भारत को विश्वविजयी बनाने में युवराज सिंह की भूमिका अहम रही और इसी लिए उन्हें वर्ल्डकप का हीरो भी कहा जाता है. उन्होंने खेल के हर विभाग में बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया और इस वजह से उन्हें चार बार मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. यही नहीं पूरे वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन के लिए युवराज को मैन ऑफ द ट्रॉफी भी चुना गया. वर्ल्डकप के बाद टीम में कम ही दिखे युवराज सिंह के फेफड़ों में ट्यूमर की खबर ने दुनिया को चौंका दिया.
सुरेश रैना इस साल न केवल मध्यक्रम के भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में परिपक्व होते नजर आए बल्कि उन्होंने वेस्ट इंडीज में खेली गई वनडे सीरीज में टीम इंडिया की कप्तानी भी की. पहली बार कप्तानी कर रहे रैना ने वेस्टइंडीज को उन्हीं की धरती पर पटखनी दी, इसके साथ ही उन्होंने भविष्य में कप्तान पद के लिए दावेदारी भी ठोंकी.
इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में खेले गए वर्ल्डकप में टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाने के साथ ही धोनी प्रसिद्धी के चरम पर पहुंच गए. धोनी की कप्तानी में एकजुट टीम इंडिया ने 28 साल बाद फिर से वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया. 2007 में खेले गए पहले टी20 वर्ल्ड कप में भी धोनी ने टीम इंडिया को खिताब दिलाया था.
दीवार के नाम से जाने जाने वाले राहुल द्रविड़ ने इस साल वनडे क्रिकेट को अलविदा कहा लेकिन टेस्ट में वे पूरे साल विकेटों के बीच जमे रहे और 2011 में 1000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने. द्रविड़ ने इस साल टेस्ट कॅरियर में 13,000 रन का आंकड़ा भी पार किया.
इसमें कोई शक नहीं कि वर्ल्ड कप जीत ने भारत को क्रिकेट जगत में बेहद ऊंचा स्थान दिया लेकिन इंग्लैंड दौरा भारत की साख को गर्त में ले गया. बड़े खिलाड़ी चोट से जूझ रहे थे और नए खिलाड़ियों से सजी टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज 0-4 ओर वनडे सीरीज 0-5 से गंवा दी. चोटों ने टीम को इतना परेशान किया कि टेस्ट के दौरान विकेटकीपर कप्तान धोनी को गेंदबाजी के लिए उतरना पड़ा.
भारत के दुस्वप्न इंग्लैंड दौरे पर क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान में भारत पहला टेस्ट मैच हार चुका था और ट्रेंट ब्रिज में खेले गए दूसरे टेस्ट में भी हालात अच्छे नहीं थे. लेकिन कैप्टन कूल एमएस धोनी ने यहां भी खेल भावना दिखाई और रन आउट हो चुके इयान बेल को वापस क्रीज पर बुला लिया.
हरभजन सिंह ने फॉर्म खोया और रविचंद्रन अश्विन के लिए टीम के दरवाजे खुल गए. अश्विन ने चयनकर्ताओं को बिल्कुल भी निराश नहीं किया और अपनी पहली ही टेस्ट सीरीज में अपने घरेलू मैदानों पर वेस्ट इंडीज के खिलाफ धमाकेदार शुरुआत की. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले अपने करियर के तीसरे ही टेस्ट मैच में अश्विन ने न सिर्फ 9 विकेट झटके बल्कि टेस्ट कॅरियर का पहला शतक भी जड़ा.
वर्ल्डकप विजेता टीम का हिस्सा बनने का सचिन तेंदुलकर का सालों पुराना सपना इस साल धोनी की सेना ने पूरा किया. सचिन को जिस तरह से कंधे पर बिठाकर मैदान में घुमाया गया, उससे साफ हो गया कि टीम ने यह वर्ल्डकप सचिन के सपने के नाम कर दिया है. स्वयं सचिन तेंदुलकर से सभी को शतकों के शतक (महाशतक) की उम्मीद थी और पूरे साल सचिन इसके पीछे भागते रहे, लेकिन कुछ मौकों पर बेहद करीब पहुंचकर वे चूक गए. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वे शतकों का शतक जड़कर अपने प्रशंसकों की कामना पूरी करेंगे.