पिछले 36 सालों से भारतीय हॉकी ने ओलंपिक में कुछ भी हासिल नहीं किया. पुरुष भारतीय हॉकी टीम तो ओलंपिक में हिस्सा जरूर लेती रही. लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. इन 36 सालों में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कभी भी ओलंपिक में शिरकत नहीं कर सकी. कमोबेश मैदान पर महिला और पुरुष हॉकी टीम के हालात एक जैसे ही बने रहे. तीन दशक से ज्यादा के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक में हिस्सा ले रही है.
36 सालों के लंबे अंतराल के बाद महिला टीम क्वालिफाई कर रियो ओलंपिक में हिस्सा ले रही है. भारतीय महिला हॉकी टीम रियो में जहां तक भी सफर तय करेगी, उनके लिए ये कामयाबी की तरह ही होगी. भारतीय महिला हॉकी टीम दुनिया की 13वें नंबर की टीम है, और जिस मुश्किल परिस्थितियों में भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया है, वो खुद में गोल्डन गर्ल्स के लिए एक बड़ी जीत है. फिल्मी पर्दे की तरह रियो की रियल लाइफ में भी गोल्डन गर्ल्स चक दे इंडिया कहेंगी. ऐसी उम्मीद की जा सकती है. भारतीय महिला हॉकी टीम पूरी तरह से मोटिवेटेड है, और मैदान पर अपना दमखम दिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार.
12 टीमों ने क्वालीफाई किया है
रियो ओलंपिक में दुनिया की 12 टीमों ने क्वालीफाई किया है. जिन्हें छह-छह के दो ग्रुप में बांटा गया है. भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका और जापान जैसी मुश्किल टीमों के साथ रखा गया है.लेकिन अनुभव और युवा जोश से लबरेज भारतीय टीम सिर्फ कागज पर दिखने वाली विरोधी टीमों की मजबूती से हार नहीं मानने वाली है.
वंदना कटारिया होगीं निगाहें
2013 जूनियर वर्ल्ड कप में भारत को ब्रॉन्ज़ जिताने में वंदना कटारिया ने अहम भूमिका अदा की थी. वंदना अब तक 130 मुकाबलों में 30 गोल कर चुकी हैं, और रियो में टीम को आगे तक ले जाने की जिम्मेदारी काफी हद तक उन्हीं के कंधों पर होगी. महिला टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं रानी रामपाल. रानी के पास 154 मैचों का अनुभव है. अगर रानी रामपाल के अनुभव से यंग गोल्डन गर्ल्स ने तालमेल बिठा लिया. तो यकीन मानिए इस टीम के नाम कुछ ऐसे रिकॉर्ड दर्ज हो सकते हैं. जिसपर हम और आप लंबे वक्त तक इतरा सकते हैं.