कहते हैं कि जब आत्मबल ऊंचा हो और कुछ करने का जुनून हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे और मजबूत बनाती हैं. ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड की 12वीं की छात्रा अंजलि विश्वकर्मा ने पेश की है. उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक की रहने वाली अंजलि ने लक्ष्य हासिल करने के लिए जारी अपनी पूरजोर कोशिश में कोई बाधा नहीं आने दी. दरअसल, 11 नवंबर की शाम पहाड़ी इलाके में हुए एक सड़क हादसे के चलते अंजलि के सिर से पिता का साया उठ गया, लेकिन इस आघात के बावजूद अंजलि पूरी ईमानदारी से अपने लक्ष्य को साधने में जुटी रहती है. वह अपने स्कूल में राज्य स्तरीय बालिका अंडर-19 कबड्डी की तैयारियों को अंतिम रूप दे रही थी.
दो हफ्ते पहले ही जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में अंजलि ने विकास खण्ड मोरी को चैम्पियन बनाया था और उसी के आधार पर उसका चयन तीन और छात्राओं के साथ जिला टीम में हुआ था. 13 नवंबर को ही उसे अपने स्कूल अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज नैटवाड़ की अन्य छात्राओं के साथ राज्य स्तरीय बालिका कबड्डी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने उत्तरकाशी जिला मुख्यालय जाना था. अंजलि का टीम के लिए सिर्फ चयन नहीं हुआ था, बल्कि वह अपने जिले उत्तरकाशी की कबड्डी टीम की कैप्टन भी है.
'सर मैं टूर्नामेंट खेलने जाऊंगी...'
टूर्नामेंट में हिस्सा लेने जाने से ठीक दो दिन पहले जब उसे पता चलता है कि दुर्घटना में उसके पिता की मौत हो गई तो मानो उसके ऊपर दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा हो. लेकिन इस मुश्किल वक्त में अंजलि खुद को संभालते हुए अपनी दादी, मां और छोटी बहन-भाई के पास अपने गांव जाती है और उन्हें ढांढस बंधाती है. इसके बाद 12 नवंबर को अंजलि के पिता का अंतिम संस्कार होता है. इस दौरान यह खबर सुनकर स्कूल के प्रिंसिपल पीएल सेमवाल अंजिल के घर जाते हैं. लौटते वक्त अंजलि उनसे कहती है 'सर मैं 14 नवंबर से होने वाली कबड्डी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाऊंगी.'
उसके इस साहस का समर्थन उसकी दादी यह कह कर करती है कि हां बेटी तू जरूर जा, जाने वाला चला गया है, तू अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़. 'आजतक' से बातचीत में प्रिंसिपल सेमवाल कहते हैं कि जहां एक और पिता की चिता की आग भी ठंडी ना हुई हो वहां एक बेटी का स्कूल और जिले के लिए कबड्डी खेलने का यह निर्णय और खेल के प्रति जुनून और उसके दादी का उसे प्रेरित करना हैरान करने वाला था.
कबड्डी ही नहीं, रेस और जंप में भी जीते कई मेडल
प्रतिभावान अंजलि क्लास 8वीं से ही विकासखंड और जिला स्तरीय कई खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रही है. 2020 में उसने राज्य स्तरीय विद्यालयी 100 मीटर दौड़ में, दिसंबर 2021 में स्तरीय खेल महाकुंभ में अंडर-17 ऊंची कूद और लंबी कूद और अंडर-17 कबड्डी में जनपद उत्तरकाशी का राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व किया और कई मेडल जीते. अंजलि केवल खेलों में ही नहीं, बल्कि पढ़ाई में भी उतनी ही होनहार है. उसने 10वीं बोर्ड परीक्षा 92.6% के साथ उत्तीर्ण की थी और इस साल कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा देगी. अंजलि 2018 में जनपदीय विज्ञान महोत्सव में भी व्यक्तिगत प्रोजेक्ट वर्क में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी है. स्कूल में पीटीआई के ना होते हुए भी वह खेलों की प्रैक्टिस करती रहती है और अपने साथियों को भी इसके के लिए प्रेरित करती है.
12वीं के बाद NDA में जाने का है सपना
अंजलि दो बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी है और उनका न केवल पढ़ाई में, बल्कि खेलों में भी उनका मार्गदर्शन करती रहती हैं. अंजलि की छोटी बहन दसवीं में पढ़ रही है, वह भी इसी साल इसी टीम के साथ जनपद में ब्लॉक का प्रतिनिधित्व करते हुए अंडर-17 कबड्डी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं. अंजिल ने बताया कि इस मुश्किल वक्त में अपनी दादी, मम्मी और छोटे भाई-बहनों की हिम्मत बनना चाहती हूं और 12वीं के बाद NDA की तैयारी कर भारतीय सेना में जाना चाहती हूं.
अंजलि की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. प्रिंसिपल सेमवाल बताते हैं कि अंजलि एक बहुत गरीब परिवार से संबंध रखती है और उसके पिता की असामयिक मृत्यु से उनकी परिवार का आमदनी का स्त्रोत ही बंद हो गया है. ऐसे में उसकी मदद के उपाय तलाशे जा रहे हैं.