कॉमनवेल्थ खेल 3 अक्टूबर से शुरु होने हैं और तैयारियां है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही और अब तो यह डर भी सताने लगा है कि अगर काम की रफ्तार यही रही तो ये बदइंतजामी खेलों के दौरान हमारी नाक न कटवा दे.
खेलों तैयारियां पूरी करने की डेडलाइन दिसंबर 2009 के बाद से तीन बार बढ़ चुकी है लेकिन आलम यह है कि अब भी कई स्टेडियम अधूरे हैं.
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से दुनिया दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों का शानदार आगाज और अंजाम देखेगी लेकिन चारो तरफ बिखरी हैं निर्माण सामग्री का मलबा यह सवाल कर रहा है कि क्या वक्त रहते इस सबसे अहम स्टेडियम में काम पूरा हो पाएगा.
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का हाल यह है कि यहां अब भी 15-20 फीसदी काम बाकी है जिसे जल्दबाजी में पूरा किया जा रहा है.
तालकटोरा स्टेडियम तालाब बन गया है. यहां स्टेडियम के उद्घाटन के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है.
कई दूसरे स्टेडियम का हाल और भी बुरा है. तीन-तीन डेडलाइन पार कर चुके ये प्रोजेक्ट्स इतने पिछड़ चुके हैं कि खेलों से पहले पूरे हो जाएं यही बड़ी बात होगी. हालांकि सरकार अब भी दावा कर रही है कि सबकुछ वक्त रहते पूरा हो जाएगा लेकिन हकीकत को सबकी नजरों से छुपाने के लिए कई स्टेडियम में अभी से मीडिया की नो एंट्री कर दी गई है.
यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का हाल तो एक बारिश के बाद ही बुरा हो गया. यहां बारिश में वुडेन फ्लोर ही नहीं खराब हुआ बल्कि यहां तेज आंधी में स्टेडियम की छत ही उड़ गई.
शिवाजी स्टेडियम भगवान भरोसे है. यहां का काम खेलों से पहले पूरा होने के आसार कम ही दिख रहे हैं.
सीरीफोर्ट स्टेडियम में भी काम अधुरा हो रखा है. यहां तो मीडिया से हकीकत छुपाने की कोशिश भी की जा रही है और मीडिया के भीतर जाने पर पाबंदी लगा दी गई है.