ही होता है, जो विपक्षी टीमों के आक्रमण को झेलता है और उन्हें गोल करने से रोकता है. एक अच्छे गोलकीपर की यही निशानी है कि वह अपने गोलपोस्ट में विपक्षी टीम का गोल ना होने दे.
नियम के मुताबिक, मैच खेलने के लिए हर एक टीम में कम से कम 7 खिलाड़ियों का होना बेहद जरूरी है. मैच से पहले हर टीम 7 सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों के नाम दे सकती है. यदि मैच के दौरान यदि कोई प्लेयर चोटिल होता है, तो टीम तीन सब्स्टीट्यूट इस्तेमाल कर सकती है.
किस तरह होती है टीम की प्लेइंग-11
कोई भी एक टीम अपनी प्लेइंग-11 को 4 तरह से सजाती है. इसमें स्ट्राइकर, मिडफील्डर, डिफेंडर और गोलकीपर होता है. हर एक टीम में गोलकीपर एक ही होता है. बाकी कप्तान और टीम मैनेजर अपनी रणनीति के मुताबिक स्ट्राइकर, मिडफील्डर, डिफेंडर की संख्या तय करती है.
स्ट्राइकर
इनका मुख्य कार्य गोल मारना होता है.
डिफेंडर
अपनी विरोधी टीम के सदस्यों को गोल स्कोर करने से रोकने का कार्य डिफेंडर को करना होता है.
मिडफील्डर
विरोधी टीम से गेंद छीन कर अपने आगे खेलने वाले खिलाड़ियों को गेंद देने का कार्य मिडफिल्डर को करना होता हैं.
गोलकीपर
गोलकीपर का काम गोल पोस्ट के सामने खड़े रहकर ही गोल होने से रोकना होता है.
90 मिनट का होता है एक फुटबॉल मैच
फुटबॉल मैच कुल 90 मिनट का होता है. मैच में 45 मिनट के खेल के बाद एक ब्रेक भी होता है. इस तरह से एक मैच 45-45 मिनट के दो हाफ में खेला जाता है. इन दोनों ही हाफ में कुछ एक्स्ट्रा टाइम भी मिलता है, जो रेफरी तय करता है. क्रिकेट में जैसे अंपायर होता है, ठीक उसी तरह फुटबॉल में रेफरी होता है. रेफरी का अंतिम फैसला ही मान्य होता है. मैच में एक सहायक रेफरी भी होता है.