केंद्र की मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल दिया है. सरकार ने इसे हॉकी के 'जादूगर' कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी.
पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, 'देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के प्रदर्शन ने पूरे देश को रोमांचित किया है. उन्होंने कहा कि अब हॉकी में लोगों की दिलचस्पी फिर से बढ़ी है जो आने वाले समय के लिए सकारात्मक संकेत है. खेल रत्न सम्मान के तहत 25 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया जाता है.
I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award!
Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq
ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान
हॉकी के 'जादूगर' कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है. उन्होंने अपने आखिरी ओलंपिक (बर्लिन 1936) में कुल 13 गोल दागे थे. इस तरह एम्स्टर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन ओलंपिक को मिलाकर ध्यानचंद ने कुल 39 गोल किए, जिससे उनके बेहतरीन प्रदर्शन का पता चलता है.
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
जय हिंद!
उनके जन्मदिन (29 अगस्त) को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं. इस अवॉर्ड की शुरुआत 1991-92 में की गई थी.
ध्यानचंद की उपलब्धियों का सफर भारतीय खेल इतिहास को गौरवान्वित करता है. लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के जीवट का हर कोई कायल रहा.
टोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला हॉकी टीम का ऐतिहासिक प्रदर्शन
टोक्यो ओलंपिक में महिला और पुरुष हॉकी टीम के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद देश में एक फिर लोग हॉकी को प्यार देने लगे हैं. पुरुष टीम जहां 41 साल बाद पदक जीतने में सफल रही तो महिला टीम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची. पुरुष टीम ने आखिरी बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में मेडल जीता था. तब उसने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया था.