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Roshibina Devi Story, Manipur Violence: पिता ने खेत बेचा... मणिपुर हिंसा और घर से रखा दूर, आसान नहीं था मेडल जीतना

चीन के हांगझोउ में जारी एशियन गेम्स में भारतीय वुशू स्टार नाओरेम रोशिबिना देवी शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया. 22 साल की रोशिबिना के लिए यहां तक का सफर तय करना आसान नहीं रहा है. उन्होंने और उनके पिता समेत पूरे परिवार ने काफी स्ट्रगल किया है...

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भारतीय वुशू स्टार नाओरेम रोशिबिना देवी.
भारतीय वुशू स्टार नाओरेम रोशिबिना देवी.

Roshibina Devi Story, Manipur Violence: मणिपुर की स्टार वुशू प्लेयर नाओरेम रोशिबिना देवी ने चीन के हांगझोउ में जारी एशियन गेम्स में धमाल मचाया है. उन्होंने वुशू मार्शल आर्ट में सिल्वर मेडल जीता है. 22 साल की रोशिबिना के लिए यहां तक का सफर तय करना आसान नहीं रहा है. इस समय उनके राज्य मणिपुर में हिंसा फैली हुई है.

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उनके पिता ने बेटी के खेल के लिए अपने खेत तक को बेच दिया था. साथ ही इस मेडल के लिए पिता ने रोशिबिना को घर और मणिपुर हिंसा से भी दूर रखा. परिवार कोई भी सदस्य इस हिंसा के बीच घर, मोहल्ले और शहर में क्या चल रहा है, इसको लेकर रोशिबिना को कुछ नहीं बताते थे. 

देश के लिए गोल्ड जीतना चाहती हैं रोशिबिना

रोशिबिना ने आजतक से कहा कि वह पिछले 11 साल से वुशू की प्रैक्टिस कर रही हैं. वह बेहद ही सामान्य परिवार से आती हैं. मणिपुर में रोशिबिना के पिता खेती करते हैं और उन्होंने बहुत मुश्किलों का सामना करके रोशिबिना को एशियन गेम्स के लिए तैयारी करवाई है.

रोशिबिना अब आगे नेशनल गेम्स और ओलंपिक गेम्स की तैयारी कर रही हैं. वो अब गोल्ड मेडल लेकर भारत और मणिपुर का नाम रोशन करना चाहती हैं. रोशिबिना वुशू खेलती हैं ये मार्शल आर्ट्स का फॉर्म नॉर्थईस्ट में काफी प्रचलित है. नॉर्थ ईस्ट के कई बच्चे इसमें माहिर हैं. वुशु एक चाइनीज मार्शल आर्टस है.

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किसान पिता ने बेटी के लिए बेचा अपना खेत

रोशिबिना के पिता एक किसान हैं. खेती करके परिवार का गुजर बसर करते हैं. रोशिबिना कि वुशु की प्रैक्टिस में काफी खर्चा आने की वजह से परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा था. ऊपर से मणिपुर में हिंसा का दौर चल रहा है. मणिपुर के बिगड़ते हालातों का खेती पर भी बुरा असर पड़ा.

रोशिबिना सही से प्रैक्टिस कर सके, उसकी प्रैक्टिस में कोई कमी ना आए, इसके लिए रोशिबिना के पिता ने अपना खेत बेच दिया. खेत बेचकर जो पैसे मिले उससे रोशिबिना की प्रैक्टिस कराई, उसे घर से दूर रखा ताकि वह अच्छे से प्रैक्टिस कर सके और एशियाई गेम्स तक जा सके.

रोशिबिना ने मणिपुर में हिंसा के बीच की खेल की तैयारी

मणिपुर में जैसे-जैसे हालात बिगड़ते रहे वैसे-वैसे रोशिबिना के लिए वहां प्रेक्टिस करना और भी मुश्किल होता गया. मानसिक तनाव ने सभी खिलाड़ियों को जकड़ लिया था. सभी स्कूल बंद हो चुके थे. सभी एकेडमी  बंद हो चुकी थी, जहां पर रोशिबिना प्रैक्टिस कर सके.

ऐसे में उनके पिता ने एक फैसला लिया. खुद घर में रहकर परिवार वालों की जिंदगी के लिए पहरा दिया और रोशिबिना को बाहर भेज वुशू की प्रैक्टिस करवाई. मार्च महीने के बाद रोशिबिना ने मणिपुर छोड़ दिया और अपनी प्रैक्टिस बाहर की.

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मणिपुर मणिपुर के लोगों को समर्पित यह रजत पदक

रोशिबिना ने एशियाई गेम्स में रजत पदक जीता, जिसे मणिपुर के लोगों को समर्पित किया है. वह चाहती हैं कि वहां जल्द से जल्द शांति का माहौल बने. सरकार उनकी बात सुने.

वह भले ही वहां जाकर अपने लोगों के लिए लड़ नहीं सकती, लेकिन अपने खेल के माध्यम से अपने राज्य की बात दुनिया तक रखना चाहती हैं. रोशिबिना अपने मणिपुर के सभी छोटे भाई बहनों को स्कूल जाते देखना चाहती हैं जो हिंसा की वजह से अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, अपने खेल नहीं खेल पा रहे हैं.

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