विजेंदर सिंह को 2009 में प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया.
ग़ौरतलब है कि विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता के इतिहास में ये पहला अवसर था जब किसी भारतीय मुक्केबाज़ को कोई पदक मिला .
बीजिंग ओलंपिक के बाद इटली के मिलान शहर में हुई विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में विजेंदर को कांस्य पदक मिला है.
बीजिंग ओलंपिक मे विजेंदर ने काँस्य पदक जीता, इतिहास में ये पहली बार था जब भारत को मुक्केबाज़ी में कोई पदक प्राप्त हुआ.
विजेंदर ने 2001 में इटली की एक प्रतियोगिता में 54 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता . ये उनका पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था जिसके बाद उन्होंने फिर कभी मुड़ कर नहीं देखा.
भिवानी बॉक्सिंग क्लब मे अपने पहले गुरू जगदीश सिंह की देख-रेख में विजेंदर ने मुक्केबाज़ी के शुरुआती गुर सीखे.
विजेंदर को मुक्केबाज़ी की प्रेरणा अपने बड़े भाई मनोज से मिली जो की ख़ुद एक राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज़ रह चुके हैं और फ़िलहाल भारतीय सेना में कार्यरत हैं.
विजेंदर सिंह के पिता महिपाल सिंह बैनिवाल हरियाणा रोडवेज़ में ड्राईवर का काम करते हैं और उनकी माँ कृष्णा गृहिणी हैं.
हरियाणा के भिवानी जिले के काणुवास गाँव से निकलकर विश्व भर में पहचान बनाने वाले विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्तूबर 1985 को हुआ.