अश्विनी अकुंजी ने उस समय अपने और भारत के नाम पर धब्बा लगाया, जब उनका नाम डोपिंग में आया. डोपिंग की खबरों ने अखबारों की हेडलाइन बनाई और अकुंजी व भारत के ओलंपिक संभावनाओं पर पानी फेर दिया. एशियाई खेलों में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली अश्विनी की बी सैंपल भी पॉजिटिव पाया गया. उनके साथ पांच अन्य खिलाड़ी मनदीप कौर, सिनी जोस, मैरी टायना थॉमस, पियंका पवार और जौना मार्मू भी डोपिंग में पकडे गए. इनके अलावा शॉटपुट खिलाड़ी सोनिया और लॉन्ग जंप खिलाड़ी हरिकृष्ण मुरलीधरन भी डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाये गए.
भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल के लिए यह साल कुछ खास नहीं रहा. हालांकि उन्होंने चोट से उबरने के बाद मार्च में स्विस ओपन ग्रां प्री में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. साइना चोटी के पांच खिलाड़ियों में बनी रहीं लेकिन इस साल उन्होंने उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया.
भारतीय टेनिस स्टार रोहन बोपन्ना ने पहली बार एटीपी मास्टर का खिताब जीता. पाकिस्तान के अपने जोड़ीदार एसाब उल हक के साथ उन्होंने यह खिताब अपने नाम किया. इंडो-पाक एक्सप्रेस नाम से मशहूर इस जोड़ी ने नवंबर में पैरिस में आयोजित एटीपी मास्टर्स टूर्नामेंट में फ्रांस के जुलियन बोनेट और निकोलस माहूत को सीधे सेटों में हराकर यह खिताब जीता. साल का अंत होते-होते रोहन ने महेश भूपति के साथ जोड़ी बना ली और अब वह ओलंपिक की तैयारियों में जुट गए हैं.
भारत ने पहली बार फार्मूला वन की मेजबानी की. राजधानी दिल्ली से सटे हुए ग्रेटर नोएडा में बने रेसिंग ट्रैक बुद्ध इंटरनेशन सर्किट में आयोजित भारत की पहली इंडियन ग्रां प्री को देशभर में जबरदस्त समर्थन मिला. फार्मूला वन सुप्रीमो बर्नी एक्लेस्टोन ने इस आयोजन की खूब प्रशंसा की.
मैदान पर भारतीय हॉकी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन मैदान से बाहर हॉकी इंडिया और भारतीय हॉकी संघ के बीच की जंग पूरे साल चलती रही. इसी जंग का असर था कि अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ ने भारत वे चैंम्पियनशिप ट्रॉफी की मेजबानी छीन ली. भारत ने चीन के ओर्डॉस में आयोजित एशियाई चैंम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल में पुराने दुश्मन पाकिस्तान को हरा कर बेहतरीन हॉकी का प्रदर्शन किया. इसके बाद टीम दिसम्बर में दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में चैंम्पियन्स चैलेंज टूर्नामेंट के फाइनल में बेल्जियम के हाथों हारकर दूसरे स्थान पर रही. दुखद यह रहा कि चैंम्पियन्स चैलेंज टूर्नामेंट का विजेता ही प्रतिष्ठित चैंम्पियन्स ट्रॉफी टूर्नामेंट में खेल सकता था इसलिए भारत इससे वंचित रह गया.
बैडमिंटन में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने अगस्त में लंदन के वेम्बले में आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंम्पियनशिप में बेहतरीन खेल दिखाया. दोनों ने इंडोनेशिया की विटा मैरिसा और नादया मेलाटी को हराते हुए सेमीफाइनल में जगह बनायी. इसके साथ ही विश्व चैंम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बन गई. हालांकि बाद में दोनों को पांचवी वरियता प्राप्त चीनी जोड़ी क्विंग टिंग और झाओ यूनले से सेमीफाइनल में हारकर ब्रॉन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा.
दूसरी बार आयोजित हुए सर्कल स्टाइल कबड्डी विश्व कप की मेजबानी पंजाब ने की. भारत ने फाइनल में कनाडा को पटखनी देते हुए चैंम्पियनशिप पर कब्जा जमाया. पाकिस्तान तीसरे नंबर पर रहा.
कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने प्रदर्शन से चौंकाने वाली डिसकस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने डोपिंग के आरोपों से जूझ रहे भारतीय एथलीटों के बीच खेल भावना का न सिर्फ जबरदस्त प्रदर्शन किया बल्कि अमेरिका के पोर्टलैंड में आयोजित फ्लिंग थ्रो मीट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इस गोल्ड मेडल के साथ ही उन्होंने लंदन ओलंपिक के लिए भी अपना नाम पक्का कर लिया है और आने वाले साल में उनसे ओलंपिक मेडल की उम्मीद की जानी चाहिए.
