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क्या योगेश्वर बदलेंगे पदक का रंग ?

रियो ओलंपिक अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है और साथ ही भारतीयों की उम्मीदें भी. अबतक भारत की झोली में सिर्फ दो ही पदक आए हैं. लेकिन एक गोल्ड मेडल की उम्मीद अभी बाकी है.

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योगेश्वर दत्त
योगेश्वर दत्त

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रियो ओलंपिक अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है और अब तक भारत की झोली में सिर्फ दो ही पदक आए हैं. लेकिन एक गोल्ड मेडल की उम्मीद अभी बाकी है. रियो ओलंपिक के आखिरी दिन देश का सबसे जांबाज पहलवान योगेश्वर दत्त अपनी ताल ठोकते हुए मैदान पर उतरेंगे. देश के सबसे बड़े पहलवान से पदक की उम्मीद रखना बेमानी नहीं है, क्योंकि लंदन ओलंपिक के दंगल में  इस सुल्तान का जलवा पूरी दुनिया देख चुकी है.

क्या योगेश्वर बदलेंगे पदक का रंग ?
जिस काम को देश के बड़े-बड़े हाई प्रोफाइल एथलीट नहीं कर सके. क्या उसे योगेश्वर पूरा करेंगे? क्या भारत को पहला गोल्ड मेडल मिलेगा? देश के इस सुल्तान की उम्र भले ही 36 साल के पास हो, लेकिन उन्हें लड़ना आता है. योगेश्वर अच्छी तरह जानते हैं नरसिंह के बाहर हो जाने के बाद उन पर उम्मीदों का बोझ कितना बढ़ गया है. 2012 लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले योगेश्वर को गोल्ड तक पहुंचने के लिए चार से पांच पहलवानों का चित करना होगा. अगर योगेश्वर ऐसा करने में कामयाब रहे तो देशवासियों का सपना पूरा हो सकता है.

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ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने भी योगेश्वर को शुभकामनाएं दीं और कहा कि पूरा भारत उनके लिए प्रार्थना कर रहा है.

योगेश्वर 65 किलो भारवर्ग में दावेदारी पेश करेंगे
योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक में 60 किग्रा भारवर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इस बार वो 65 किग्रा भारवर्ग में उतरेंगे. बढ़ती उम्र और वेट कैटेगिरी में बदलाव के कारण उन्हें बड़े संभलकर अपने दांव-पेंच आजमाने होंगे. कुश्ती में मेडल जीतने वाले वो तीसरे भारतीय पहलवान हैं. सबसे पहले 1952 के ओलंपिक खेलों में भारत के खशब जाधव ने ब्रॉन्ज जीता था. फिर 2008 के बीजिंग ओलंपिक में पहलवान सुशील कुमार ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहे थे. रविवार को 125 करो़ड़ भारतीयों की निगाहें देश के इस सुल्तान पर होगी, कि वो अपने दमदार प्रदर्शन से रियों ओलंपिक से यादगार विदाई लें.क्योंकि ये उनका आखिरी ओलंपिक भी होगा.

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