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खेल

कपिल देव का खुलासा- इस कप्तान के डर से छिपने की जगह ढूंढता था

कपिल देव का खुलासा- इस कप्तान के डर से छिपने की जगह ढूंढता था
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भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव ने अपने क्रिकेट के दिनों की याद ताजा की है. उन्होंने बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था. 61 साल के कपिल देव ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया कि उन्हें पूर्व भारतीय कप्तानों में सबसे अधिक डर किससे लगता था.
कपिल देव का खुलासा- इस कप्तान के डर से छिपने की जगह ढूंढता था
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कपिल देव ने भारत की महिला क्रिकेट टीम के मौजूदा कोच डब्ल्यूवी रमन से 'इनसाइड आउट' शो में बातचीत में कहा कि उन्हें एस. वेंकटराघवन से बहुत डर लगता था. वह हमेशा अंग्रेजी में बोलते थे. 1983 के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान ने खुलासा किया कि जब भी वेंकटराघवन उनके आसपास होते थे, वह छिपने के लिए जगह ढूंढते थे.
कपिल देव का खुलासा- इस कप्तान के डर से छिपने की जगह ढूंढता था
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कपिल ने कहा, 'इंग्लैंड में टेस्ट मैच के दौरान शाम के ब्रेक को चाय ब्रेक कहा जाता है. वेंकटराघवन हमेशा तर्क देते थे और कहते थे कि केवल चाय ही क्यों? यह चाय और कॉफी का ब्रेक होना चाहिए... पर इससे क्या फर्क पड़ता था.. आपको जो लेना हो वो लो... तो वह ऐसे थे.'
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कपिल देव ने कहा, 'मैं उनसे (वेंकटराघवन) बहुत डरता था. वह केवल अंग्रेजी में बात करते थे.. हां उन्हें जब किसी पर ज्यादा भड़कते थे, तभी तमिल में बोलते थे. और दूसरी बात यह कि हम सभी उनके गुस्से को जानते थे. जब वह अंपायर थे, तब भी इस तरह से नॉट आउट देते थे जैसे कि वह गेंदबाज को डांट रहे हों. जब मैं 1979 में इंग्लैंड गया, तो वह कप्तान थे, इस दौरान मैं एक ऐसी जगह खोजता था, जहां वह मुझे नहीं देख सकते थे.'

 

कपिल देव का VIDEO देखने के लिए यहां क्लिक करें

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कपिल ने कहा, 'उन दिनों टीम में बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर जैसे खिलाड़ी होते थे, इसलिए वह उनसे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते थे (हमउम्र और सीनियर होने के नाते).'
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कपिल ने कहा, 'लेकिन वह मुझे देखते ही भड़क जाते थे. मैं एक कोने में बैठकर नाश्ता करता था क्योंकि मैं बहुत खाता था. उन्हें लगता था कि मैं हमेशा खाता ही रहता हूं.'
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कपिल देव का उन बेहतरीन ऑलराउंडरों में शुमार होता है, जिन्होंने अपने करियर के दौरान कई कप्तानों के अंदर खेले, जिनमें सुनील गावस्कर भी शामिल थे.
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60 और 70 के दशक में भारत के लिए खेलने वाली प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के सदस्य वेंकटराघवन ने 1983 में संन्यास लेने से पहले 57 टेस्ट खेले और 156 विकेट झटके थे.
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