इंटर कॉलेज में लगातार हर वर्ष उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें नेशनल कैंप में शामिल किया गया, तब से लेकर आज तक कृष्णा इस खेल के प्रति समर्पित हैं.
साल 2010 में कृष्णा को एथलेटिक्स में अर्जुन पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. कृष्णा को वर्ष 2006 में दोहा एशियाई खेलों में कांस्य पदक मिला था.
राष्ट्रमंडल स्वर्ण विजेता कृष्णा पूनिया ने अमेरिका के पोर्टलैंड में वार्षिक एथलेटिक में सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीत लिया.
ससुराल में खेल के प्रति जागरूकता थी जिसकी वजह से उन्हें काफ़ी प्रोत्साहन मिला. उनके पति वीरेंदर पूनिया ही उन्हें कोचिंग देते हैं. कृष्णा आज जिस मुकाम पर है उसका श्रेय वह पति को देती हैं.
कृष्णा राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रैक एंड फील्ड इतिहास में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला और मिल्खा सिंह के बाद दूसरी भारतीय खिलाड़ी हैं.
महिला डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने सोमवार को एक नया इतिहास रचा. उडन सिख मिल्खा सिंह की 1958 की कामयाबी के 52 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद महिला डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने नया इतिहास
रचते हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की इस स्पर्धा में 61.51 मीटर की दूरी तक थ्रो फेंक स्वर्ण पदक जीता था.
कृष्णा की बुआ उनकी लम्बाई देखकर उनको इस खेल में लाईं. शादी होने के बाद भी कृष्णा का संबंध इस खेल से नहीं टूटा.
बचपन में कृष्णा को डिस्कस थ्रो के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था. कृष्णा वही खेल खेलती थीं जो और बच्चे खेला करते थे.
कृष्णा पूनिया का जन्म हरियाणा के हिसार ज़िले के अगरोहा गाँव में हुआ था.