कृष्णा पूनिया (डिस्कस थ्रो): पिछले कुछ सालों में एथलेटिक्स में कृष्णा पूनिया ने खुब नाम कमाया है. कृष्णा ने दिल्ली में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मैडल पर कब्जा जमाया था. इसी साल मई में उन्होंने अपना बेस्ट 64.76 मीटर थ्रो किया है और उम्मीद है कि ओलंपिक में वह 65 मीटर को क्रॉस कर लेंगी.
विकास गौड़ा (डिस्कस थ्रो): एथलेटिक्स में विकास से देश को मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं. विकास का मनोबल भी ऊंचा होगा, क्योंकि उनका सर्वोत्तम थ्रो 66.28 मीटर है. अगर उनका दिन हो तो विकास गौड़ा किसी को भी चौंका सकते हैं. राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी विकास को दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल मिला था जबकि ग्वांग्झाउ एशियाई खेलों में उन्हें ब्रांज मेडल से संतोष करना पड़ा.
सीमा अंतिल (डिस्कस थ्रो): कृष्णा पूनिया के अलावा ओलंपिक में सीमा अंतिल का भी होना इस बात का परिचायक है कि किस तरह से भारत ने पिछले कुछ सालों में एथलेटिक्स में प्रगति की है. सीमा ने मेलबोर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल, दिल्ली में ब्रांज मेडल पर कब्जा किया. हालांकि उनसे मेडल की उम्मीद करना थोड़ा ज्यादा होगा लेकिन वे अपनी छाप छोड़ने के लिए लालायित हैं.
सुधा सिंह (स्टीपलचेज): 2010 एशियाई खेलों में सुधा ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था. यही नहीं उन्होंने पिछले माह स्पेन में हुए अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स में अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है. राय बरेली की इस 25 वर्षीय एथलीट ने 7 बार अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को सुधारा है.
ओम प्रकाश कारहान (शॉट पुट): ओम प्रकाश भारत के सर्वश्रेष्ट शॉट पुट खिलाड़ी हैं. पिछले साल हंगरी में हुए आईएएएफ मीट में 20.04 मीटर का थ्रो करके उन्होंने लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. हालांकि वे फेवरिट नहीं हैं, लेकिन अगर उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और किस्मत उनके साथ रही तो वो मेडल ला सकते हैं. अगर ओम प्रकाश मेडल जीतना चाहते हैं तो उन्हें 21 मीटर के मार्क को छूना होगा. बीजिंग ओलंपिक के लिए वे क्वालिफाई नहीं कर पाए थे और अब लंदन ओलंपिक उनका पहला ओलंपिक होगा.