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Savita Kanswal: एवलांच में गई पर्वतारोही सविता कंसवाल की जान, इसी साल फतह किया था एवरेस्ट

उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक स्थित ग्राम लौंथरू निवासी युवा पर्वतारोही सविता कंसवाल ने इसी साल 12 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया. इसके 15 दिन के भीतर 28 मई को माउंट मकालू चोटी का भी सफल आरोहण किया. इतने कम समय में दोनों पर्वतों को फतह कर सविता ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अपने नाम किया.

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सविता कांसवाल (फाइल फोटो)
सविता कांसवाल (फाइल फोटो)

4 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में करीब 40 लोगों (4 अक्टूबर तक) के लिए काल बनकर आया. जिस चोटी को फतह करने के लिए 40 लोगों का एक दल निकला था, उसी चोटी पर आए हिमस्खलन (एवलांच) में ये लोग दब गए. जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई, कुछ को रेस्क्यू कर लिया गया और कुछ अब भी लापता हैं. इस हादसे ने उत्तरकाशी की ही रहने वाली बहादुर पर्वतारोही और ट्रेनर सविता कंसवाल को भी छीन लिया. सविता इस दल की ट्रेनर थीं. सविता ने कुछ ही महीने पहले विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर प्रदेश, जिले का वर्चस्व पूरे भारत में फैलाया और अपनी ऊंचाइयों को उड़ान दी थी. एवरेस्ट आरोहण के 15 दिन के भीतर सविता ने माउंट मकालू का भी सफल आरोहण कर रिकॉर्ड बनाया था. इसके साथ ही माउंट ल्होत्से चोटी पर तिरंगा लहराने वाली सविता देश की दूसरी महिला पर्वतारोही बनी थीं.

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उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक स्थित ग्राम लौंथरू निवासी युवा पर्वतारोही सविता कंसवाल ने इसी साल 12 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया. इसके 15 दिन के भीतर 28 मई को माउंट मकालू चोटी का भी सफल आरोहण किया. इतने कम समय में दोनों पर्वतों को फतह कर सविता ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अपने नाम किया. उन्होंने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था. 

बुलंद हौसलों और बहादुरी की मिसाल सविता ने इससे पहले साल 2021 में एवरेस्ट मैसिफ अभियान के तहत विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8516 मीटर) का भी सफल आरोहण किया था. माउंट ल्होत्से पर तिरंगा लहराने वाली सविता भारत की दूसरी महिला पर्वतारोही थीं. लेकिन नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) उत्तरकाशी, से माउंट द्रौपदी का डांडा पर निकला ट्रेनी और पर्वतारोहण ट्रेनर का करीब 40 सदस्यी दल एवलांच की चपेट में आ गया. जिसमें सविता की भी जान चली गई.

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परिवार के विरोध बावजूद शुरू की NCC की ट्रेनिंग
भटवाड़ी ब्लाक के लौंथरू गांव के किसान परिवार में जन्मी सविता कंसवाल (25) का जीवन संघर्ष से भरा रहा है. सविता का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा. सविता चार बहनों में सबसे छोटी थी. पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी ने खेती बाड़ी से ही परिवार चलाया. सविता की पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई थी. उन्हें बचपन से ही एडवेंचर स्पोर्ट का शौक रहा. स्कूल समय में ही सविता ने परिवार के विरोध के बावजूद एनसीसी ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी.

6 हजार की नौकरी कर जमा किए कोर्स के लिए पैसे
सविता ने 2013 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया. एडवांस कोर्स के लिए पैसे नहीं थे, तो नौकरी करने लगी. मात्र 6,000 रुपये की सैलरी में अपना खर्चा चलाकर पैसे बचाने लगी और 2016 में एडवांस माउंटेनियरिंग का कोर्स पूरा किया. इसके बाद एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स भी किया. सविता साल 2018 से NIM में बतौर ट्रेनर काम कर रही थीं.

इन चोटियों को कर चुकी थीं फतह-
•    माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), नेपाल
•    ल्होत्से (8516 मीटर), नेपाल
•    माउंट त्रिशूल (7120 मीटर)
•    माउंट तुलियान (4800 मीटर)
•    कोलाहाई (5400 मीटर), जम्मू-कश्मीर
•    माउंट लबूचे (6119 मीटर)

इनके अलावा, माउंट चंद्रभागा, माउंट हनुमान टिब्बा, द्रोपती का डांडा पर भी सविता सफलतापूर्वक पहुंचीं थी.

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14 सितंबर को शुरू हुआ था कोर्स
दरअसल, 14 सितंबर 2022 से निम में एडवांस पर्वतारोहण पाठ्यक्रम शुरू हुआ था. 23 सितंबर 2022 को 7 ट्रेनर्स, 34 ट्रेनी और एक नर्सिंग सहायक के साथ पहाड़ पर ट्रेनिंग शुरू की गई. 25 सितंबर को सभी बेस कैंप पहुंचे. इस कोर्स में आइस एंड स्नो क्राफ्ट की ट्रेनिंग थी. प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुसार शिविर-1 में हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग के लिए कोर्स 2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर 2022 तक निर्धारित किया गया था. 4 अक्टूबर 2022 को प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुसार ट्रेनिंग के लिए सभी लोग सुबह 4 बजे माउंट द्रौपदी का डांडा में गए. पर्वत शिखर से वापस लौटते समय 34 ट्रेनी और 7 पर्वतारोहण ट्रेनर सुबह 8:45 पर हिमस्खलन की चपेट में आ गए. हादसे के बाद सर्च एंड रेस्क्यू जारी है. 


 

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