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D Gukesh: चेस खेलते वक्त एक बार में कितनी चाल सोचते हैं चैम्प‍ियन डी गुकेश? बताया ये सीक्रेट

डी गुकेश से पूछा गया कि वो चेस खेलते वक्त एक बार में कितनी चाल सोचते हैं? इस सवाल का गुकेश ने अपने अंदाज में जवाब दिया. गुकेश शतरंज की दुनिया के सबसे युवा वर्ल्ड चैम्पियन हैं. 

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D Gukesh (Photo- India Today)
D Gukesh (Photo- India Today)

D Gukesh At India Today Conclave: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश शतरंज की दुनिया के सबसे युवा वर्ल्ड चैम्पियन हैं. गुकेश पिछले साल दिसंबर में चीन के चेस मास्टर डिंग लिरेन को हराकर 18 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड चैम्पियन बने. गुकेश ने रूसी दिग्गज गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ डाला था. कास्पारोव ने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया था.

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एक बार में कितनी चाल सोचते हैं गुकेश?

डी गुकेश ने शनिवार (8 मार्च) को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया. इस दौरान गुकेश ने अपने चेस करियर और चैम्पियन बनने के बाद जिंदगी में आए बदलाव पर भी बात की. गुकेश से इस दौरान पूछा गया कि वो चेस खेलते वक्त एक बार में कितनी चाल सोचते हैं? इस सवाल का गुकेश ने अपने अंदाज में जवाब दिया. 

डी गुकेश ने इसे लेकर कहा, 'ऐसी कोई गिनती तय नहीं होती है. यह सबकुछ स्थिति, मैच और विपक्षी खिलाड़ी के हिसाब से तय होता है. 1-2 चाल तो होती ही हैं. मगर कई बार ऐसे मौके आते हैं कि आप 4-5 चाल सोच लेते हैं. मैच की सिचुएशन के हिसाब से कई बार आपके दिमाग में 10 से 15 चाल भी हो सकती हैं.'

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डी गुकेश ने कहा, 'चेस में व‍िश्वनाथन आनंद ने जो किया, वो शानदार है. उनकी एकेडमी के कारण ही मैं आगे बढ़ा हूं. विशी सर (विश्वनाथन आनंद) का विजन लॉकडाउन के दौरान प्रतिभाशाली युवाओं का चयन करना था क्योंकि उस समय कोई टूर्नामेंट नहीं हो रहा था.'

डी गुकेश कहते हैं, 'यह सब ऑनलाइन था और लोग उतनी मेहनत नहीं कर रहे थे. इसलिए हमारे लिए इस मौके का लाभ उठाना एक शानदार क्षण था. यह मेरे लिए बहुत रोमांचक था. विशी सर के संपर्क में रहना, उनके साथ नियमित रूप से शतरंज पर चर्चा करना इतना प्रेरक था कि लॉकडाउन के बावजूद समय की बर्बादी जैसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ. हम वास्तव में बहुत मेहनत कर रहे थे.'

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कम से कम पिछले कुछ वर्षों में सरकार और प्रायोजकों से अच्छा समर्थन मिल रहा है. खिलाड़ियों को जीत के लिए लगातार पुरस्कृत किया जाता है. मुझे भी पुरस्कृत किया गया. हम देख पा रहे हैं कि यह सरकार और भारत के लोगों के लिए कितना मायने रख रहा है.'

'वर्ल्ड चैम्पियन जीतना बचपन का सपना था...'

डी गुकेश ने बताया, 'वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतना मेरा बचपन का सपना था. मुझे खुशी है कि मैं अपने माता-पिता के लिए ऐसा कर सका. उन्होंने मुझे उन संघर्षों का सामना नहीं करने दिया जिनसे वे गुजरे थे. 2017-18 में मेरे माता-पिता के दोस्त मुझे स्पॉन्सर कर रहे थे. पिछला साल हमारे लिए आर्थिक रूप से बहुत अच्छा रहा. मुझे खुशी है कि मेरे माता-पिता अब एक आरामदायक जिंदगी जी सकते हैं.'

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डी गुकेश ने कहा कि वर्ल्ड चैम्पियन बनने के बाद वो दो-तीन हफ्ते तक काफी उत्साहित रहे. फिर अगला टूर्नामेंट शुरू होना था, जिसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी. गुकेश का मानना है कि चैम्पियन बनने के बाद उनका शेड्यूल थोड़ा ज्यादा व्यस्त हो गया है और उन्हें अब ज्यादा लोग पहचानने लगे हैं.

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