वेरी वेरी स्पेशल के नाम से मशहूर वीवीएस लक्ष्मण ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
लक्ष्मण एक कुशल बल्लेबाज थे जिसे लोग कभी नहीं भूल सकते. उनकी कलाई का जादू दर्शनीय था जिसकी बदौलत वह ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद को मिडविकेट पर बड़ी सहजता के साथ खेलते थे.
तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 45.97 की औसत से 8781 रन बनाए. उन्होंने 17 शतक और 56 अर्धशतक भी जड़े जिनकी बदौलत भारत ने कई टेस्ट ड्रा कराए जबकि कई मैचों में जीत दर्ज करने में सफल रहा.
लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 17 शतक जड़े लेकिन उन्होंने 56 अर्धशतक भी बनाए जिसमें से कई ने मैच के नतीजे में अहम भूमिका निभाई. ऐसी दो पारियां उन्हें अपने करियर के अंतिम दौर में भी खेली.
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 86 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले जिसमें उन्होंने 30.76 की औसत से 2338 रन भी बनाए.
हैदराबाद का यह बल्लेबाज मुश्किल लम्हों में भारतीय टीम का तारणहार साबित हुआ. लक्ष्मण कभी नैसर्गिक सलामी बल्लेबाज नहीं थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई टेस्ट टीमों के खिलाफ पूरी ईमानदारी के साथ इस जिम्मेदारी को निभाया.
अपने करियर के दौरान 134 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के स्टार बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के साथ भारतीय मध्यक्रम को मजबूती दी.
लक्ष्मण ने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए कई यागदार पारियां खेली लेकिन इसके बावजूद उनके बल्लेबाजी क्रम में बदलाव होता रहा.
इस दौरान उन्होंने 8781 रन बनाए और 17 शतक भी जड़े.
लक्ष्मण का टेस्ट औसत 45.97 है.उनके करियर का सर्वोच्च स्कोर 281 रन है जो उन्होंने 2001 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में बनाया था.
भारत ने उनकी इस पारी की बदौलत फॉओलान के बावजूद जीत दर्ज की थी.
लक्ष्मण कभी एकदिवसीय टीम के नियमित सदस्य नहीं रहे. उन्होंने 83 वनडे मैचों में 2338 रन बनाये जिसमें छह शतक शामिल हैं.
उनके चमकदार करियर का सबसे निराशाजनक पहलू यह रहा कि वह अपने करियर के दौरान चारों विश्व कप में से किसी में नहीं खेल पाये. आस्ट्रेलियाई दौरे में नहीं चल पाने के कारण उनके भविष्य को लेकर कयास लगाये जा रहे थे.
इस हैदराबादी बल्लेबाज ने आस्ट्रेलिया के दौरे में केवल 154 रन बनाये थे. यह भी पता चला है कि लक्ष्मण पिछली दो श्रृंखलाओं में असफलता के बाद आलोचनाओं और इन टिप्पणियों से आहत हैं कि उन्हें युवा खिलाड़ियों के लिये जगह छोड़ देनी चाहिए.
लक्ष्मण का इंग्लैंड दौरा भी निराशाजनक रहा तथा भारत की लगातार आठ हार के बाद उन पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव बढ़ने लगा था.
लक्ष्मण के संन्यास लेने के बाद भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम पीढ़ी में से केवल सचिन तेंदुलकर ही टीम में बने रहेंगे. अनिल कुंबले, गांगुली और द्रविड़ पहले ही संन्यास ले चुके हैं.
आस्ट्रेलिया के खिलाफ 281 रन की जोरदार पारी के बाद ‘वेरी वेरी स्पेशल’ का उपनाम पाने वाले लक्ष्मण ने हमेशा आस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया.
उन्होंने अपने छह शतक आस्ट्रेलिया के मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने बनाये जो महानता की निशानी है.
उन्होंने 2010 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली ने नाबाद 73 रन की एक और जोरदार पारी खेली थी. वह पीठ दर्द से जूझ रहे थे लेकिन उन्होंने रनर की मदद से दसवें नंबर के बल्लेबाज इशांत शर्मा के साथ मिलकर भारत को जीत दिलायी थी.
अपने करियर के दूसरे चरण में उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाजी करने की कला में महारत हासिल कर ली थी. पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाजी करने के कारण उन्हें कई शतकों से वंचित होना पड़ा.
लक्ष्मण के संन्यास के बाद निश्चित रूप से उनकी कमी टीम इंडिया को खलेगी.