शूटर मान सिंह ने इस साल अपने साथी शूटरों, कोच, व अधिकारियों सब को चौंकाया. अक्सर ट्रैप और डबल ट्रैप शूटिंग की गरीब बहन कहे जाने वाले स्कीट इवेंट में उन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया. नवंबर में कुआलालंपुर में आयोजित एशियाई शॉटगन चैंम्पियनशिप में मान सिंह ने इस खेल में भारत के लिए इतिहास बनाते हुए व्यक्तिगत गोल्ड मेडल पर निशाना लगाया.
इंडियन एक्सप्रेस यानी लीएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी इस साल एक बार फिर से टूट गई. ओलंपिक में जब कुछ ही महीनों का समय रह गया था और देश को दोनों से मेडल की उम्मीद जगने लगी थी तभी दोनों ने अलग-अलग होने का फैसला कर लिया. महेश भूपति ओलंपिक में अब रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाकर खेलेंगे.
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इस साल नवंबर में कुआलालंपुर में आयोजित हुई पहली एशियाई शॉटगन चैंम्पियनशिप में कमाल का प्रदर्शन करते हुए डबल ट्रैप शूटिंग में विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. राठौड़ ने क्वालिफाइंग राउंड में 150 में से 148 को स्कोर करते हुए रूस के विटली फोकीव के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की. विटली ने यह रिकॉर्ड इसी साल चिली के कोपेनहेगन में आयोजित विश्व कप में बनाया था. इसके बाद राठौड़ ने फाइनल में 50 में से 46 का स्कोर करते हुए कुल 194 अंक अर्जित किए और गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
भारत के शॉटगन शूटर रोंजन सोढ़ी ने इस साल अपने विश्व कप के खिताब को बचाने में सफलता पायी. रोंजन ऐसे पहले भारतीय हैं, जिन्होंने ये कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने इसी साल अक्टूबर में यूईए के अल आइन में आयोजित हुए विश्व कप मुकाबले में चीन के बिंयुआन हू को हराया.
वर्ल्डकप विजेता टीम का हिस्सा बनने का सचिन तेंदुलकर का सालों पुराना सपना इस साल धोनी की सेना ने पूरा किया. सचिन को जिस तरह से कंधे पर बिठाकर मैदान में घुमाया गया, उससे साफ हो गया कि टीम ने यह वर्ल्डकप सचिन के सपने के नाम कर दिया है. स्वयं सचिन तेंदुलकर से सभी को शतकों के शतक (महाशतक) की उम्मीद थी और पूरे साल सचिन इसके पीछे भागते रहे, लेकिन कुछ मौकों पर बेहद करीब पहुंचकर वे चूक गए. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वे शतकों का शतक जड़कर अपने प्रशंसकों की कामना पूरी करेंगे.
दिल्ली में आयोजित हुए दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन (सैफ) चैंम्पियनशिप में भारत ने फेवरिट के तौर पर शुरुआत की. दो ग्रुपों में बंटी दक्षिण एशिया की आठ टीमें: भारत, श्रीलंका, अफगानिस्तान, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव ने इसमें भाग लिया. भारत ने अपनी साख और उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जबरदस्त प्रदर्शन किया और फाइनल तक की राह बनाई.
भारत के बॉक्सर विकास कृष्णन यादव ने सभी को अपने प्रदर्शन से चौंका दिया. विकास ने लंदन में आयोजित इंटरनेशनल इनविटेशनल टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन किया. हालांकि यहां उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा, लेकिन फाइनल में कलाई की चोट के चलने उन्हें नाम वापस लेना पड़ा. कलाई की चोट न होती तो मेडल का रंग सुनहरा भी हो सकता था.
भारत को विश्वविजयी बनाने में युवराज सिंह की भूमिका अहम रही और इसी लिए उन्हें वर्ल्डकप का हीरो भी कहा जाता है. उन्होंने खेल के हर विभाग में बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया और इस वजह से उन्हें चार बार मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. यही नहीं पूरे वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन के लिए युवराज को मैन ऑफ द ट्रॉफी भी चुना गया. वर्ल्डकप के बाद टीम में कम ही दिखे युवराज सिंह के फेफड़ों में ट्यूमर की खबर ने दुनिया को चौंका दिया.
इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में खेले गए वर्ल्डकप में टीम इंडिया विश्व विजेता बनी. 28 साल बाद वर्ल्डकप वापस भारत आया और धोनी के धुरंधरों ने अपने प्रशंसकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. इसके साथ ही टीम इंडिया ने सचिन तेंदुलकर के उस सपने को साकार कर दिया, जिसमें वे विश्वविजेता टीम का हिस्सा बनना चाहते थे. टीम शुरू से ही सभी की फेवरिट थी और टीम ने लोगों की अपेक्षाओं के अनसार की प्रदर्शन किया. धोनी की कप्तानी में एकजुट टीम इंडिया ने 2007 में खेले गए पहले टी20 वर्ल्ड कप पर भी कब्जा जमाया था.