Government and Sports Federations: भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India-WFI) और भारतीय पहलवान इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं. बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत 30 से ज्यादा पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही बृजभूषण के इस्तीफे की मांग पर अडे़ हुए हैं.
हालांकि, पहलवानों ने पहले ही साफ कर दिया है कि यह उनकी अपनी लड़ाई है. वो इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं. मगर खेल मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी पहलवानों से मुलाकात करने की बात कही है.
मगर फैन्स के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर खेल संघों और केंद्र सरकार के बीच कितना कनेक्शन है? क्या सरकार इन खेल संघों के सामने बेबस हो जाती हैं? क्यों संघ के खिलाफ एक्शन नहीं ले पाती सरकार? आइए इसी तरह के कुछ सवालों के जवाबों को समझते हैं.
क्या सरकार स्पोर्ट्स के मैनेजमेंट में दखल देती है?
यहां बता दें कि सरकार का स्पोर्ट्स के मैनेजमेंट में किसी प्रकार का दखल नहीं होता है. भारत में खेलों को उनके संबंधित नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन ही मैनेज करते हैं. वे स्वतंत्र होते हैं और देशभर में टूर्नामेंट्स का आयोजन करते हैं. साथ ही इनके लिए खिलाड़ियों का भी सेलेक्शन करते हैं. साथ ही खेलों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं. सरकार इन संघों की इन सभी कामों और संचालन में मदद करती है. खेल के बुनियादी साधनों का निर्माण करती है और खेल पुरस्कार देती है.
खेल संघ स्वायत्त गैर-सरकारी निकाय हैं?
यह बात भी बिल्कुल सच है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की तरह ही बाकी खेल संघ भी स्वायत्त गैर-सरकारी निकाय हैं. सरकार का इनके प्रशासन या सदस्यों की नियुक्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है. सरकार सिर्फ संपर्क (liaison) ऑफिसर को खेल मंत्रालय की एडवाइस से नियुक्त करती है, जो सरकारी कर्मचारी नहीं कहलाता है. नेशनल फेडरेशन के साथ स्टेट लेवल के भी फेडरेशन हैं. सभी के अपने-अपने कानून और संविधान हैं.
क्या सरकार खेल संघों के प्रबंधन में हस्तक्षेप कर सकती है?
इसका जवाब है नहीं. भले ही संघों को सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त होती हो, मगर सरकार को इन खेल संघों के मैनेजमेंट में हस्तक्षेप करने की कोई कार्यकारी शक्ति प्राप्त नहीं है. उदाहरण के लिए इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) ने 2012 में भारतीय ओलंपिक संघ को सस्पेंड कर दिया गया था. तब IOC ने कहा था कि भारतीय सरकार IOA को चुनाव में दखल दे रही है. यदि किसी संघ को सस्पेंड किया जाता है, तो फिर उस खेल के प्लेयर इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भारतीय झंडे के तहत नहीं खेल पाते. प्लेयर न्यूट्रल तौर पर खेल सकते हैं.
संघों के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है?
यदि किसी खेल संघ पर ठीक से काम नहीं करने जैसे कुछ आरोप लगते हैं, तो सरकार उन संघों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि वह स्वतंत्र निकाय है. हालांकि सरकार उनके फंड और सहायता को रोक सकती है. हालांकि IOC या IOA या फिर उस खेल की इंटरनेशनल संस्था जरूर कार्रवाई कर सकती है.
क्या कोई आम आदमी अपना संघ बना सकता है?
यदि आप एक ऐसा ग्रुप हैं, जो किसी खेल को लेकर बेहद भावुक है और आपको लगता है कि इस खेल को भारत में बढ़ावा मिलना चाहिए. तब उस स्थिति में आप एक महासंघ बना सकते हैं. हालांकि इसके लिए आपको उस खेल के इंटरनेशनल संस्था से भी संबद्ध होना पड़ेगा. उदाहरण के लिए फुटबॉल संघ बनाना है, तो फीफा से संबद्ध होना पड़ेगा. यदि इंटरनेशनल ओलंपिक संघ (IOC) के अंतर्गत कोई खेल है, तो उससे संबद्ध होना पड़ेगा. साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से भी मान्यता लेनी होगी.
गैर-ओलंपिक खेल भी सरकार से मान्यता ले सकते हैं?
जी हां, ऐसे खेल जो ओलंपिक में नहीं हैं, वह भी सरकार से मान्यता ले सकते हैं. मगर BCCI का मामला अलग है. क्रिकेट बोर्ड ने अब तक सरकार से मान्यता लेकर राष्ट्रीय खेल संघ बनने की जहमत नहीं उठाई है. 2011 में खेल मंत्री अजय माकन ने बीसीसीआई को आमंत्रण जरूर दिया था, लेकिन बीसीसीआई ने आवेदन ही नहीं किया.