scorecardresearch
 

National Games 2022 Boxing: फाइनल देखने आ रहे बॉक्सिंग कोच की एक्सीडेंट में मौत, शिष्य ने गोल्ड जीतकर दी श्रद्धांजलि

गुजरात में 36वां नेशनल गेम्स खेला गया. इसी दौरान गांधीनगर में बुधवार को महाराष्ट्र के बॉक्सर निखिल दुबे का फाइनल मुकाबला था. इस मैच को देखने के लिए कोच धनंजय तिवारी मुंबई से बाइक लेकर चले थे, लेकिन रास्ते में उनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. फिर शिष्य ने कुछ इस तरह श्रद्धांजलि दी...

Advertisement
X
बॉक्सर निखिल दुबे और उनके कोच धनंजय तिवारी. (File Photo)
बॉक्सर निखिल दुबे और उनके कोच धनंजय तिवारी. (File Photo)

National Games 2022 Boxing: खेल जगत के लिए एक दुखद खबर सामने आई है. नेशनल गेम्स 2022 में अपने बॉक्सर शिष्य को गोल्ड जीतते हुए देखने की चाह लिए एक कोच घर से निकला से निकला था, लेकिन सड़क हादसे में उनकी जान चली गई. मगर शिष्य ने भी गोल्ड जीतकर कोच को श्रद्धाजंलि दी और लोगों का दिल जीत लिया.

Advertisement

दरअसल, गुजरात में खेले गए 36वें नेशनल गेम्स के दौरान गांधीनगर में बुधवार (12 अक्टूबर) को महाराष्ट्र के बॉक्सर निखिल दुबे सेमीफाइनल में पहुंच गए थे. इसकी खुशखबरी उन्होंने अपने कोच धनंजय तिवारी को फोन पर दी. 

इस तरह शिष्य ने कोच को दी श्रद्धांजलि

कोच इतने खुश हुए कि वह बाइक से ही मुंबई से गांधीनगर के लिए निकल पड़े. वह अपने शिष्य को फाइनल में खेलते और गोल्ड मेडल जीतते हुए देखना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था. बीच रास्ते में ही कोच धनंजय तिवारी की बाइक का एक्सीडेंट हो गया. यहां शिष्य निखिल दुबे सेमीफाइनल में जीत के लिए जंग लड़ रहे थे, वहां कोच जिंदगी की जंग लड़ रहे थे.

शिष्य ने बाजी मार ली और फाइनल में जगह पक्की कर ली, लेकिन उधर कोच जिंदगी की जंग हार गए. धनंजय तिवारी ने अपने शिष्य को गोल्ड के साथ पोडियम पर खड़े देखने की चाहत लिए आखिरी सांस ली. जब यह बात शिष्य निखिल दुबे को पता चली, तो वह उदास हुए, लेकिन उन्होंने फाइनल में उतरने का फैसला किया. इतना ही नहीं, निखिल ने 75 किग्रा वेट कैटेगरी में फाइनल जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया.

Advertisement

'यह मेडल हमेशा संभालकर रखूंगा'

इसी गोल्ड के साथ निखिल ने अपने कोच धनंजय तिवारी को श्रद्धांजलि दी. शिष्य निखिल पोडियम पर गोल्ड लेने तो आए, लेकिन उन्होंने जीत का जश्न नहीं मनाया. वह अपने कोच को ही याद करते दिखाई दिए. मेडल जीतने के बाद निखिल ने कहा, 'मैं इस मेडल को संभालकर रखूंगा. मैं हमेशा मेरे कोच का शुक्रगुजार रहूंगा, जिन्होंने मेरे करियर को संवारा है. वह हमेशा याद आएंगे.'

'कोच का सपना था, इसलिए मुझे लड़ना पड़ा'

निखिल ने कहा, 'रास्ते में उनका (कोच) एक्सीडेंट हो गया. उनका यही सपना था कि मैं आज गोल्ड मेडल के लिए फाइनल खेलूं. कल ही मेरी धनंजय सर से बात हुई थी. मैंने उन्हें बताया था कि सुमित कुंडू के साथ मेरा मैच होना है. तब उन्होंने मुझसे कहा कि वह आ रहे हैं. एक समय मेरे मन में यही विचार था कि आखिर में कैसे रिंग में उतर सकता हूं. मगर कोच का यही सपना था, इसलिए मुझे लड़ना पड़ा. उनका जाना मेरे लिए बड़ा सदमा है.'

 

Advertisement
Advertisement