टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी 34 साल के हो गए हैं. उन्होंने कुछ ही दिन पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था. धोनी ने टीम इंडिया के लिए 60 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है, इन 60 में से भारतीय टीम ने 27 मैच जीते, जबकि 18 में हार मिली.
धोनी की ही कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर एक टीम बनी. हालांकि यह भी सच है कि धोनी की ही कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग से टॉप फाइव से बाहर भी हुई. धोनी ने अपनी कूल कप्तानी से मिसाल कायम की.
टेस्ट में धोनी के रिकॉर्ड की बात करें तो उन्होंने 90 टेस्ट मैच खेले हैं और इस दौरान उनके बल्ले से 6 सेंचुरी और 33 पचासा निकले. धोनी का बेस्ट स्कोर 224 रन है.
धोनी ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के मेलबर्न टेस्ट मैच में विकेटकीपिंग में एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्टंपिंग के कुमार संगकारा के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. 134वीं स्टंपिंग के साथ इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्टंपिंग का नया रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले यह रिकॉर्ड कुमार संगकारा के नाम था.
फैसलाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ लगाया गया शतक किसी भी भारतीय विकेटकीपर का सबसे तेज शतक है. धोनी ने 93 बॉल में सेंचुरी लगाई. दुनिया भर की बात करें तो सिर्फ कामरान अकमल और एडम गिलक्रिस्ट ही इससे तेज सेंचुरी बना सके हैं.
रनों के मामले में भारत को सबसे बड़ी जीत धोनी की कप्तानी में ही मिली. 21 अक्टूबर 2008 को भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 320 रन से हराया.
धोनी की कप्तानी में ही भारत ने अब तक का सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर किया. ये हुआ श्रीलंका के 2009 में हुए भारत दौरे के दौरान. भारत ने पहली पारी में 726 रन बनाए नौ विकेट गंवाकर और फिर पारी घोषित कर दी. इसी सीरीज में भारत 2-0 से जीता और आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन हो गया.
टेस्ट कैप्टन बनने के बाद अजेय रहने का रेकॉर्ड भी धोनी के नाम है. कप्तान बनने के बाद वह लगातार 11 टेस्ट मैच तक अपराजेय रहे. इस दौरान भारत ने 8 मैच जीते और 3 ड्रॉ किए. फिर भारत नागपुर में फरवरी 2010 में साउथ अफ्रीका से मैच हारा और यह रिदम टूटी. धोनी से पहले यह रेकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के कप्तान वारविक आर्मस्ट्रॉन्ग के नाम था.
धोनी एक ऐसे कप्तान रहे हैं, जो कभी भी एक्सपेरिमेंट करने से पीछे नहीं हटे. कई बार एक्सपेरिमेंट सफल हुए तो कई बार उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा लेकिन धोनी एक्सपेरिमेंट करने से पीछे नहीं हटते थे. गेंदबाजी में बदलाव हो, फील्ड प्लेसमेंट हो या बल्लेबाजी ऑर्डर में तब्दीली करनी हो धोनी कभी भी एक्सपेरिमेंट से डरे नहीं. यह क्वालिटी उन्हें बाकी कप्तानों से अलग करती है. तो विराट अगर आपको भी लंबे समय तक टीम की बागडोर संभालनी है तो एक्सपेरिमेंट से पीछे मत हटना.
धोनी को दो बार टेस्ट मैच में मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड मिला. दोनों बार भारत
में हुए टेस्ट मैच में विरोधी टीम थी ऑस्ट्रेलिया.
विराट कोहली का खराब फॉर्म हो, या इंग्लैंड में जडेजा-एंडरसन विवाद जब भी खिलाड़ियों को कैप्टन कूल के सपोर्ट की जरूरत हुई धोनी ने उन्हें निराश नहीं किया. मीडिया में बात करते हुए धोनी हमेशा ध्यान रखते रहे हैं कि उन्हें क्या बोलना है और क्या नहीं.
माही के नाम से मशहूर धोनी ऑन फील्ड हों या ऑफ फील्ड साथी खिलाड़ियों का हमेशा सम्मान किया है. स्लेजिंग का जवाब धोनी ने कभी स्लेजिंग ने नहीं दिया बल्कि अपने बल्ले से दिया है. यह विराट के लिए बहुत अहम सबक होगा. धोनी खुद भी आक्रामक कप्तान रहे हैं लेकिन अति आक्रामकता से बचते रहे हैं.