ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलने का लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल नैसर्गिक प्रतिभा नहीं बल्कि सच्ची लगन की जरूरत होती है. यह साबित किया है दीपा कर्माकर ने जिन्होंने समतल पैर (फ्लैट फुट) होने के बावजूद नामुमकिन को मुमकिन करने का कारनामा किया. रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनने वाली दीपा कर्माकर इम्फाल के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) केंद्र में भारोत्तोलन कोच दुलाल कर्माकर की बेटी हैं. दुलाल ने दीपा को छह साल की उम्र से ही जिमानस्टिक का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था. अगरतला में दीपा को कोच बिस्बेश्वर नंदी ने जिमनास्टिक का प्रशिक्षण दिया.
दीपा कर्माकर को अपने पैरों के आकार के लेकर भी करियर की शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. दीपा के पैरों के आकार के कारण नंदी को भी उन्हें प्रशिक्षित करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी. हालांकि जिमनास्टिक दीपा की पहली पसंद नहीं थी. लेकिन उनके पिता दुलाल ने उन्हें इस ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. दीपा ने अपने गिरने के डर पर काबू पाते हुए तेजी से सुधार किया. इस कड़ी मेहनत ने उन्हें 2007 में जलपाईगुड़ी में ‘जूनियर नेशनल्स’ का खिताब दिलवाया और यहीं से उन्होंने एक नया इतिहास रचने के क्रम में पहला कदम रखा.
दीपा 2011 में त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व कर राष्ट्रीय खेलों में पांच पदक जीत कर सुर्खियां बटोरी. दिल्ली में 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में वह भारतीय जिमनास्टिक टीम का हिस्सा भी थीं, जहां उन्होंने आशीष कुमार को जिमनास्टिक में भारत का पहला पदक जीतकर इतिहास रचते देखा. आशीष को अपनी प्रेरणा मानने वाली दीपा ने 2014 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में महिला वॉल्ट वर्ग के फाइनल में कांस्य पदक जीता. एशियाई कांस्य पदक विजेता दीपा ने आर्टिस्टिक जिमनास्टिक में ओलम्पिक का टिकट हासिल किया है.
वर्ल्ड जिमनास्टिक महासंघ-एफआईजी की वेबसाइट के मुताबिक दीपा ने टेस्ट इवेंट में कुल 52.698 अंक हासिल किए. 22 साल की दीपा ने रविवार को अनइवन बार्स में खराब प्रदर्शन किया था लेकिन बीम तथा फ्लोर एक्सरसाइज में उनका प्रदर्शन इस काबिल रहा कि वह ओलम्पिक टिकट हासिल कर सकीं. नई दिल्ली में आठ अगस्त को राष्ट्रमंडल खेलों के लिए सम्मानित की गईं दीपा की प्रतिभा को दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने भी सराहा.
अगरतला की निवासी दीपा अक्टूबर 2015 में वर्ल्ड आर्टिस्टिक जिमनास्टिक चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं. उन्होंने टूर्नामेंट के अंतिम चरण में 14.683 अंक हासिल कर पांचवा स्थान प्राप्त किया.