अपने परिवार की गरीबी दूर करने के लिए मैरीकॉम ने खेल में अपना करियर बनाने की सोची. साल 2000 में जब उन्होंने बॉक्सिंग शुरू की तभी से उनके हुनर की हर और चर्चा होने लगी.
2012 लंदन ओलंपिक में महिला बॉक्सिंग को शामिल कर लिया गया है. ऐसे में भारत की महिला बॉक्सर एमसी मैरीकॉम पर सभी की निगाहें टिक गई हैं.
पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हो चुकी दो बच्चों की मां मैरी कॉम पहली ऐसी महिला बॉक्सर है जिसने लगातार तीन साल तक अमेरिका में आयोजित वर्ल्ड टाइटल का खिताब जीता.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय एशियन वीमेंस चैंपियनशिप से पहचान कायम करने वाली मैरी कॉम की झोली में कई चैंपियनशिप का खिताब है.
वर्ष 2000 में मुक्केबाज़ी की दुनिया में कदम रखने वाली मैरी कॉम ने 2001 में मुक्केबाज़ी की एक चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया था.
पांच बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज़ एमसी मैरीकॉम का एशियाड में महिलाओं की मुक्केबाज़ी का पहला स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया.
भारतीय महिला मुक्केबाज़ एमसी मैरी कॉम ने लगातार पांचवीं बार महिला मुक्केबाज़ी की विश्व चैपिंयनशिप जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.
मैरी कॉम ने 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब जीता. अब तक वह छह राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है.
मैरी कॉम 1 मार्च 1983 को मणिपुर के एक गरीब किसान परिवार में जन्मीं. उनके मन में बॉक्सिंग का आकर्षण 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को
बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव-पेंच आजमाते देखा.