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रियो: टेबल टेनिस में क्या भारतीय खिलाड़ी करेंगे उलटफेर?

युवा भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा ने छोटी सी उम्र में काफी नाम कमाया है. इस साल उन्होंने नेशनल सिंगल्स का खिताब जीता. वो पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगी. उन्होंने देश के लिए कई प्रो मुकाबलों में हिस्सा लिया और मेडल भी जीते. लेकिन ओलंपिक में वो पहली बार हिस्सा लेंगी.

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टेबल टेनिस खिलाड़ी
टेबल टेनिस खिलाड़ी

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टेबल टेनिस की दुनिया में भारतीय खिलाड़ी अबतक वो मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं. जिससे ओलंपिक जैसे बड़े इवेंट में उनसे कोई उम्मीद लगाई जाए. अचंत रियो में शरत कमल, मौमा दास, सौम्यजीत घोष, मनिका बत्रा जैसी खिलाड़ी मैदान पर उतरेंगी. हालांकि, इन खिलाड़ियों से किसी तरह की कोई उम्मीद लगाना बेमानी होगा.

सबसे युवा खिलाड़ी हैं मनिका
युवा भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा ने छोटी सी उम्र में काफी नाम कमाया है. इस साल उन्होंने नेशनल सिंगल्स का खिताब जीता. वो पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगी. उन्होंने देश के लिए कई प्रो मुकाबलों में हिस्सा लिया और मेडल भी जीते. लेकिन ओलंपिक में वे पहली बार हिस्सा लेंगी.

पांच फुट 11 इंच लंबी मनिका पर खेलों का तो कोई दबाव नहीं होगा पर मानसिक दबाव के कारण उनके खेल पर कुछ असर जरूर पड़ सकता है. 2015 में राष्ट्रमंडल टेबल टेनिस में तीन गोल्ड पदक (टीम स्पर्धा और महिला डबल्स में रजत,सिंगल्स में कांस्य) 2016 गुवाहटी सैफ गेम्स में तीन गोल्ड मेडल (महिला डबल्स, मिक्ड डबल्स और टीम स्पर्धा) मनिका ने अपने नाम किए.

 

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भारत की सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं मौमा दास
मौमा दास भारत की सबसे अनुभवी टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं. वो लंबे समय से देश के लिए अपने करियर में कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी हैं. और कई पदक भी अपने नाम किए हैं. अपने शानदार खेल के लिए उन्हें 2013 में अर्जुन पुरस्कार भी मिला. देश की इस दिग्गज महिला खिलाड़ी का ये शायद आखिरी ओलंपिक होगा. इससे पहले उन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में हिस्सा लिया था. लेकिन उसमें भी वो कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी. समय के साथ उनमें काफी अनुभव और परिपक्वता आई है. उम्मीद की जा रही है कि वो इस बार रियो ओलंपिक में ज्यादा दूर तक का सफर तय करेंगी.

शरत कमल हैं देश के नंबर एक खिलाड़ी
अचंत शरत कमल देश के सबसे अनुभवी और नंबर एक खिलाड़ी हैं. उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में देश का परचम लहराया है. बावजूद इसके खेलों के महाकुंभ में उनसे पदक की उम्मीद लगाना बेमानी ही होगा. 2006 मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में वो गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं. रियो में उन्हें कोई वरियता नहीं मिली है. ऐसे में ये देखना बेहद दिलचस्प रहेगा कि वो ओलंपिक में कहां तक अपना सफर तय करते हैं.

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सौम्यजीत का अनुभव काम आएगा 
युवा खिलाड़ी सौम्यजीत ने बहुत ही कम समय में देश और विदेश में अपनी पहचान बनाई. इनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सौम्यजीत का ये लगातार दूसरा ओलंपिक है. पिछली बार लंदन में 2012 ओलंपिक में वो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले सबसे युवा भारतीय खिलाडी थे. इंटरनेशनल स्तर पर घोष ने कोई बड़ी जीत हासिल नहीं की है. पर राष्ट्रीय चैंपियन दिग्गज अचंत शरद कमल को हराकर, उन्होंने 19 साल की उम्र में सबसे युवा राष्ट्रीय चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. हाल ही में उन्होंने वर्ल्ड के 14वें नंबर के कोरिया के जुंग यंगसिक को भी हराया. 2010 में बहरीन में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिक्सड डबल्स का कांस्या पदक, 2011 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में टीम स्पर्धा का कांस्य पदक अपने नाम किया है.

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