पेरिस ओलंपिक 2024 में तीरंदाजी की मिक्स्ड टीम इवेंट में अंकिता भकत और धीरज बोम्मादेवरा ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गए. ब्रॉन्ज मेडल मैच में अंकिता-धीरज को यूएसए के ब्रैडी एलिसन और केसी काफहोल्ड ने 2-6 से हराया. अमेरिकी जोड़ी ने पहले दो सेट जीत लिए थे. इसके बाद भारतीय जोड़ी ने वापसी करते हुए तीसरा सेट जीता, लेकिन फिर चौथे सेट में बाजी एक बार फिर यूएसए के हाथ लगी. भारतीय जोड़ी को इससे पहले सेमीफाइनल में कोरिया के हाथों 2-6 से पराजित होना पड़ा था.
हालांकि पदक से चूकने के बावजूद अंकिता-धीरज ने इतिहास रच दिया. पहली बार ओलंपिक में तीरंदाजी के किसी स्पर्धा में भारतीय खिलाड़ी सेमीफाइनल में पहुंचे. भारत तीरंदाजी में केवल सिडनी ओलंपिक 2000 में क्वालिफाई नहीं कर पाया था. इसके अलावा उसने सभी ओलंपिक खेलों में भाग लिया है, लेकिन अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं कर पाया. तीरंदाजी को ओलंपिक में 1988 में शामिल किया गया था और तब से भारतीय तीरंदाज लगभग हर ओलंपिक खेल में हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन अभी तक पोडियम तक पहुंचने में नाकाम रहे हैं. कहने का अर्थ यह है कि भारत ओलंपिक के तीरंदाजी इवेंट्स में अब तक एक भी मेडल नहीं जीत पाया है.
Result Update: #Archery🏹 Mixed Team Bronze Medal Match👇
— SAI Media (@Media_SAI) August 2, 2024
A near miss for our archers💔.
Ankita Bhakat and @BommadevaraD agonizingly miss out on a podium finish at #ParisOlympics2024.
The 🇮🇳 Indian duo came close in a 4️⃣ set match by a score line of 2-6.
Keep your heads… pic.twitter.com/DQqw4GOrhF
दीपिका और भजन कौर पहुंच चुकीं प्री-क्वार्टर फाइनल में
अब पेरिस ओलंपिक में भारत को दीपिका कुमारी और भजन कौर से उम्मीदें हैं. दीपिका और भजन महिलाओं की व्यक्तिगत तीरंदाजी स्पर्धा के प्री- क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी हैं. दीपिका प्री क्वार्टर फाइनल में 3 अगस्त को जर्मनी की मिशेल क्रोपेन से सामने करेंगी. वहीं 3 अगस्त को ही भजन कौर का सामना इंडोनेशिया की डायनंदा चोइरुनिसा से होगा. हालांकि भारत के लिहाज से बुरी खबर ये है कि यदि दीपिका और भजन अपने-अपने मैच जीतती हैं, तो वो क्वार्टर फाइनल में एक-दूसरे से भिड़ेंगी. यानी कोई एक ही तीरंदाज सेमीफाइनल तक पहुंच सकता है.
लंदन ओलंपिक 2012 के बाद यह पहला अवसर है, जबकि भारतीय टीम में 6 खिलाड़ी शामिल हैं. भारतीय पुरुष और महिला टीमों ने रैंकिंग के आधार पर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था, जिसके चलते इस बार भारतीय तीरंदाज 5 स्पर्धाओं में भाग ले रहे थे. अनुभवी तरुणदीप राय और दीपिका कुमारी का ये चौथा ओलंपिक रहा. टोक्यो ओलंपिक में भारत के सभी पुरुष तीरंदाज शीर्ष 30 में जगह नहीं बना पाए थे, जिससे भारतीय टीम को 9वीं वरीयता मिली थी. भारत की एकमात्र महिला तीरंदाज दीपिका ने 9वां स्थान हासिल किया था. भारत को तब अपने अपने क्वार्टर फाइनल मुकाबलों में शीर्ष वरीयता प्राप्त कोरिया से हार का सामना करना पड़ा था.
कौन हैं धीरज बोम्मादेवरा और अंकिता भकत
अंकिता-धीरज भले ही मेडल नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से फैन्स का दिल जरूर जीता. पश्चिम बंगाल की रहने वाली 26 साल की अंकिता भकत ने अपनी मेहनत के दम पर ओलंपिक में पदक जीतने का सपना साकार किया है. उनके पिता दूध का कोरबार करते थे. अंकिता ने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष किया. महज 10 वर्ष की आयु में अंकिता ने तीरंदाजी में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था. अंकिता ने कोलकाता के सर्कस मैदान में एक स्थानीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लिया था.
अंकिता ने स्थानीय क्लब में उधार के उपकरणों से अभ्यास शुरू किया और तीरंदाजी के गुर सीखे. 2014 में उन्हें टाटा तीरंदाजी अकादमी में जगह मिली.शुरुआती दौर में अंकिता ने तीरंदाजी की कला कोच धर्मेंद्र तिवारी, पूर्णिमा महतो और राम अवधेश के मार्गदर्शन में सीखी. पूर्णिमा महतो पेरिस में भी कोच के तौर पर टीम के साथ हैं.
2015 में अंकिता ने विश्व तीरंदाजी युवा चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया, उस दौरान वह महज 18 साल की थीं. इसी साल अंकिता ने सियोल अंतरराष्ट्रीय यूथ आर्चरी फेस्ट में रजत और कांस्य पर कब्जा जमाया. 2017 में उन्होंने एशिया कप और भारतीय सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप का फाइनल भी खेला था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के 22 साल के धीरज बोम्मादेवरा ने पेरिस ओलंपिक में अपने असाधारण तीरंदाजी कौशल से पदक हासिल किया.तीरंदाजी में धीरज की यात्रा 2006 में विजयवाड़ा में वोल्गा तीरंदाजी अकादमी में उनके पिता बोम्मादेवरा श्रवण कुमार के मार्गदर्शन में शुरू हुई, जो भारतीय तीरंदाजी संघ के तकनीकी अधिकारी थे.
धीरज ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया और 2021 में उन्हें पहली बड़ी सफलता मिली, जब उन्होंने विश्व तीरंदाज युवा चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2021 में धीरज पुणे में आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में चार साल का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद भारतीय सेना में शामिल हो गए.