एशिया कप की शुरुआत शारजाह में हुई थी. इस टूर्नामेंट में भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान की टीमों ने भाग लिया था, जो कि राउंड रोबिन के आधार पर खेला गया. भारत ने अपने दोनों मुकाबलों में जीत दर्ज करके खिताब पर कब्जा जमाया था.
दूसरा संस्करण श्रीलंका में हुआ लेकिन भारत ने इससे अपना नाम वापस ले लिया. बांग्लादेश ने पहली बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. श्रीलका और पाकिस्तान के बीच फाइनल मुकाबला खेला गया जिसमें दिलीप मेंडिस (तस्वीर में दाई तरफ) ने पांच विकेट लिए जबकि अर्जुन रणातुंगा और अरविंद डि सिल्वा ने अर्धशतक जमाया.
तीसरा संस्करण बांग्लादेश में खेला गया जिसमें श्रीलंका और भारत फाइनल में पहुंचे. पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भारत की ओर से अरशद आयुब ने 215 विकेट हासिल किए, जो उस समय एक भारतीय रिकार्ड था. फाइनल में भारत ने श्रीलका को छह विकेट से हराकर दूसरी बार खिताब जीता.
पाकिस्तान ने भारत में हुए इस बार टूर्नामेंट से राजनैतिक कारणों से नाम वापस ले लिया. भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल ईडन गार्डंस में हुआ जिसमें कपिल देव ने हैट्रिक जमाई और श्रीलंका ने भारत को 205 रनों का लक्ष्य दिया. संजय मांजरेकर, सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इस मुकाबले में अर्धशतक जड भारत को जीत दिलाई.
इस बार यह टूर्नामेंट पाकिस्तान में होने वाला था लेकिन भारत के साथ चलते खराब संबंधों के कारण इसे शारजाह में कराया गया. भारत और श्रीलंका बेहतर रन रेट के आधार पर पाकिस्तान को पछाडते हुए फाइनल में पहुंचे. फाइनल में मोहम्मद अजहरुद्दीन ने तेजी से 90 और नवजोत सिद्धू के साथ मिलकर 175 रन की साझेदारी करके भारत को चौथी बार खिताबी जीत दिलाई.
इस बार यह टूर्नामेंट श्रीलंका में खेला गया. तेंदुलकर के बेहतरीन खेल के दम पर भारत ने रन रेट के आधार पर पाकिस्तान को बाहर का रस्ता दिखाते हुए फाइनल में जगह बनाई.हालांकि यह एकतरफा रहा क्योंकि श्रीलंका की तरफ से यनथ जयसूर्या, मार्वन अटापटटू और अजुर्न रणातुंगा ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए मुकाबला आठ विकेट से जीत लिया.
इस बार नए कप्तान सौरव गांगुली और कोच जान राइट ढाका की पिच पर अपना प्रभाव नहीं दिखा सके और भारत केवल बांग्लादेश के खिलाफ ही मैच जीतने में कामयाब हो सके.फाइनल में पहुंचे पाकिस्तान ने श्रीलंका को 39 रनो से हराकर पहली बार खिताब पर कब्जा जमाया.
पहली बार इस टूर्नामेंट में शिकरत करने वाले यूएई और हांगकांग अपना प्रभाव छोडने में पूरी तरह से असफल रहे. भारत ने फाइनल में श्रीलंका को 228 रनों पर रोक दिया लेकिन सचिन [74 रन] को छोडकर कोई भी भारतीय बल्लेबाज श्रीलंकाई स्पिनरों के सामने टिक नहीं सका और मुकाबला 25 रनों से हार गए. इस टूर्नामेंट में सचिन ने शानदा प्रदर्शन करते हुए 282 रन और 12 विकेट अपने नाम किए.
पहली बार पाकिस्तान में खेले गए इस टूर्नामेंट में 300 रन भी बनाए गए. टूर्नामेंट का मुख्य केंद्र श्रीलंकाई स्पिनर अजंथा मेंडिस रहे जिन्होंने फाइनल मुकाबले में 6 विकेट झटके. छठी बार भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल खेला गया जिसमें जयसूर्या ने शानदार 125 रनों की पारी खेलकर अपनी टीम को 273 रनों तक पहुंचाया. सहवाग ने भी जवाव में 26 गेंदों पर अर्धशतक जमाया लेकिन वह 10वें ओवर मेंडिस को आगे आकर खेलने के चक्कर में चूक गए और संगकारा के हाथों स्टंप आउट हो गए. इसके बाद मेंडिस ने अपना कहर बरपाते हुए भारत की टीम को अपनी कैरम बॉल के आगे धराशायी करते हुए 100 रन से करारी शिकस्त दी.